जब शरीर का कोई अंदरुनी अंग या उसका हिस्सा असामान्य रूप से शरीर के किसी दूसरे भाग में चला जाता है, तो इस स्थिति को हर्निया कहा जाता है।

डायाफ्राम के अंदर एक छेद को हाइटस (Hiatus) कहा जाता है, यह मांसपेशियों से बनी एक प्रकार की दीवार होती है, जो छाती के हिस्से को पेट से अलग करती है। सामान्य रूप से सिर्फ भोजन नली (फूड पाइप) ही हाइटस के अंदर से निकली होती है और पेट से जुड़ी होती है। जब पेट का कोई छोटा हिस्सा हाइटस के छेद के अंदर से निकल कर छाती के हिस्से में चला जाता है, तो स्थिति को हाइटल हर्निया या हाइटस हर्निया कहा जाता है।

(और पढ़ें - हर्निया के घरेलू उपाय)

  1. हाइटल हर्निया क्या है - What is Hiatal hernia in Hindi
  2. हाइटल हर्निया के प्रकार - Types of Hiatal hernia in Hindi
  3. हाइटल हर्निया के लक्षण - Hiatal hernia Symptoms in Hindi
  4. हाइटल हर्निया के कारण और जोखिम कारक - Hiatal hernia Causes & Risk Factors in Hindi
  5. हाइटल हर्निया की रोकथाम - Prevention of Hiatal hernia in Hindi
  6. हाइटल हर्निया का परीक्षण - Diagnosis of Hiatal hernia in Hindi
  7. हाइटल हर्निया का इलाज - Hiatal hernia Treatment in Hindi
  8. हाइटल हर्निया की जटिलताएं - Hiatal hernia Complications in Hindi
हाइटल हर्निया के डॉक्टर

हाइटल हर्निया किसे कहते हैं?

जब पेट का ऊपरी भाग डायाफ्राम के छेद (हाइटस) से निकल कर छाती के हिस्से में चला जाता है, तो इस स्थिति को हाइटल हर्निया कहा जाता है। डायाफ्राम मांसपेशियों से बनी एक पतली परत होती है, जो छाती और पेट को एक-दूसरे से अलग करती है। डायाफ्राम में एक खुली जगह होती है जहाँ भोजननली और पेट जुड़ते हैं।  

(और पढ़ें - हर्निया में परहेज)

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हाइटल हर्निया कितने प्रकार का होता है?

हाइटल हर्निया के मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं, स्लाइडिंग हाइटल हर्निया और पैराइसोफेजियल हाइटल हर्निया।

  • स्लाइडिंग हाइटल हर्निया:
    यह हाइटल हर्निया का एक आम प्रकार है। इसमें पेट व भोजन नली का वह भाग जो आपस में जुड़ा होता है, वह हाइटस के छेद में से ऊपर की तरफ निकल छाती में चला जाता है।
     
  • पैराइसोफेजियल हर्निया:
    पैराइसोफजियल हर्निया इतना आम नहीं होता, लेकिन अधिक हानिकारक होता है। इस स्थिति में भोजन नली और पेट अपनी सामान्य जगह पर रहते हैं, लेकिन पेट का एक हिस्सा हाइटस के अंदर से ऊपर की तरफ निकल जाता है। इस स्थिति में पेट का वह हिस्सा भोजन नली की बराबर में जाकर फंस जाता है। कभी-कभी इस स्थिति में किसी प्रकार के लक्षण पैदा नहीं होते, लेकिन यह हानिकारक होता है क्योंकि इस से पेट में ऐंठन आ सकती है और परिणामस्वरूप खून की सप्लाई भी बंद हो सकती है।

हाइटल हर्निया से क्या लक्षण विकसित होते हैं?

यदि हाइटल हर्निया में पेट का छोटा सा ही हिस्सा प्रभावित हुआ है, तो उस से किसी प्रकार के लक्षण पैदा नहीं होते हैं। लेकिन बड़ा हिस्सा प्रभावित होने से कई लक्षण हो सकते हैं, जैसे:

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

यदि आपको हाइटल हर्निया से संबंधित लगातार कोई लक्षण महसूस हो रहा है या कोई भी ऐसा संकेत जिससे आपको चिंता हो रही है, तो आपको जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए।

हाइटल हर्निया क्यों होता है?

हाइटल हर्निया आमतौर पर मांसपेशियों के ऊतक कमजोर होने के कारण होता है, इस स्थिति में  पेट का एक हिस्सा हाइटस से निकल कर छाती के भाग में चला जाता है। आमतौर पर हाइटल हर्निया के सभी मामलों के कारण का स्पष्ट रूप से पता नहीं होता है, हालांकि इसके कारणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:

  • उम्र के साथ-साथ डायाफ्राम में होने वाले कुछ बदलाव (जैसे डायाफ्राम की मांसपेशियां कमजोर पड़ना)
  • डायाफ्राम के हिस्से में किसी प्रकार की क्षति (जैसे चोट लगना या किसी प्रकार की सर्जरी आदि करवाना)
  • जन्म से ही हाइटस का आकार असामान्य रूप से बड़ा होना
  • आस-पास की मांसपेशियों में लगातार प्रेशर बना रहना, जैसे खांसने, उल्टी करने, मल त्याग करने, भारी वजन उठाने या कोई व्यायाम करने के दौरान।

हाइटल हर्निया होने का खतरा कब बढ़ता है?

हाइटल हर्निया होना के जोखिम निम्न लोगों में अधिक होते हैं:

  • 50 साल या उससे अधिक लोग
  • मोटापे से ग्रस्त लोग
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हाइटल हर्निया की रोकथाम कैसे करें?

कुछ उपायों की मदद से हाइटल हर्निया होने से बचाव किया जा सकता है:

  • शरीर का सही वजन बनाए रखना

कुछ उपायों की मदद से हाइटल हर्निया के लक्षणों से बचाव किया जा सकता है, जैसे:

  • ढीले-ढाले कपड़े पहनना: अधिक टाइट कपड़े पेट के प्रभावित हिस्से पर दबाव डाल सकते हैं, जिससे हाइटल हर्निया के लक्षण और अधिक बदतर हो सकते हैं।
     
  • आगे की तरफ ना मुड़ना: खासतौर पर अगर आपका पेट भरा हुआ है, तो आपको आगे की तरफ नहीं मुड़ना चाहिए। क्योंकि ऐसे में पेट के अंदर और अधिक दबाव बढ़ जाता है, जिससे एसिड रिफ्लक्स (सीने में जलन) होने का खतरा हो जाता है।
     
  • खाना खाने के बाद न लेटें: भोजन करने के 2 से 3 घंटों तक लेटना नहीं चाहिए, क्योंकि ऐसे में भी पेट के अंदर दबाव बढ़ता है।
     
  • सोते समय सिर के स्तर को ऊंचा रखें: ऐसा करने के लिए आप अपने बेड की अगली टांगों के नीचे कुछ ब्लॉक लगा कर उसे 6 से 8 इंच तक उठा सकते हैं।

हाइटल हर्निया का परीक्षण कैसे किया जाता है?

हाइटल हर्निया का परीक्षण करने के लिए कई प्रकार के टेस्ट किए जा सकते हैं। इनमें मुख्य रूप से बेरियम स्वॉलो टेस्ट, एंडोस्कोपी और पीएच टेस्ट शामिल हैं।

  • बेरियम स्वॉलो:
    इस टेस्ट के दौरान मरीज को एस विशेष प्रकार का द्रव पिलाया जाता है और उसके बाद उसका एक्स रे किया जाता है। इस टेस्ट की मदद से मरीज इसोफेगस (जैसे निगलने से संबंधित समस्याएं) और पेट (जैसे पेट में अल्सर या ट्यूमर) संबंधित समस्याओं का पता लगाया जाता है। इसकी मदद से हाइटल हर्निया के आकार का भी पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा यदि हर्निया के कारण पेट में किसी प्रकार की मरोड़ या ऐंठन आ गई है, तो भी इस टेस्ट की मदद से पता लगाया जाता है।
     
  • एंडोस्कोपी:
    यह एक प्रक्रिया होती है, जिसमें एंडोस्कोप की मदद से ऊपरी पाचन तंत्र का परीक्षण किया जाता है। एंडोस्कोप एक लंबी, पतली व लचीली ट्यूब के जैसा उपकरण होता है, जो शरीर के अंदर जाकर जांच करता है।
     
  • पीएच टेस्ट:
    यह टेस्ट इसोफेगस में एसिड के स्तर की जांच करता है और यह निर्धारित करने में मदद करता है कि इसोफेगस में एसिड जाने पर कौन से लक्षण विकसित हुऐ हैं।

हाइटल हर्निया का इलाज कैसे किया जाता है?

हाइटल हर्निया के ज्यादातर मामलों में इलाज करवाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। यदि हाइटल हर्निया से किसी प्रकार के लक्षण पैदा हो रहे हैं, तो उनके अनुसार ही इलाज निर्धारित किया जाता है। यदि आपको एसिड रिफ्लक्स व सीने में जलन जैसी समस्याएं हैं, तो आपका इलाज दवाओं से किया जाएगा और अगर दवाएं काम ना कर पाएं, तो सर्जरी करनी पड़ सकती है।

दवाएं

डॉक्टर हाइटल हर्निया का इलाज करने के लिए कुछ दवाएं भी दे सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • पेट मे मौजूद अम्ल के प्रभाव को कम करने के लिए कुछ दवाएं
  • एच2 रिसेप्टर ब्लॉकर दवाएं, जो पेट बन रहे एसिड की मात्रा को कम करती है।
  • प्रोटोन पंप इनहिबिटर दवाएं, पेट में बनने वाले एसिड को रोकने के लिए जिससे इसोफेगस को ठीक होने के लिए समय मिल जाता है।

सर्जरी

यदि दवाएं काम ना कर पाएं तो, हाइटल हर्निया के लिए आपको सर्जरी करवाने की आवश्यकता पड़ सकती है। हालांकि, आमतौर कम ही मामलों में सर्जरी का सुझाव दिया जाता है।

इस स्थिति में कुछ प्रकार की सर्जिकल प्रक्रियाएं की जा सकती हैं:

  • इसोफेगस की कमजोर मांसपेशी को फिर से बनाना
  • पेट को वापस अपनी सामान्य जगह पर लाना और आपके हाइटस हर्निया का आकार छोटा करना।

सर्जरी करने के लिए डॉक्टर या तो छाती या पेट में एक सामान्य चीरा लगाते हैं या फिर लेप्रोस्कोपिक सर्जरी करते हैं, जिसमें ठीक होने का समय भी कम होता है।

सर्जरी करने के बाद भी हर्निया फिर से भी विकसित हो सकता है। निम्न की मदद से इसके खतरे को कम किया जा सकता है:

  • शरीर का सामान्य वजन बनाए रखना
  • अधिक भारी वजन न उठाना या किसी की मदद से उठाना
  • पेट की मांसपेशियों में तनाव या खिंचाव आने से बचाव रखना
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हाइटल हर्निया से क्या जटिलताएं होती हैं?

यदि सही तरीके से व पूरी तरह से इसका इलाज किया जाए और जीवनशैली में कुछ आवश्यक बदलाव किए जाएं, तो हाइटल हर्निया से होने वाली समस्याओं को काफी कम किया जा सकता है। यदि इसका इलाज ना किया जाए, तो इससे कुछ जटिलताएं विकसित हो सकती हैं जैसे स्ट्रेंगुलेटेड हाइटल हर्निया।

जिन मामलों में हाइटल हर्निया और जीईआरडी एक साथ होते हैं, तो ऐसे में कुछ अन्य जटिलताएं विकसित हो सकती हैं जैसे रक्तस्राव होना और इसोफेगस में छेद होना। इसके अलावा इसमें खाने की नली के कैंसर होने का खतरा भी काफी अधिक बढ़ जाता है।

Dr. Paramjeet Singh.

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