इंसुलिन प्रतिरोध - Insulin Resistance in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

August 03, 2020

December 20, 2023

इंसुलिन प्रतिरोध
इंसुलिन प्रतिरोध

इंसुलिन प्रतिरोध क्या है?

इंसुलिन हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण हार्मोन में से एक है जो शरीर की कई प्रक्रियाओं को कंट्रोल करता है। अग्नाशय (पैनक्रियाज) इंसुलिन हार्मोन का निर्माण करता है जिसे कोशिकाएं सोखती हैं और ग्लूकोज का इस्तेमाल करती हैं। इंसुलिन रेजिस्टेंस या इंसुलिन प्रतिरोध एक ऐसी समस्या है जिसमें आपकी मांसपेशियों, वसा और लिवर में मौजूद कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति सही तरीके से प्रतिक्रिया नहीं देतीं और खून में मौजूद ग्लूकोज का ऊर्जा बनाने के लिए इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं। 

इसकी भरपाई के लिए अग्नाशय और ज्यादा इंसुलिन का निर्माण करने लगता है और समय के साथ आपके शरीर में ब्लड शुगर का लेवल बढ़ जाता है। अगर शरीर में ग्लूकोज या ब्लड शुगर का लेवल सामान्य से अधिक हो जाए लेकिन इतना अधिक नहीं कि यह डायबिटीज का संकेत दे तो डॉक्टर इसे प्रीडायबिटीज के तौर पर मानते हैं। लेकिन समय रहते इसे कंट्रोल न किया जाए तो यह आखिरकार टाइप 2 डायबिटीज का भी कारण बनता है।

(और पढ़ें- इंसुलिन टेस्ट क्या है, कब करवाना चाहिए)

प्रीडायबिटीज आमतौर पर उन्हीं लोगों को होता है जिनमें इंसुलिन प्रतिरोध अधिक होता है। अमेरिका की सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) की मानें तो अमेरिका में हर 3 में से 1 व्यक्ति में इंसुलिन प्रतिरोध की समस्या देखने को मिलती है। इसके अलावा मोटापे से ग्रस्त करीब 44 प्रतिशत महिलाओं में मोटापे की समस्या का सामना कर रहे 33 प्रतिशत बच्चों और किशोरों में भी इंसुलिन प्रतिरोध की समस्या होती है। इंसुलिन प्रतिरोध को इंसुलिन रेजिस्टेंस सिंड्रोम भी कहते हैं जिसमें मोटापा, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल और टाइप 2 डायबिटीज जैसी समस्याओं का एक पूरा ग्रुप शामिल है।

(और पढ़ें- डायबिटीज के मरीजों के लिए अमृत है इंसुलिन प्लांट)

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हालांकि जीवनशैली में बेहद आसान और छोटा सा बदलाव करके भी इंसुलिन प्रतिरोध की स्थिति में बहुत हद तक सुधार किया जा सकता है। इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं कि आखिर इंसुलिन प्रतिरोध होने का कारण क्या है, इसके लक्षण क्या हैं और इसे ठीक कैसे किया जा सकता है।

इंसुलिन प्रतिरोध के लक्षण - Insulin Resistance Symptoms in Hindi

आप कैसे महसूस कर रहे हैं सिर्फ इसके आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि आपको इंसुलिन प्रतिरोध की समस्या है या नहीं। इसके लिए आपको ब्लड टेस्ट करवाने की जरूरत होगी जिससे आपके ब्लड शुगर लेवल का पता चल पाएगा। हालांकि कुछ संकेत और लक्षण हैं जो इंसुलिन प्रतिरोध की समस्या की ओर इशारा करते हैं:

  • पुरुषों की कमर की नाप 40 इंच और महिलाओं की 35 इंच से अधिक हो जाए
  • ब्लड प्रेशर की रीडिंग 130/80 से अधिक हो
  • फास्टिंग ग्लूकोज का लेवल 100मिलीग्राम/dl से ऊपर
  • फास्टिंग ट्राइग्लिसराइड का लेवल 150मिलीग्राम/dl से ऊपर
  • एचडीएल या गुड कोलेस्ट्रॉल का लेवल पुरुषों में 40मिलीग्राम/dl और महिलाओं में 50 मिलीग्राम/dl से कम हो
  • स्किन टैग या त्वचा की चिप्पी

इंसुलिन प्रतिरोध की वजह से मुख्य रूप से ये 2 तरह की सेहत से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं:

  • एकैनथोसिस निग्रीकैन्स- त्वचा से जुड़ी यह समस्या उन लोगों में विकसित हो जाती है जिनमें इंसुलिन प्रतिरोध की समस्या होती है। इसमें पेड़ू और जांघ के जोड़ (ग्रोइन) में, कांख या आर्मपिट में और गर्दन के पीछे के हिस्से में डार्क पैच बनना शामिल है।
  • पीसीओएस- इंसुलिन प्रतिरोध की समस्या पॉलिसिस्टक ओवरी सिंड्रोम या पीसीओएस के लक्षणों को और बिगाड़ सकती है जिसमें अनियमित मासिक धर्म चक्र, बांझपन और मासिक धर्म जिसमें बहुत ज्यादा दर्द होता हो, शामिल है।

डायबिटीज न होने के बावजूद डॉक्टर, खून में इंसुलिन के बढ़ते स्तर को वस्कुलर या नाड़ी संबंधी बीमारियों के बढ़ते जोखिम के साथ जोड़ते हैं, जैसे कि हृदय रोग

इंसुलिन प्रतिरोध के कारण - Insulin Resistance Causes in Hindi

ऐसे कई कारण हैं जो इंसुलिन प्रतिरोध में योगदान देते हैं और ऐसा माना जाता है कि इन्हीं में से एक है आपके खून में फैट का बढ़ा हुआ स्तर। इस बारे में अब तक हो चुके कई अध्ययनों में यह बात सामने आयी है कि खून में फ्री फैटी एसिड की अधिक मात्रा की वजह से कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति सही तरीके से प्रतिक्रिया देना बंद कर देती हैं। फ्री फैटी एसिड के बढ़ने का मुख्य कारण है- बहुत ज्यादा कैलोरीज का सेवन करना और शरीर में बॉडी फैट की अधिकता। इसके अलावा ओवरईटिंग (जरूरत से ज्यादा खाना), वजन बढ़ना और मोटापा ये सारी चीजें इंसुलिन प्रतिरोध से मुख्य रूप से जुड़ी हैं।

(और पढ़ें- एक महीने में फैट से फिट होने का आसार तरीका)

पेट और आसपास के अंगों में जमने वाली चर्बी की वजह से खून में फ्री फैटी एसिड और इन्फ्लेमेटरी हार्मोन्स रिलीज होने लगते हैं जिसकी वजह से इंसुलिन प्रतिरोध की समस्या होती है। इसके अलावा कई और संभावित कारण भी हैं जिनकी वजह से इंसुलिन प्रतिरोध होता है:

  • फ्रक्टोज- इंसानों और चूहों दोनों में फ्रक्टोज का अधिक सेवन करना (अतिरिक्त चीनी खाने से फलों से नहीं) भी इंसुलिन प्रतिरोध से लिंक्ड है।
  • इन्फ्लेमेशन- ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस और शरीर में इन्फ्लेमेशन का बढ़ा हुआ लेवल भी इंसुलिन प्रतिरोध का कारण बन सकता है।
  • असक्रियता- किसी भी तरह की शारीरिक गतिविधि न करना यानी असक्रियता की वजह से भी इंसुलिन प्रतिरोध की समस्या हो सकती है।
  • आंत के सूक्ष्मजीव- आंत के बैक्टीरियल वातावरण में किसी तरह की रुकावट आ जाए तो इसकी वजह से भी इन्फ्लेमेशन हो सकता है और इंसुलिन प्रतिरोध की समस्या हो जाती है।

इसके अलावा कई और जेनेटिक और सोशल फैक्टर्स के कारण भी इंसुलिन प्रतिरोध की समस्या हो सकती है।

इंसुलिन प्रतिरोध का निदान - Diagnosis of Insulin Resistance in Hindi

इंसुलिन प्रतिरोध की समस्या को डायग्नोज करने के लिए कई तरह के टेस्ट किए जाते हैं:

  • ए1सी टेस्ट- यह पिछले 2-3 महीनों में एक व्यक्ति के औसत ब्लड शुगर के स्तर को नापता है।
  • फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज टेस्ट- जब कोई व्यक्ति 8 घंटे या इससे अधिक समय तक फास्टिंग करता है (न कुछ खाता है, न पीता है) तो उसके बाद डॉक्टर ग्लूकोज के लेवल को चेक करते हैं।
  • अनियमित ग्लूकोज टेस्ट- इसमें डॉक्टर दिन के किसी विशेष समय के दौरान खून में ग्लूकोज के स्तर की जांच करते हैं।

(और पढ़ें- ब्लड शुगर टेस्ट क्या है, क्यों किया जाता है)

डॉक्टर आमतौर पर एक सटीक डायग्नोसिस सुनिश्चित करने के लिए इनमें से एक से अधिक टेस्ट का अनुरोध करते हैं। अगर ब्लड शुगर का स्तर लगातार एक सामान्य सीमा से बाहर हो जाता है, तो यह संकेत दे सकता है कि शरीर इंसुलिन के लिए प्रतिरोधी बन रहा है। 

इंसुलिन प्रतिरोध का उपचार - Insulin Resistance Treatment in Hindi

इंसुलिन प्रतिरोध को कम करना काफी आसान है। आप अपनी जीवनशैली को निम्न तरीकों से बदलकर अक्सर इस स्थिति को पूरी तरह से उलट सकते हैं:

  • एक्सरसाइज- इंसुलिन संवेदनशीलता और इंसुलिन प्रतिरोध इन दोनों ही स्थितियों को दूर करने का सबसे आसान तरीका है एक्सरसाइज और इसका असर तुरंत दिखने लगता है। 
  • पेट की चर्बी कम करें- व्यायाम और अन्य तरीकों के माध्यम से पेट और उसके आसपास के अंगों के में जमा होने वाले फैट को कम करना महत्वपूर्ण है। (और पढ़ें- 5 दिन में पेट की चर्बी कम करने का आसान तरीका)
  • धूम्रपान की आदत छोड़ें- तंबाकू का सेवन और धूम्रपान करने की वजह से भी इंसुलिन प्रतिरोध की समस्या हो सकती है इसलिए धूम्रपान की आदत को तुरंत छोड़ें।
  • चीनी का सेवन कम करें- अतिरिक्त चीनी की मात्रा का सेवन न करें खासकर मीठे पेय पदार्थ न पिएं।
  • स्वस्थ और संतुलित डायट का सेवन- साबुत अनाज, बिना प्रोसेस वाले खाद्य पदार्थों से भरपूर स्वस्थ और संतुलित डायट का सेवन करें जिसमें सूखे मेवे और फैटी फिश शामिल हो।
  • ओमेगा 3 फैटी एसिड- इन फैट्स का सेवन करने से इंसुलिन प्रतिरोध को ब्लड ट्राग्लिसराइड्स को कम करने में मदद मिलती है।
  • पर्याप्त नींद लें- कई अध्ययनों में यह बात भी सामने आयी है कि अच्छी और पर्याप्त नींद लेने से इंसुलिन प्रतिरोध को बेहतर बनाने में मदद मिलती है।
  • तनाव को कम करें- अगर आप आसानी से अभिभूत हो जाते हैं तो अपने तनाव के स्तर को प्रबंधित करने का प्रयास करें। इसमें ध्यान या मेडिटेशन विशेष रूप से आपकी मदद कर सकता है।

इस सूची की अधिकांश आदतें अच्छी सेहत, लंबी उम्र और बीमारी से बचाव से जुड़ी हैं। इंसुलिन प्रतिरोध का इलाज प्रभावी हो पाए इसके लिए डॉक्टर से बात करके इलाज के विभिन्न विकल्पों के बारे में बात करें।

इंसुलिन प्रतिरोध के जोखिम और जटिलताएं - Insulin Resistance Risks & Complications in Hindi

इंसुलिन प्रतिरोध के जोखिम कारकों में ये चीजें शामिल हैं:

प्रीडायबिटीज और डायबिटीज के लिए ऐसे कई जोखिम कारक हैं जो हृदय रोग और अन्य हृदय और मस्तिष्क संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं जैसे- स्ट्रोक और हृदय रोग के लिए भी अहम जोखिम कारक हैं।  



संदर्भ

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  2. Mesarwi, O., Polak, J., Jun, J., & Polotsky, V. Y. (2013) Sleep disorders and the development of insulin resistance and obesity Endocrinology and metabolism clinics of North America, 42(3), 617–634. https://doi.org/10.1016/j.ecl.2013.05.001
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  4. Ramel A, Martinéz A, Kiely M, Morais G, Bandarra NM, Thorsdottir I. Beneficial effects of long-chain n-3 fatty acids included in an energy-restricted diet on insulin resistance in overweight and obese European young adults Diabetologia. 2008;51(7):1261-1268.