ह्यूमन मोनोसाइटिक अर्लीकायोसिस क्या है?
ह्यूमन मोनोसाइटिक अर्लीकायोसिस (एचएमई) एक दुर्लभ संक्रामक रोग है, जिसे कई रोगों के समूह ह्यूमन अर्लीकायोसिस के रूप में जाना जाता है। ये रोग 'अर्लीकिया' वर्ग से जुड़े एक बैक्टीरिया के कारण होता है। यहां अर्लीकायोसिस का मतलब बैक्टीरिया के कारण होने वाली बीमारी से है। ह्यूमन अर्लीकायोसिस कई तरह का होता है, इसमें ह्यूमन मोनोसाइटिक अर्लीकायोसिस, सेनेत्सु बुखार (दुर्लभ संक्रामक रोग) और ह्यूमन ग्रैनुलोसाइटिक अर्लीकायोसिस शामिल हैं।
वर्ष 1980 में अर्लीकायोसिस की मानव रोग के रूप में पहचान की गई थी। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) के अनुसार, ज्यादातर रिपोर्ट दक्षिण-पूर्व और दक्षिण-मध्य संयुक्त राज्य अमेरिका में पाए गए हैं। सीडीसी की 2006 में एक सालाना औसत रिपोर्ट आई थी, जिसमें 2001-2002 के आंकड़ों के आधार पर यह जाना गया कि प्रति 10 लाख की जनसंख्या पर 0.7 लोग इस बीमारी से ग्रस्त थे।
ह्यूमन मोनोसाइटिक अर्लीकायोसिस के लक्षण
एचएमई से ग्रस्त लोगों में लक्षण उम्र और उनके स्वास्थ्य के आधार पर हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं। टिक (सूक्ष्म कीट) के काटने (टिक बाइट्स) के एक सप्ताह के अंदर लक्षण दिखना शुरू हो जाते हैं। इसके लक्षणों में शामिल हैं:
- अक्सर बुखार आना
- गंभीर सिरदर्द
- बीमार महसूस करना
- मांसपेशियों में दर्द
- ठंड लगना
अन्य लक्षणों में जी मचलाना, उल्टी, उलझन में रहना और जोड़ों में दर्द जैसी समस्या हो सकती है। कुछ मामलों में चकत्ते भी दिखाई दे सकते हैं।
ह्यूमन मोनोसाइटिक अर्लीकायोसिस के कारण
ह्यूमन मोनोसाइटिक अर्लीकायोसिस 'अर्लीकिया' वर्ग से जुड़े एक बैक्टीरिया के कारण होता है। रिपोर्ट किए गए ज्यादातर मामले ई.चैफिनसिस (एक प्रकार का बैक्टीरिया) के साथ संक्रमण की वजह से पाए गए हैं।
ह्यूमन मोनोसाइटिक अर्लीकायोसिस में सावधानी
अर्लीकायोसिस को रोकने के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है इसलिए टिक के काटने से बचना ही इसका कारगर उपाय है। इसके अलावा पालतू जानवरों को टिक न लगने दें और आंगन व घर को भी साफ रखें, ताकि अर्लीकायोसिस जैसी बीमारी से बचा जा सके। टिक घास, घने क्षेत्र या जंगली क्षेत्रों में रहते हैं इसलिए कैम्पिंग, बागवानी करते समय आप टिक के संपर्क में आ सकते हैं। ऐसे में खुद को, अपने परिवार और पालतू जानवरों को इनसे बचाने के लिए सावधान रहें। वैसे तो टिक पूरे साल सक्रिय रहते हैं, लेकिन ये गर्मी के महीनों (अप्रैल-सितंबर) के दौरान सबसे अधिक प्रभावित करते हैं।
निदान व टेस्ट
डॉक्टर खून की जांच करवाने की सलाह दे सकते हैं, ताकि अर्लीकायोसिस या अन्य किसी स्वास्थ्य समस्या का पता चल सके। वैसे इन टेस्ट के परिणाम में आने में कई सप्ताह का समय लग सकता है। यदि डॉक्टर को लगता है कि अर्लीकायोसिस या कोई अन्य संक्रमण है, तो जब तक टेस्ट का परिणाम नहीं आता तब तक के लिए वे एंटीबायोटिक लेने की सलाह दे सकते हैं।
ह्यूमन मोनोसाइटिक अर्लीकायोसिस का इलाज
डॉक्सीसाइक्लिन जैसी एंटीबायोटिक के सेवन से बीमारी को गंभीर होने से या मृत्यु को रोका जा सकता है।