इंसुलिन प्रतिरोध क्या है?
इंसुलिन हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण हार्मोन में से एक है जो शरीर की कई प्रक्रियाओं को कंट्रोल करता है। अग्नाशय (पैनक्रियाज) इंसुलिन हार्मोन का निर्माण करता है जिसे कोशिकाएं सोखती हैं और ग्लूकोज का इस्तेमाल करती हैं। इंसुलिन रेजिस्टेंस या इंसुलिन प्रतिरोध एक ऐसी समस्या है जिसमें आपकी मांसपेशियों, वसा और लिवर में मौजूद कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति सही तरीके से प्रतिक्रिया नहीं देतीं और खून में मौजूद ग्लूकोज का ऊर्जा बनाने के लिए इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं।
इसकी भरपाई के लिए अग्नाशय और ज्यादा इंसुलिन का निर्माण करने लगता है और समय के साथ आपके शरीर में ब्लड शुगर का लेवल बढ़ जाता है। अगर शरीर में ग्लूकोज या ब्लड शुगर का लेवल सामान्य से अधिक हो जाए लेकिन इतना अधिक नहीं कि यह डायबिटीज का संकेत दे तो डॉक्टर इसे प्रीडायबिटीज के तौर पर मानते हैं। लेकिन समय रहते इसे कंट्रोल न किया जाए तो यह आखिरकार टाइप 2 डायबिटीज का भी कारण बनता है।
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प्रीडायबिटीज आमतौर पर उन्हीं लोगों को होता है जिनमें इंसुलिन प्रतिरोध अधिक होता है। अमेरिका की सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) की मानें तो अमेरिका में हर 3 में से 1 व्यक्ति में इंसुलिन प्रतिरोध की समस्या देखने को मिलती है। इसके अलावा मोटापे से ग्रस्त करीब 44 प्रतिशत महिलाओं में मोटापे की समस्या का सामना कर रहे 33 प्रतिशत बच्चों और किशोरों में भी इंसुलिन प्रतिरोध की समस्या होती है। इंसुलिन प्रतिरोध को इंसुलिन रेजिस्टेंस सिंड्रोम भी कहते हैं जिसमें मोटापा, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल और टाइप 2 डायबिटीज जैसी समस्याओं का एक पूरा ग्रुप शामिल है।
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हालांकि जीवनशैली में बेहद आसान और छोटा सा बदलाव करके भी इंसुलिन प्रतिरोध की स्थिति में बहुत हद तक सुधार किया जा सकता है। इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं कि आखिर इंसुलिन प्रतिरोध होने का कारण क्या है, इसके लक्षण क्या हैं और इसे ठीक कैसे किया जा सकता है।