हर्निया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर का कोई अंग या फिर टीशू (ऊतक) शरीर के कमजोर हिस्से से बाहर की ओर उभरने लगता है। शरीर के ये कमजोर हिस्से जन्मजात होने के अलावा किसी भी उम्र में हो सकते हैं।

हर्निया किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। इसकी शिकायत पुरूषों और महिलाओं दोनों में समान रूप से पाई जाती है। हर्निया की सबसे ज्यादा शिकायतें पेट की परत पर देखी जाती हैं। हालांकि, टीशू और शरीर के अलग-अलग हिस्सों के आधार पर अलग-अलग तरह के हर्निया हो सकते हैं। आइए जानते हैं हर्निया के कुछ प्रकार:

  • इनगुइनल (Inguinal) हर्निया: यह हर्निया कमर और जांघ के बीच वाले हिस्से में होता है।
  • अम्बिलिकल (Umbilical) हर्निया: इस तरह का हर्निया नाभि के आसपास के क्षेत्र में होता है।
  • इंसिज़नल (Incisional) हर्निया: यह हर्निया चोटिल हुए टीशू से होता है।
  • हाइटल (Hiatal) हर्निया: इस तरह का हर्निया डायाफ्राम में किसी तरह का छेद होने से होता है।
  • अबस्ट्रेक्टेड (Obstructed) या इनकेर्सेरेटेड (incarcerated) हर्निया: इस तरह का हर्निया बड़ी आंत में रुकावट होने से होता है।
  • स्ट्रैंगुलेटेड(Strangulated) हर्निया: यह हर्निया आंत के टीशू में खून की सप्लाई में रुकावट पैदा करता है। इस तरह का हर्निया खतरनाक हो सकता है।

ज्यादातर हर्निया शरीर के किसी हिस्से पर सूजन या फिर उभार के रूप में सामने आता है। इस तरह के हर्निया के साइज लेटने पर या फिर खांसते समय आकार में छोटे-बड़े भी होते रहते हैं। शरीर के किसी हिस्से में छेद के कारण कई बार हर्निया से पीड़ित व्यक्ति को झुकने पर या फिर भारी बोझ उठाने पर तकलीफ महसूस हो सकती है। कई बार हर्निया के कारण कब्ज और दर्द जैसे लक्षण भी सामने आने लगते हैं।

(और पढ़ें - हर्निया का घरेलू उपाय)

हर्निया की जांच के लिए शारीरिक परीक्षण के बाद इमेजिंग टेस्ट किया जाता है, जिससे इसकी पुष्टि होती है। हर्निया के उपचार के लिए सर्जरी सबसे बेहतर विकल्प माना जाता है। हालांकि, नक्स वोमिका (Nux Vomica), ओपियम (Opium), टैबकम (Tabacum) और अन्य तरह की होम्योपैथिक दवाएं भी हर्निया के लक्षणों को नियंत्रित करने में कारगर साबित हुई हैं।

  1. होम्योपैथी में हर्निया का इलाज कैसे होता है - Homeopathy me hernia ka ilaaj kaise hota hai
  2. हर्निया की होम्योपैथिक दवा - Hernia ki homeopathic medicine
  3. होम्योपैथी में हर्निया के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me hernia ke liye khan-pan aur jeevanshaili ke badlav
  4. हर्निया के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Hernia ke homeopathic ilaj ke nuksan aur jokhim karak
  5. हर्निया के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Hernia ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
हर्निया की होम्योपैथिक दवा और इलाज के डॉक्टर

होम्योपैथिक दवाओं के जरिए हर्निया का प्राकृतिक ढंग से इलाज किया जाता है और इस उपचार से लक्षणों में भी आराम मिलता है। पौधों और खनिज से तैयार की गई होम्योपैथिक दवाएं मरीज के लक्षणों और उसे कोई अन्य बीमारी होने की संभावना के आधार पर बहुत थोड़ी और नियंत्रित मात्रा में दी जाती हैं। इस तरह से होम्योपैथी में व्यक्ति के आधार पर हर्निया का सरल इलाज संभव है, जिसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। होम्योपैथिक इलाज का उद्देश्य हर्निया के मुख्य कारण का इलाज करते हुए उसे जड़ से खत्म करना होता है ताकि वह समस्या व्यक्ति को दोबारा ना हो।

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  • एस्कुलस हिप्पोकैस्टेनम (Aesculus Hippocastanum) 
    सामान्य नाम: हॉर्स चेस्टनेट (Horse Chestnut)
    लक्षण: यह दवा इनगुइनल हर्निया के इलाज में दी जाती है। इस दवा से निम्नलिखित लक्षणों में सुधार किया जा सकता है:
  • साइलीशिया (Silicea) 
    सामान्य नाम: सिलिका (Silica)
    लक्षण: निम्नलिखित लक्षणों के इलाज में सिलिका का इस्तेमाल किया जाता है:
  • नक्स वोमिका (Nux Vomica) 
    सामान्य नाम: पॉइजन नट (Poison Nut)
    लक्षण: नक्स वोमिका का इस्तेमाल अलग-अलग तरह के हर्निया के इलाज में किया जाता है। इसका इस्तेमाल केवल बड़ों के लिए ही नहीं बल्कि नवजात शिशुओं के नाभि में हुए हर्निया के उपचार में किया जाता है। इस दवा का इस्तेमाल व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण दिखने पर किया जाता है: 
  • कैल्केरिया कार्बोनिका (Calcarea Carbonica)
    सामान्य नाम: कार्बोनेट ऑफ लाइम (Carbonate of lime)
    लक्षण: यह दवा बच्चों को होने वाले उस हर्निया के उपचार में बेहतर काम करती है, जिसमें उनके सिर पर बहुत अधिक पसीना होता है। हालांकि, इस दवा का इस्तेमाल बुजुर्गों के लिए ज्यादा नहीं करना चाहिए। इस दवा का इस्तेमाल निम्नलिखित लक्षण में किया जाता है:
  • रस टाक्सिकोडेन्ड्रन​ (Rhus Toxicodendron)
    सामान्य नाम: पॉइजन आईवी (Poison Ivy)
    लक्षण: इस दवा का इस्तेमाल उन लोगों के उपचार के लिए किया जाता है, जिन्हें भारी-भरकम सामानों को उठाने के कारण हर्निया हो जाती है। पॉइजन आईवी का इस्तेमाल उन लोगों के लिए फायदेमंद होता है, जिनमें निम्नलिखित लक्षण दिखते हैं:  
    • मुंह और गला सूखने के कारण तेज प्यास लगना। (और पढ़ें - गला सूखने पर क्या करना चाहिए)
    • मुंह में हमेशा कड़वाहट बने रहना।
    • खाना खाने के बाद शरीर में सूजन महसूस होना।
    • मुंह के कोने में छोटा सा अल्सर होना। 
    • जीभ का फटना, जो लाल दिखता है।
    • तेज दर्द महसूस होना, जो पेट के बल लेटने से कम हो जाता है। (और पढ़ें - नसों में दर्द का इलाज)
    • आंतरिक ग्रंथि में सूजन।
       
  • लाइकोपोडियम क्लेवेटम​ (Lycopodium Clavatum)
    सामान्य नाम: क्लब मास (Club moss)
    लक्षण: इस दवा का इस्तेमाल व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण दिखने पर किया जाता है:
    • ज्यादा भूख लगना। (और पढ़ें - भूख न लगने के कारण)
    • मीठा खाने की इच्छा होना।
    • खाना खाने के बाद पेट सूजना और दर्द।
    • व्यक्ति को आधी रात को तेज भूख लग सकती है और उसे गरम पेय पदार्थ पीने की इच्छा होती है।
    • दाहिनी साइड में हर्निया होने की प्रवृत्ति।
    • पेट पर भूरे रंग के धब्बे दिखना।
    • पेट के निचले हिस्से में दाईं ओर से शुरू होकर बाईं ओर जाने वाला दर्द होना।
    • कड़े और छोटे-छोटे हिस्सों में मल होना, जिसकी वजह से मल त्याग करने में कठिनाई होना।
    • हाथ और पैर सुन्न होना।
       
  • ओपियम (Opium)
    सामान्य नाम: पॉपी (Poppy)
    लक्षण: पॉपी का इस्तेमाल ऑब्सट्रैक्टेड हर्निया में किया जाता है। इस दवा का इस्तेमाल व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षणों के इलाज में किया जाता है:
    • गले और मुंह का सूखना।
    • जीभ का रंग फीका पड़ना और छाले पड़ना।
    • भूख न लगना और बहुत प्यास लगना।
    • पाचन तंत्र का कमजोर होना, जिसके कारण खाना पचने में देरी होना। (और पढ़ें - पाचन तंत्र के रोग के लक्षण)
    • मतली होने के साथ उल्टी या मल में खून आना।
    • पेट में भारीपन या फिर दबाव महसूस होना, जिसके कारण दर्द और परेशानी होना।
    • पेट में गड़गड़ाहट होने के साथ दर्द होना।
    • आंत के धीमे काम करने के कारण कब्ज।
    • सीने में दर्द होना और बुरे सपने आना।
       
  • टैबेकम (Tabacum)
    सामान्य नाम: तंबाकू (Tobacco)
    लक्षण: टैबेकम का इस्तेमाल तेज दर्द के साथ होने वाले इन्कार्सेरेटेड हर्निया के उपचार में किया जाता है। इस दवा का इस्तेमाल उन व्यक्तियों के लिये किया जाता है, जिन्हें निम्नलिखित लक्षण अनुभव होते है:
    • उदासी, बेचैनी और खुद को एक जगह एकाग्र करने में दिक्कत आना।
    • बार-बार सिरदर्द के साथ भ्रम और वर्टिगो होना।
    • बार-बार छींक आना और नाक का सूखापन।
    • पेट में बार-बार जलन के साथ दर्द होना।
    • कब्ज होना।
       
  • थूजा ऑक्सिडेंटलिस (Thuja Occidentalis)
    सामान्य नाम: अर्बोर वीटाय (Arbor Vitae)
    लक्षण: इस दवा का इस्तेमाल व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण पाए जाने पर किया जाता है:
    • भूख न लगना। 
    • पेट दर्द होना। (और पढ़ें - पेट दर्द के घरेलू उपाय)
    • अधिक प्यास लगना।
    • पेट फूलना।
    • खाना खाने के बाद पेट में दर्द होना।
    • क्रॉनिक डायरिया होना, खासतौर पर सुबह के समय।
    • कब्ज।
    • गूदा में दर्द।
    • एनल फिशर
    • जीभ की नोक पर दर्द होना।
    • मसूड़ों का संवेदनशील होना। (और पढ़ें: पायरिया के लक्षण)

एक व्यक्ति के बाएं अंडकोश में हुए इनगुइनल हर्निया को थूजा ऑक्सिडेंटलिस का इस्तेमाल करके दो महीनों में बिना किसी साइड इफेक्ट के सफलतापूर्वक ठीक किया गया। उसके बाद व्यक्ति को किसी भी हर्निया की शिकायत नहीं हुई।

  • प्लंबम मेटालिकम (Plumbum metallicum)
    सामान्य नाम: लेड (Lead)
    लक्षण: इस दवा का इस्तेमाल स्ट्रैंगुलेटेड हर्निया के इलाज में किया जाता है। हालांकि, यह बच्चों के लिए उपयुक्त नहीं है। सामान्य व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण दिखने पर इस दवा का इस्तेमाल किया जाता है:
    • गले में दर्द होना और ऐसा लगना मानों गले में कोई गेंद अटक गई हो।
    • तला-भुना खाने की इच्छा होना और बहुत प्यास लगना।
    • पेट में तनाव होने के साथ लगातार बाइल जूस या खून की उल्टी होना और निगलने में कठिनाई। (और पढ़ें - उल्टी रोकने के घरेलू उपाय)
    • नाभि के आसपास खिंचाव होना और ऐसा महसूस होना, मानों पेट रीढ़ की ओर खिंच रहा हो।
       
  • चैमोमिला (Chamomilla)
    सामान्य नाम: जर्मन चैमोमाइल (German Chamomile)
    लक्षण: चैमोमाइल बच्चों के अम्बिलिकल हर्निया के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक असरदार दवा है। निम्नलिखित लक्षणों में इस दवा का इस्तेमाल किया जाता है:  
    • नाभि के आसपास काफी तेज दर्द होना।
    • बहुत अधिक चिड़चिड़ापन।  
    • ज्यादा ठंडे या गर्म भोजन करने के कारण दांत दर्द होना।
    • बच्चों में अधिक नींद आना या फिर अधिक रोना देखा जा सकता है। बच्चे के गले में दर्द के साथ कान में घंटी बजने की समस्या हो सकती है।

होम्योपैथी के अनुसार हर्निया के मरीजों के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव:

क्या करें:

  • होम्योपैथिक दवाएं हमेशा किसी पंजीकृत होम्योपैथिक डॉक्टर से ही लेनी चाहिए।
  • स्वस्थ और पौष्टिक आहार का सेवन करें।
  • अपनी दिनचर्या में शारीरिक कार्यों को शामिल करें।
  • पर्सनल हाइजीन के साथ-साथ अपने आसपास भी साफ-सफाई रखें।

क्या न करें:

  • कॉफी या शराब जैसे ज्यादा उत्तेजक पदार्थों का सेवन न करें। (और पढ़ें - शराब की लत छुड़ाने के घरेलू उपाय)
  • दवा खाने के तुरंत बाद या तुरंत पहले तेज गंध वाली चीजों को न लें।
  • होम्योपैथिक उपचार के दौरान धूम्रपान से हर हाल में दूर रहें।
  • सूप, लहसुन, अदरक और हींग जैसे उत्तेजक खाद्य पदार्थों और औषधियों का सेवन न करें।
  • मसालेदार और तले-भुने खाद्य पदार्थों में अधिकतर नमक और चीनी की मात्रा ज्यादा होती है, इसलिए इनसे परहेज करें।

एक सही और जानकार डॉक्टर की निगरानी में होम्योपैथिक इलाज करवाना पूरी तरह से सुरक्षित होता है। हालांकि, हर दवा अलग-अलग व्यक्ति के लक्षणों और उसे बीमारी होने की संभावना के आधार पर उपयुक्त होती है, इसीलिए बिना डॉक्टर की सलाह लिए कोई भी दवाई न लें। कोई दवा किसी व्यक्ति विशेष के लिए बहुत फायदेमंद हो सकती है तो कई बार वही दवा किसी दूसरे व्यक्ति के लिए बहुत हानिकारक भी हो सकती है। ऐसा विशेषरूप से तब होता है, जब यह गलत खुराक में ली जाती है।

हर्निया की वजह से बहुत दर्द और परेशानी हो सकती है। इसे लंबे समय तक अनदेखा नहीं किया जा सकता है। समय पर निदान होने के बाद होम्योपैथिक दवाओं से हर्निया के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा भविष्य में इसके फिर से होने की संभावना को भी खत्म किया जा सकता है।

Dr. Neha Taori

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Dr. Anmol Sharma

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Dr.Gunjan Rai

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संदर्भ

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  2. Better health channel. Department of Health and Human Services [internet]. State government of Victoria; Hernias.
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  5. National Center for Homeopathy Calcarea carbonica. Mount Laurel, New Jersey [Internet].
  6. William Boericke. Homeopathic Materia Medica. Kessinger Publishing: Médi-T 1999, Volume 1
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  10. Samuel Hahnemann B. Organon of Medicine. Jain Publishers, 2002 - Medical - 6Th Edition. MEDI-T 1998
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