जब किसी व्यक्ति के कान के अंदर संक्रमण या सूजन हो जाती है, तो इसकी वजह से एक प्रकार का संतुलन विकार यानी संतुलन बनाने में समस्या हो सकती है, जिसे लैबिरिंथाइटिस कहा जाता है। कभी-कभी यह श्वसन पथ के ऊपरी हिस्से में संक्रमण के कारण हो सकता है। आमतौर पर यह समस्या किसी वायरस के कारण हो सकती है। हालांकि, बैक्टीरिया भी इसके कई कारकों में से एक है।
लैबिरिंथाइटिस के लक्षण
लैबिरिंथाइटिस के लक्षण जल्दी दिखने लगते हैं और कुछ ही दिनों में तेजी से बढ़ सकते हैं। कुछ मामलों में ऐसा भी पाया गया है कि लक्षण धीरे-धीरे कम होने लगते हैं, लेकिन जब आप अपना सिर अचानक हिलाते हैं, तब यह समस्या वापस से उठ सकती है। इस स्थिति में आमतौर पर दर्द नहीं होता है। फिलहाल इसके लक्षणों में शामिल हो सकते हैं :
- चक्कर आना या सिर घूमना
- संतुलन बनाने में दिक्कत
- मतली और उल्टी
- टिनिटस, इसमें एक या दोनों कानों में कभी-कभी कुछ बजने या गूंजने वाला शोर सुनाई देता है, जिस कारण सुनने में कठिनाई हो सकती है।
- किसी चीज को ध्यान से देखने में दिक्कत
कुछ दुर्लभ मामलों में लक्षणों के बढ़ने से हमेशा के लिए सुनाई देना बंद हो सकता है।
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लैबिरिंथाइटिस का कारण
कान के अंदर लेबीरिंथ नामक एक ऐसा हिस्सा होता है, जो सुनने और संतुलन बनाने के लिए महत्वपूर्ण होता है। इसमें कुछ तरल और बालों से जुड़ी कोशिकाएं होती हैं। ऐसे में कान के अंदर संक्रमण की वजह से मस्तिष्क की ओर जाने वाली जानकारी बाधित हो सकती है। फिलहाल लैबिरिंथाइटिस किसी भी उम्र में हो सकता है। इसके पीछे निम्न कारक हो सकते हैं :
- सांस से जुड़ी बीमारियां जैसे कि ब्रोंकाइटिस
- कान के अंदर किसी तरह का वायरल संक्रमण
- पेट के वायरस
- चर्म रोग के वायरस
- बैक्टीरियल संक्रमण, जिसमें कान के मध्य में संकम्रण शामिल है।
- संक्रामक जीव जैसे कि लाइम रोग को ट्रिगर करने वाले कारक
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लैबिरिंथाइटिस का इलाज
इस बीमारी के लिए कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को कम करने के लिए दवाओं की मदद ली जा सकती है। लैबिरिंथाइटिस से ग्रस्त ज्यादातर लोग एक से तीन सप्ताह के अंदर इस परेशानी से राहत पा सकते हैं और एक से दो माह के अंदर पूरी तरह से स्वस्थ हो सकते हैं।
लक्षणों को बेहतर करने के लिए शरीर में पानी की कमी न होने देना व पर्याप्त आराम करना जरूरी है। एक डॉक्टर अधिक गंभीर लक्षणों वाले लोगों के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड या सेडटिव (दर्द को दूर करने वाली दवाइयां) लेने की सलाह दे सकते हैं। जिन मामलों में बैक्टीरियल संक्रमण की वजह से लैबिरिंथाइटिस की समस्या होती है, उनमें डॉक्टर एंटीबायोटिक लिख सकते हैं।
यदि लक्षण कई महीनों तक बने रहते हैं, तो यह एक गंभीर स्थिति हो सकती है। ऐसे में डॉक्टर कान की जांच कर सकते हैं, क्योंकि यह बहरेपन का संकेत हो सकता है।
जब लैबिरिंथाइटिस की समस्या लंबे समय तक परेशान करती है, तो ऐसे में फिजिकल थेरेपी फायदेमंद साबित हो सकती है। इस थेरेपी में ऐसे व्यायाम शामिल हैं, जो संतुलन में सुधार लाने और चक्कर आने की समस्या में सुधार ला सकते हैं।
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लैबिरिंथाइटिस के जोखिम
निम्न वजहों से इस बीमारी का जोखिम बढ़ जाता है :
- धूम्रपान करना
- ज्यादा शराब पीना
- कभी एलर्जी की समस्या रही हो
- जल्दी थक जाना
- अत्यधिक तनाव में रहना
- कुछ प्रकार की दवाओं का सेवन
इस बीमारी के कुछ लक्षण गंभीर स्थिति का कारण बन सकते हैं। ऐसे में संकेतों को पहचानने के बाद डॉक्टर को इस बारे में बताना जरूरी है।