क्लिप्पल फेल सिंड्रोम - Klippel-Feil Syndrome in Hindi

Dr. Nadheer K M (AIIMS)MBBS

October 05, 2020

November 06, 2020

क्लिप्पल फेल सिंड्रोम
क्लिप्पल फेल सिंड्रोम

क्लिप्पल फेल सिंड्रोम (केएफएस), कंकाल तंत्र से जुड़ी एक समस्या है, जिसके कारण रीढ़ में हड्डियों का विकास प्रभावित होता है। केएफएस की समस्या के साथ जन्मे लोगों की गर्दन के कम से कम दो कशेरुकाओं में असामान्य फ्यूजन देखने को मिल सकता है। केएफएस वाले कुछ लोगों में कोई भी लक्षण नजर नहीं आते हैं, जबकि कुछ लोगों को सिरदर्द, पीठ और गर्दन में दर्द और अन्य तंत्रिका संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। छोटी गर्दन, सिर के पीछे के हिस्से में छोटी हेयरलाइन और रीढ़ के ऊपरी हिस्से में दिक्कतों के आधार पर भी इस समस्या की पहचान की जाती है। क्लिप्पल फेल सिंड्रोम से ग्रसित लोगों को रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट लगने का खतरा रहता है। कई लोगों में जन्मजात दोषों अथवा किसी अन्य विकार या सिंड्रोम के लक्षण के रूप में भी केएफएस की समस्या हो सकती है।

क्लिप्पल फेल सिंड्रोम के अधिकांश मामलों के कारणों का पता अभी त​क नहीं चल सका है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि जीन में उत्परिवर्तन के कारण केएफएस की समस्या हो सकती है। बीमार के लक्षणों, इमेजिंग टेस्ट और नैदानिक परीक्षणों के आधार पर केएफएस का निदान किया जाता है। रोग के आधार पर दवाइयों, सर्जरी अथवा फिजिकल टेस्ट के माध्यम से इसका इलाज किया जाता है।

इस लेख में हम क्लिप्पल फेल सिंड्रोम के लक्षण, कारण और इसके इलाज के बारे में जानकारी प्राप्त ​करेंगे।

क्लिप्पल फेल सिंड्रोम के लक्षण - Klippel-Feil Syndrome symptoms in Hindi

क्लिप्पल फेल सिंड्रोम से पीड़ित लोगों में निम्न लक्षण देखे जा सकते हैं।

  • गर्दन में दो या उससे अधिक स्पाइनल बोन का फ्यूजन
  • छोटी गर्दन
  • मुड़ी हुई या टेढ़ी गर्दन, इस स्थिति को टॉर्टिकोलिस के नाम से जाना जाता है। इसमें सिर एक तरफ झुक जाता है
  • स्पाइना बिफिडा : एक जन्मजात विकार, जिसमें गर्भाशय में तंत्रिका ट्यूब ठीक से विकसित नहीं हो पाती है
  • किडनी, पसली और हृदय की खराबी
  • श्वसन प्रणाली की समस्याएं
  • न्यूरोलॉजिकल समस्याएं
  • क्लेफ्ट प्लेट : तालु का कटा होना
  • ठीक से सुनाई न देना
  • दर्द होना
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क्लिप्पल फेल सिंड्रोम का कारण - Klippel-Feil Syndrome causes in Hindi

क्लिप्पल फेल सिंड्रोम के सटीक कारणों का अब तक पता नहीं चल पाया है। हालांकि, अब तक इस पर हुए शोध के आधार पर शोधकर्ताओं का मानना है कि जीडीएफ6, जीडीएफ3 और एमईओएक्स1 जीन में उत्परिवर्तन के कारण इस सिंड्रोम की समस्या हो सकती है। ये जीन हड्डियों के उचित विकास के लिए आवश्यक होते हैं। 

जीडीएफ6 जीन एक प्रकार के प्रोटीन के उत्पादन में सहायक होता है जो हड्डियों और जोड़ों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वहीं एमईओएक्स1 जीन से उत्पन्न प्रोटीन, जिसे होमोबॉक्स प्रोटीन एमओएक्स-1 कहा जाता है, यह प्रारंभिक विकास के दौरान कशेरुका को एक दूसरे से अलग करने का काम करता है। जीडीएफ6 और जीडीएफ3 जीन में उत्परिवर्तन से कई प्रोटीनों के सामान्य कार्य भी प्रभावित हो जाते हैं। एमईओएक्स1 जीन म्यूटेशन से होमोबॉक्स प्रोटीन एमओएक्स-1 प्रोटीन की कमी हो जाती है। जीडीएफ6, जीडीएफ3 और होमोबॉक्स प्रोटीन एमओएक्स-1 प्रोटीन हड्डियों, विशेषकर कशेरुकाओं के निर्माण के लिए आवश्यक होते हैं।

जिन लोगों में किसी अन्य विकार के लक्षण के रूप में क्लिप्पल फेल सिंड्रोम की समस्या देखने को मिलती है, इस स्थिति में अन्य विकारों में शामिल जीनों में उत्परिवर्तन को प्रमुख कारण माना जाता है।

क्लिप्पल फेल सिंड्रोम का निदान - Diagnosis of Klippel-Feil Syndrome in Hindi

क्लिप्पल फेल सिंड्रोम की समस्या के निदान के लिए सामान्य रूप से डॉक्टर, रोगी की मेडिकल हिस्ट्री जानने के साथ आवश्यकतानुसार शारीरिक परीक्षण कर सकते हैं। सिंड्रोम के निदान के लिए निम्न प्रकार के परीक्षणों को प्रयोग में लाया जा सकता है।

  • गर्दन के पीछे की हड्डी, रीढ़ और स्कैपुला की वास्त​विक स्थितियों का पता लगाने के लिए एक्स-रे किया जाता है
  • अंगों की स्थिति और आंतरिक संरचनाओं की छवियों को देखने के लिए एमआरआई टेस्ट किया जाता है
  • आनुवंशिक परीक्षण : इसमें रोगी के लार के सैंपल की जांच कर डीएनए का पता लगाया जाता है।
  • सीटी स्कैन
  • ईओएस इमेजिंग टेस्ट

जिन बच्चों को क्लिप्पल फेल सिंड्रोम की शिकायत होती है उनको किडनी, हृदय या फेफड़ों की समस्याएं हो सकती हैं। सामान्य रूप से गर्भाशय में बच्चों के बाधित विकास के परिणामस्वरूप ऐसी दिक्कतें हो सकती हैं। इसीलिए गर्भावस्था के दौरान ही बच्चों में इन स्थितियों के परीक्षण के लिए डॉक्टर अल्ट्रासाउंड के माध्यम से जांच करते हैं।

क्लिप्पल फेल सिंड्रोम का इलाज - Treatment of Klippel-Feil Syndrome in Hindi

क्लिप्पल फेल सिंड्रोम का अब तक कोई इलाज नहीं है। इसके लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर कुछ इलाज के माध्यमों को प्रयोग में ला सकते हैं। इसके अलावा जिन लोगों को रीढ़ की हड्डी में दरार, मांसपेशियों की कमजोरी या हृदय की समस्याएं होती हैं उनको भी इलाज की आवश्यकता होती है। क्लिप्पल फेल सिंड्रोम वाले कई बच्चों को बोन फ्यूजन और स्कोलियोसिस जैसी समस्याओं का अनुभव हो सकता है।

यदि रोगी के लक्षण गंभीर नहीं हैं, तो डॉक्टर इलाज के लिए निम्न विधियों को प्रयोग में ला सकते हैं।

  • सर्वाइकल स्पाइनल ब्रेसिंग
  • फिजिकल थेरपी
  • दर्द को नियंत्रित करने के लिए नॉन-स्टेरायडल एंटी इंफ्लामेटरी दवाएं (एनएसएआईडी) दवाओं को प्रयोग में लाया जा सकता है
  • स्पाइनल ट्रैक्शन
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