क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम एक आनुवंशिक स्थिति है। इसमें नवजात शिशु में एक्स गुणसूत्र (क्रोमोसोन) की अतिरिक्त कॉपी होती है।
बता दें कि मनुष्य में गुणसूत्र के 23 जोड़े होते हैं। चूंकि एक जोड़े में दो गुणसूत्र होते हैं ऐसे में कुल गुणसूत्रों की संख्या 46 है। इन 23 जोड़ों में से एक जोड़े (एक्स क्रोमोसोन और वाई क्रोमासोन) को सेक्स क्रोमोसोन कहा जाता है, जिसके जरिये लिंग का निर्धारण किया जाता है।
यह सिंड्रोम सिर्फ पुरुषों को प्रभावित करता है और इसका निदान वयस्क होने पर होता है। क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम वृषण के विकास पर गलत असर डाल सकता है। इसकी वजह से अंडकोष सामान्य आकार की तुलना में छोटा होता है, जिससे टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन कम होता है। इस सिंड्रोम के कारण मांसपेशियों में कमी, शरीर और चेहरे पर बालों का कम निकलना और स्तन ऊतकों का बढ़ना जैसी समस्या हो सकती है। क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम के प्रभाव अलग-अलग होते हैं और जरूरी नहीं है कि हर व्यक्तियों में एक जैसे संकेत और लक्षण दिखाई दें।
क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम से ग्रस्त ज्यादातर पुरुष या तो शुक्राणु की कमी से जूझते हैं या उनमें शुक्राणु पैदा नहीं होते हैं, लेकिन मौजूदा समय में कुछ ऐसी सहायक प्रजनन प्रक्रियाएं हैं, जिनकी मदद से इस सिंड्रोम से ग्रस्त लोग पिता बनने का सुख प्राप्त कर सकते हैं।
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