हेपेटिक एन्सेफ्लोपैथी एक मस्तिष्क संबंधी बीमारी है जो लिवर संबंधी रोगों से ग्रस्त लोगों को होती है। इस बीमारी में लिवर, रक्त में मौजूद विषाक्त पदार्थों को सही से निकाल नहीं पाता है। इसके परिणामस्वरूप रक्त की विषाक्तता बढ़ जाती है, जिससे मस्तिष्क को क्षति पहुंचने का डर रहता है। हेपेटिक एन्सेफ्लोपैथी अल्पकालिक या क्रोनिक (दीर्घकालिक) हो सकती है। कुछ मामलों में देखा गया है कि रोगी बात करने या इशारे करने में भी असमर्थ हो जाता है। ऐसी स्थिति जारी रहने पर रोगी कोमा में भी जा सकता है। हेपेटिक एन्सेफ्लोपैथी रोगी को भ्रम और सुस्ती की शिकायत हो सकती है। रोगी के व्यक्तित्व, व्यवहार और मनोदशा में परिवर्तन स्पष्ट जाहिर होने लगते हैं।
डॉक्टर अभी तक इस बारे में अच्छी तरह से समझ नहीं सके हैं कि आखिर वह कौन से पदार्थ हैं जो मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं। हालांकि, माना जाता है कि रक्त में प्रोटीन ब्रेडाउन से निकलने वाले पदार्थ जैसे अमोनिया के कारण मस्तिष्क को हानि पहुंच सकती है।