हेपेटाइटिस डी - Hepatitis D in Hindi

Dr. Rajalakshmi VK (AIIMS)MBBS

October 01, 2020

March 23, 2023

हेपेटाइटिस डी
हेपेटाइटिस डी

हेपेटाइटिस डी को हेपेटाइटिस डेल्टा वायरस के नाम से भी जाना जाता है। इस संक्रमण के कारण लिवर में सूजन आ जाती है। सूजन के कारण लिवर के कार्य प्रभावित हो सकते हैं, जिसके कारण लिवर से संबंधित दीर्घकालिक समस्याएं जैसे लिवर स्कैरिंग या कैंसर जैसी समस्याएं हो सकती हैं। हेपेटाइटिस डी वायरस (एचडीवी) के कारण इस प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं।

आप यहां दिए ब्लू लिंक पर क्लिक करके लिवर रोग का इलाज जान पाएंगे।

हेपेटाइटिस कई प्रकार का हो सकता है जैसे हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, हेपेटाइटिस ई आदि। हेपेटाइटिस डी का खतरा आमतौर पर उन्ही लोगों को होता है जिन्हें पहले हेपेटाइटिस बी का संक्रमण हो चुका हो। हेपेटाइटिस डी, एक्यूट या क्रोनिक यानी लंबे समय तक रहने वाली समस्या हो सकती है। एक्यूट हेपेटाइटिस डी, अचानक होता है और आमतौर पर इसके लक्षण भी अधिक गंभीर हो सकते हैं। यह अपने आप ठीक भी हो सकता है। हालांकि, यदि संक्रमण का असर छह महीने या उससे अधिक समय तक रहता है, तो इस स्थिति को क्रोनिक हेपेटाइटिस डी कहा जा सकता है। संक्रमण का दीर्घकालिक रूप समय के साथ धीरे-धीरे विकसित होता है। विशेषज्ञों के मुताबिक इसमें लक्षणों के नजर आने से पहले वायरस कई महीनों तक शरीर में मौजूद हो सकता है। जैसे-जैसे क्रोनिक हेपेटाइटिस डी बढ़ता है, उसकी जटिलताएं भी बढ़ती जाती हैं।

हेपेटाइटिस डी के लिए वर्तमान में कोई इलाज या टीका नहीं है। हालांकि, जिन लोगों को पहले हेपेटाइटिस बी संक्रमण नहीं हुआ हो उनमें इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। य​दि समय रहते हेपेटाइटिस डी के लक्षणों की पहचान कर ली जाए तो रोगी को लिवर खराब होने से बचाया जा सकता है।

आज इस लेख में आप हेपेटाइटिस डी के लक्षण, कारण और इसके इलाज के बारे में जानेंगे -

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हेपेटाइटिस डी के लक्षण - Hepatitis D symptoms in Hindi

हेपेटाइटिस डी के दौरान हर बार लक्षण नजर नहीं आते हैं। कुछ लोगों में हेपेटाइटिस डी के निम्नलिखित लक्षण नजर आ सकते हैं।

विशेषज्ञों के मुताबिक हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस डी के लक्षण लगभग समान होते हैं, ऐसे में इन दोनों रोगों में फर्क कर पाना कई बार कठिन हो जाता है। कुछ मामलों में, हेपेटाइटिस डी, हेपेटाइटिस बी के लक्षणों को और गंभीर बना देता है। यह उन लोगों में भी हो सकता है जिन्हें हेपेटाइटिस बी तो हो, लेकिन इसके लक्षण कभी नजर न आए हों।

(और पढ़ें - हेपेटाइटिस बी में परहेज)

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हेपेटाइटिस डी का कारण - Hepatitis D causes in Hindi

मुख्यरूप से हेपेटाइटिस डी की समस्या एचडीवी वायरस के कारण होती है। यह एक संक्रामक रोग है। संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थों के सीधे संपर्क में आने से दूसरे लोगों को भी इस संक्रमण के होने का खतरा हो सकता है। आइए जानते हैं संक्रमित व्यक्ति के किन माध्यम से यह संक्रमण अन्य लोगों को किस प्रकार से हो सकता है।

  • संक्रमित व्यक्ति के पेशाब के संपर्क में आने से
  • योनि से निकलने वाले तरल पदार्थ के माध्यम से
  • वीर्य
  • रक्त
  • जन्म (मां से उसके शिशु को)

यदि किसी व्यक्ति को हेपेटाइटिस डी हो जाए और उसमें लक्षण नजर नहीं आ रहे हों फिर भी वह दूसरे व्यक्तियों को सं​क्रमित कर सकता है। चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल आफ फ़िलाडेल्फ़िया के मुताबिक हेपेटाइटिस बी वाले लगभग 5 प्रतिशत लोगों को हेपेटाइटिस डी होने की आशंका होती है। कई लोगों को हेपेटाइटिस बी होने के साथ ही हेपेटाइटिस डी का भी संक्रमण हो सकता है।

(और पढ़ें - हेपेटाइटिस ए का टीका कब लगता है)

हेपेटाइटिस डी के जोखिम कारक - complications of Hepatitis D in Hindi

निम्न स्थितियों में आपको हेपेटाइटिस डी होने का खतरा बढ़ जाता है।

  • यदि आाप पहले से ही हेपेटाइटिस बी से संक्रमित हैं
  • एक पुरुष का दूसरे पुरुष के साथ यौन संबंध रखना यानी कि समलैंगिकता (और पढ़ें - समलैंगिकता के लक्षण)
  • जिन लोगों को अक्सर खून चढ़वाने की आवश्यकता होती हो
  • नसों के माध्यम से ड्रग्स का इंजेक्शन लेना

(और पढ़ें - खून चढ़ाने के फायदे)

हेपेटाइटिस डी का निदान - Diagnosis of Hepatitis D in Hindi

यदि आपमें ऊपर बताए गए लक्षण नजर आ रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। हालांकि, यदि किसी में पीलिया के बिना उपरोक्त लक्षण नजर आ रहे हों तो उसमें हेपेटाइटिस डी होने का खतरा कम ही होता है। बीमारी के सटीक निदान के लिए डॉक्टर आपको खून की जांच कराने की सलाह दे सकते हैं। इसके माध्यम से रक्त में एंटी-हेपेटाइटिस डी एंटीबॉडी का पता लगाया जा सकता है। यदि एंटीबॉडी पाए जाते हैं, तो इसका मतलब है कि आप वायरस के संपर्क में हैं।

यदि डॉक्टरों को लगता है कि आपके लिवर में किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न हो रही है तो वह आपको लिवर फंक्शन टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। यह भी एक प्रकार का ब्लड टेस्ट ही है जिसके माध्यम से रक्त में प्रोटीन, लिवर एंजाइम और बिलीरुबिन के स्तर का पता लगाया जाता है। इसी के आधार पर लिवर का सटीक मूल्यांकन हो पाता है। इस परीक्षण से यह भी स्पष्ट हो जाता है कि आपके लिवर में किसी प्रकार की समस्या है या नहीं और कहीं यह खराब तो नहीं हो रहा है? उपरोक्त परीक्षणों के आधार पर डॉक्टर स्थिति को देखते हुए इलाज की प्रक्रिया शुरू करते हैं।

(और पढ़ें - लिवर रोग का इलाज)

हेपेटाइटिस डी का इलाज - Treatment of Hepatitis D in Hindi

हेपेटाइटिस डी का कोई विशेष उपचार अब तक उपलब्ध नहीं है। विशेषज्ञों के मुताबिक हेपेटाइटिस डी के अन्य रूपों के विपरीत, हेपेटाइटिस डी के इलाज में एंटीवायरल दवाइयां बहुत प्रभावी नजर नहीं आती हैं।

प्राथमिक उपचार के तौर पर डॉक्टर आपको करीब एक साल के लिए इंटरफेरॉन नामक दवा की खुराक दे सकते हैं।  इंटरफेरॉन एक प्रकार का प्रोटीन होता है जो वायरस को फैलने से रोकने के साथ शरीर को रोग से सुरक्षित करने में मदद करता है। हालांकि, कई मामलों में देखने को मिला है कि उपचार के बाद भी लोगों में हेपेटाइटिस डी का परीक्षण पॉजिटिव आया है। इसका अर्थ है कि प्रसारण को रोकने के लिए दवाइयों से ज्यादा एहतियाती उपायों को प्रयोग में लाना चाहिए। जिन लोगों को एक बार हेपेटाइटिस डी का संक्रमण हो जाए उनमें इसके दोबारा होने का भी खतरा बना रहता है।

वहीं यदि आपको हेपेटाइटिस डी के कारण सिरोसिस या लिवर डैमेज की समस्या है तो डॉक्टर लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह दे सकते हैं। लिवर ट्रांसप्लांट एक सर्जिकल ऑपरेशन है जिसमें क्षतिग्रस्त लिवर को हटाकर उसे डोनर से स्वस्थ लिवर से बदला जाता है।

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सारांश – Summary

बेशक, हेपेटाइटिस डी के इलाज के लिए अभी कोई टीका उपलब्ध नहीं है, लेकिन सही देखभाल के जरिए इसे ठीक जरूर किया जा सकता है। साथ ही इस बात पर भी ध्यान देने की जरूरत है कि हेपेटाइटिस डी का सही प्रकार इलाज न करवाने पर यह कैंसर का रूप से ले सकता है और लिवर को पूरी तरह से डैमेज कर सकता है। इसलिए, हेपेटाइटिस डी से बचने के लिए हाइजीन का ध्यान रखें और अच्छी डाइट लें।



हेपेटाइटिस डी के डॉक्टर

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