हेपेटाइटिस ई, लिवर संक्रमण से संबंधित रोग है। यह संक्रमण मुख्य रूप से हेपेटाइटिस ई वायरस (एचईवी) के कारण होता है। संक्रमण के कारण लिवर में सूजन हो जाता है। हेपेटाइटिस ई के शिकार अधिकांश लोग कुछ महीनों के भीतर ही ठीक हो जाते हैं। हेपेटाइटिस के अन्य प्रकारों की तरह न ही यह दीर्घकालिक बीमारी है और न ही इसके कारण लिवर को बहुत ज्यादा नुकसान होता है। हालांकि, यह गर्भवती महिलाओं, उम्रदराज लोगों या उन लोगोंं के लिए खतरनाक हो सकता है जिनको प्रतिरक्षा प्रणाली में कमजोरी की समस्या है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के आंकड़ों के अनुसार, हर साल दुनियाभर में हेपेटाइटिस ई संक्रमण के करीब 20 मिलियन यानी 2 करोड़ मामले सामने आते हैं। साल 2015 के आंकड़ों के अनुसार हेपेटाइटिस ई के कारण 44,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई। हेपेटाइटिस वायरस चार अलग-अलग प्रकार का होता है। जीनोटाइप 1, 2, 3 और 4। जीनोटाइप 1 और 2 केवल मनुष्यों में पाए गए हैं। जीनोटाइप 3 और 4 कई जानवरों (सुअर, जंगली सुअर और हिरण आदि) में फैलते हैं। यह वायरस संक्रमित व्यक्तियों के मल में पाया जाता है और दूषित पेयजल के माध्यम से अन्य लोगों को संक्रमित कर सकता है। वैसे तो यह संक्रमण एक नियत अवधि में स्वत: ही ठीक हो जाता है। हालांकि, कभी-कभी इसका गंभीर रूप फुलमिनेंट हेपेटाइटिस (अक्यूट लिवर फेलियर) के रूप में जाना जाता है, बीमारी से ग्रसित लोगों में मृत्यु का कारण बन सकती है।
इस लेख में हम हेपेटाइटिस ई के लक्षण, कारण और इलाज के तरीकों के बारे में जानेंगे।