क्रैब ल्यूकोडिस्ट्रोफी क्या है?
क्रैब ल्यूकोडिस्ट्रोफी तंत्रिका तंत्र का एक दुर्लभ और जानलेवा विकार है। इसे क्रैब रोग के नाम से भी जाना जाता है। यह अनुवांशिक विकार है और परिवार में किसी एक व्यक्ति को होने पर बाकी सदस्यों में भी इसका खतरा बढ़ जाता है।
इस बीमारी से ग्रसित लोगों के शरीर में मायलिन बनाने के लिए जरूरी गैलेक्टोसिलसेरामिडेज पर्याप्त मात्रा में नहीं बन पाता है। गैलेक्टोसिलसेरामिडेज, जीएएलसी नामक जीन द्वारा बनने वाला एक एंजाइम है। मायलिन एक ऐसी परत है जिसका इस्तेमाल शरीर नर्व फाइबर को सुरक्षित रखने के लिए करता है।
यह परत इतनी महत्वपूर्ण होती है कि इसके बिना, मस्तिष्क की कोशिकाएं मर जाएंगी एवं मस्तिष्क और शरीर के अन्य हिस्सों की नसें ठीक तरह से काम नहीं कर पाएंगी।
क्रैब रोग ज्यादातर छह माह तक के शिशुओं में देखा जाता है, लेकिन यह बाद में भी विकसित हो सकता है। दुर्भाग्य की बात है कि वर्तमान में क्रैब रोग का कोई इलाज उपलब्ध नहीं है और इस बीमारी से ग्रसित अधिकांश शिशुओं की मृत्यु दो वर्ष की आयु से पहले ही हो जाती है।
क्रैब ल्यूकोडिस्ट्रोफी के लक्षण
अधिकतर मामलों में, जन्म के बाद 2 से 5 महीनों में क्रैब रोग के संकेत और लक्षण दिखाई देते हैं। ये लक्षण धीरे-धीरे शुरू होते हैं और समय के साथ गंभीर रूप ले लेते हैं। इस बीमारी के शुरुआती चरण में शिशु में निम्न संकेत और लक्षण दिखते हैं -
- शिशु को फीडिंग (खाना) में दिक्कत
- बेवजह रोना
- अत्यधिक चिड़चिड़ापन
- संक्रमण के संकेत के बिना बुखार
- शिशु में सतर्कता की कमी
- विकास में देरी
- मांसपेशियों में ऐंठन
- बार-बार उल्टी होना
जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, वैसे-वैसे संकेत और लक्षण गंभीर होते चले जाते हैं। इसके लक्षणों में शामिल हैं -
- बच्चे के विकास में कमी
- सुनने और देखने की क्षमता में लगातार कमी आना
- मांसपेशियों का कठोर व सिकुड़ना
- निगलने और सांस लेने की क्षमता में लगातार कमी आना
जब क्रैब रोग बचपन में या वयस्क उम्र के दौरान विकसित होता है, तो इसके संकेत और लक्षण भिन्न हो सकते हैं, जैसे कि -
- लगातार आंखों की रोशनी कम होना
- चलने में दिक्कत (अटैक्सिया)
- सोचने की क्षमता खत्म होना
- किसी चीज को पकड़ते समय हाथों के बीच तालमेल व उनका सही तरह से इस्तेमाल करने की क्षमता में कमी
- मांसपेशियों में कमजोरी
क्रैब ल्यूकोडिस्ट्रोफी के कारण
जीएएलसी जीन में गड़बड़ी के कारण क्रैब रोग होता है। यह रोग तब होता है जब किसी व्यक्ति को अपने पिता और मां दोनों से एक-एक दोषपूर्ण जीन मिलता है। यह जीन प्रोटीन बनाने के लिए एक तरह का ब्लूप्रिंट तैयार करता है। यदि इस ब्लूप्रिंट में कोई कमी या दिक्कत आती है, तो प्रोटीन का उत्पादन ठीक से नहीं हो पाता है।
क्रैब रोग में दोनों दोषपूर्ण जीन की वजह से गैलेक्टोसिलसेरामिडेज नामक एंजाइम कम या बिलकुल नहीं बन पाता है।
क्रैब ल्यूकोडिस्ट्रोफी का इलाज
क्रैब रोग का कोई विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है। कुछ मामलों में इस बीमारी के शुरुआती चरण में बोन मैरो ट्रांसप्लांट करवाना पड़ता है, लेकिन इस उपचार के जोखिम होते हैं। जेनेटिक काउंसिलिंग इस बीमारी से प्रभावित बच्चों व परिवार के सदस्यों के लिए मददगार साबित हो सकती है।
इस बीमारी के लक्षण शिशुओं व बच्चों में भिन्न होते हैं इसलिए लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। ये बीमारी आमतौर पर जानलेवा होती है। चूंकि, ये केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचाती है इसलिए इसकी वजह से कुछ जटिलताएं हो सकती हैं जैसे कि अंधापन, बहरापन, मांसपेशियों की मजबूती में कमी, मानसिक क्षमता में कमी और सांस लेने में दिक्कत व मृत्यु।