हीमोलाइटिक यूरीमिक सिंड्रोम क्या है?
हीमोलाइटिस यूरीमिक सिंड्रोम या एचयूएस (HUS) एक जटिल स्थिति है, जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली की एक प्रतिक्रिया के कारण लाल रक्त कोशिकाओं व प्लेटलेट्स का स्तर कम हो जाता है और किडनी खराब हो जाती है। ये सभी समस्या आमतौर पर जठरांत्र पथ में इन्फेक्शन होने के बाद होती है। एचयूएस बच्चों में काफी आम होता है।
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हीमोलाइटिक यूरीमिक सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं?
एचयूएस के लक्षण व संकेतों में निम्न शामिल हो सकते हैं:
- दस्त के साथ खून आना (और पढ़ें - मल में खून आने का इलाज)
- पेशाब कम आना और पेशाब में खून आना
- पेट में दर्द, उल्टी और कभी-कभी बुखार होना
- त्वचा में पीलापन आना
- मुंह और नाक से थोड़ा बहुत खून आना
- थकान व चिड़चिड़ापन होना
- उलझन रहना
- मिर्गी के दौरे पड़ना
- हाई बीपी होना
- चेहरे, हाथ, पैर या फिर पूरी शरीर में सूजन आना
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हीमोलाइटिक यूरीमिक सिंड्रोम क्यों होता है?
एचयूएस मुख्य रूप से ई कोली (E coli) नामक बैक्टीरिया द्वारा जठरांत्र पथ में संक्रमण होने के बाद होता है। हालांकि, यह रोग जठरांत्र पथ संबंधी अन्य संक्रमणों से भी जुड़ा हो सकता है जिनमें शिगेला और साल्मोनेला आदि शामिल हैं। कुछ मामलों में यह जठरांत्र पथ के अलावा अन्य संक्रमणों से भी जुड़ा हो सकता है
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ई कोलाई बैक्टीरिया निम्न के माध्यम से फैल सकता है -
- संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से
- बिना पके भोजन व पेय पदार्थों का सेवन करने से जैसे दूध व कुछ प्रकार के मांस
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हीमोलाइटिक सिंड्रोम का इलाज कैस किया जाता है?
एचयूएस का इलाज अस्पताल में किया जाता है। इलाज की मदद से इसके लक्षणों को शांत कर लिया जाता है और आगे गंभीर समस्याएं होने से बचाव किया जाता है। इसके इलाज में शामिल हैं:
- शरीर में द्रव की पूर्ति करना
- खून के द्वारा शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं चढ़ाना
- प्लेटलेट्स चढ़ाना
- किडनी डायलिसिस लगाना
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एचयूएस से ग्रस्त ज्यादातर लोगों (खासकर किशोरों) का उचित उपचार होने से वे पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं।
यदि एचयूएस के कारण आपकी किडनी क्षतिग्रस्त हो गई है, तो आपके डॉक्टर कुछ प्रकार की दवाएं लिख सकते हैं। इन दवाओं की मदद से ब्लड प्रेशर को कम किया जाता है, जिससे किडनी क्षतिग्रस्त होने से बचाव हो जाता है या फिर किडनी क्षतिग्रस्त होने की गति कम हो जाती है। (और पढ़ें - लो बीपी का इलाज)
डॉक्टर आपकी किडनी के कार्यों की जांच करने के लिए आपको हर साल में एक बार बुला सकते हैं, ऐसा पांच साल तक किया जाता है।
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