हर्निया तब होता है जब पेट की मांसपेशियां इतनी कमज़ोर हो जाती हैं कि उनमें छेद हो जाता है, और पेट के अंग इस छेद बाहर आने लगते हैं।
ऐसी कमज़ोरी जन्म से होती है या फिर सर्जरी के कारण होती है या फिर व्यायाम की कमी से होती है। व्यायाम न करने से आपकी मांसपेशियों में कमज़ोरी आने लग जाती है और अधिक वसा की वजह से आपके पेट के निचले क्षेत्र पर भार पड़ने लगता है। भारी वज़न उठाने की वजह से आपकी कमज़ोर मांसपेशियों में दबाव पड़ने लगता है या पुराने कफ या कब्ज की वजह से भी ये गैप बनने लगते हैं और आखिर में व्यक्ति हर्निया का शिकार हो जाता है।
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जब एक बार ये गैप बन जाए तो योग इसका इलाज नहीं कर सकता। इसके लिए आपको फिर सर्जरी की ज़रूरत पड़ती है। योग आपके पेट की मांसपेशियों को मजबूत करके, वसा को दूर करके और स्वस्थ रहकर फिर से इस समस्या को होने से रोकता है। इसके साथ ही आपको बता दें योग की मदद से हर्निया को पहले चरण से ही रोका जा सकता है।
हर्निया के तीन मुख्य प्रकार हैं -
- इनगुइनल हर्निया। (और पढ़ें - इनगुइनल हर्निया की सर्जेरी)
- अम्बिलिकल हर्निया। (और पढ़ें - अम्बिलिकल हर्निया की सर्जेरी)
- हाइटल हर्निया।
पहले दोनों में सर्जरी ही सबसे अच्छा इलाज है। अगर आपको हाइटल हर्निया है तो ऐसे आसान न करें जिनसे पेट के निचले हिस्से पर दबाव पड़ता है जैसे भुजंगासन, धनुरासन, और सेतुबंधासन। किसी ज्ञानी योग गुरु के साथ ही हर्निया के लिए योग करें वर्ना नुकसान हो सकता है।
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अगर आपने हर्निया के लिए करवाई है तो आपको योग दो या तीन हफ्ते बाद शुरू करना चाहिए और अगर आपको बहुत बड़ी सर्जरी हुई है तो सर्जरी के बिल्कुल ठीक होने के अंतिम चरणों में योग को शुरू करना चाहिए। धीरे धीरे योगासन शुरू करें, लेकिन बेहतर होगा अगर आप अपने डॉक्टर या किसी योग ट्रेनर की मदद लें। रिकवरी के समय में ऐसे आसान न करें जिनमें - दोनों टाँगे एक साथ उठानी पड़े, आगे या पीछे मुड़ना पड़े, साइड में झुकना पड़े, रीढ़ की हड्डी में मरोड़ आये, सूर्य नमस्कार और उष्ट्रासन भी न करें।
तो आइये आपको बताते हैं हर्निया के लिए कुछ योग -