कींबॉक डिसीज क्या है?
कींबॉक डिसीज एक दुर्लभ विकार है, जो लूनेट तक खून की आपूर्ति को बाधित करता है। बता दें, कलाई की आठ छोटी हड्डियों में से एक लूनेट है। यह कलाई के मध्य में स्थिति होती है और गतिविधि करने में सहायक है।
शुरुआती चरण में, कींबॉक की वजह से सामान्य दर्द होता है, लेकिन जैसे-जैसे यह बढ़ता है, हड्डी के ऊतक मरने लगते हैं जिसके कारण गंभीर दर्द, कलाई की मूवमेंट में कमी और गठिया की समस्या हो सकती है।
आमतौर पर कींबॉक डिसीज केवल एक कलाई को प्रभावित करती है। सर्जरी और अन्य उपचारों की मदद से गंभीर दर्द और कलाई की मूवमेंट को ठीक किया जा सकता है।
कींबॉक डिसीज के लक्षण क्या हैं?
रोग के शुरुआती चरण में, कलाई में दर्द हो सकता है लेकिन स्थिति गंभीर होने पर निम्न लक्षण देखे जा सकते हैं :
- कलाई छूने पर दर्द होना
- अकड़न
- सूजन
- कलाई की मूवमेंट सीमित हो जाना
- हाथ की पकड़ में कमी
- हाथ को ऊपर की ओर मोड़ने में कठिनाई
- कलाई का इस्तेमाल होने पर क्लिक की आवाज आना
कई बार कींबॉक डिसीज से ग्रस्त लोगों में कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है, महज संयोग से स्थिति की पहचान की जाती है।
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कींबॉक डिसीज का कारण क्या है?
इसका कोई सटीक कारण नहीं है। यह कलाई पर किसी चोट (हाथ के बल गिरना) से जुड़ा हो सकता है, क्योंकि इस तरह की चोट से ब्लड सप्लाई रुक सकती है। इसके अलावा यह कलाई पर 'रिपेटिटिव माइक्रो इंजरी' (एक जैसे मूवमेंट करने से मांसपेशी के संयोजी ऊतकों को नुकसान) से भी जुड़ा हो सकता है। उदाहरण के तौर पर जैकहैमर चलाने से सबसे ज्यादा कलाई पर जोर पड़ता है।
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कींबॉक डिसीज का निदान कैसे होता है?
कींबॉक डिसीज का निदान करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि अक्सर यह कलाई की मोच जैसा लगता है। डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री, जीवनशैली और कलाई के दर्द से संबंधित प्रश्न पूछ सकते हैं। वे कलाई और हाथ की शारीरिक जांच कर सकते हैं। कलाई की हड्डियों की जांच के लिए वे क्लिनिकल टेस्ट और इमेजिंग टेस्ट जैसे एमआरआई या सीटी स्कैन या एक्स-रे कर सकते हैं।
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कींबॉक डिसीज का इलाज
कींबॉक रोग के उपचार के लिए कई सर्जिकल और नॉन-सर्जिकल विकल्प मौजूद हैं। नॉन सर्जिकल विकल्पों में कलाई के लिए एक्सरसाइज और दवाइयां निर्धारित हैं। सर्जिकल विकल्पों में कलाई में खून के प्रवाह को अच्छा बनाए रखना और आसपास की हड्डी की लंबाई को सामान्य रखना शामिल है। उपचार का लक्ष्य दर्द को कम करना, कलाई की गतिविधि में सुधार करना और बीमारी को बदतर होने से रोकना है।
देखभाल टीम में ये लोग शामिल हो सकते हैं :
- आर्थोपेडिक
- हाथ का सर्जन
- फिजिकल थेरेपिस्ट