हम्मन-रिच सिंड्रोम क्या है
हम्मन-रिच सिंड्रोम को एक्यूट बीच वाला निमोनिया भी कहा जाता है। यह फेफड़ों से संबंधित एक दुर्लभ व गंभीर बीमारी है जिसका समय रहते निदान करना जरूरी है क्योंकि इसकी वजह से मरने वाले लोगों की संख्या ज्यादा है। समय पर इस बीमारी की पहचान करना बहुत जरूरी है। इसके कारण या इलाज को लेकर अभी तक सही जानकारी उपलब्ध नहीं है।
हम्मन-रिच सिंड्रोम के लक्षण
एक्यूट बीचवाला निमोनिया (हम्मन-रिच सिंड्रोम) में खांसी बहुत ज्यादा होती है और यही इसका सबसे सामान्य लक्षण है, इसके साथ निम्न लक्षण भी देखे जा सकते हैं:
- गाढ़ा बलगम आना
- बुखार
- सांस लेने में दिक्कत
इसके अन्य लक्षण अपच, थकान और माएल्जिया (मांसपेशियों में दर्द) हैं। स्थिति के गंभीर होने से एक या दो सप्ताह पहले ये सभी लक्षण दिखने लगते हैं। आमतौर पर एक्यूट बीचवाला निमोनिया तेजी से फैलता है। खांसी, बुखार और सांस लेने में दिक्कत होने के बाद शुरुआती स्तर पर ही कुछ दिनों या हफ्तों के लिए अस्पताल में भर्ती होने और मैकेनिकल वेंटिलेशन (मरीजों की सांस लेने में मदद करने वाली मशीन) पर भी रहने की जरूरत पड़ सकती है।
एक्यूट बीचवाला निमोनिया के अन्य लक्षणों में टैचीपनिया (असामान्य रूप से तेजी से सांस लेना), डिस्पेनिया (सांस की तकलीफ), सायनोसिस (त्वचा का रंग नीला पड़ना) और व्हीज (सांस लेने के दौरान छाती से सीटी बजने जैसी आवाज) शामिल हैं। यह मुख्य रूप से 50 और 55 वर्ष के बीच के पुरुषों और महिलाओं को एक समान रूप से प्रभावित कर सकता है लेकिन इसके जोखिम कारकों का अब तक पता नहीं चल पाया है।
हम्मन-रिच सिंड्रोम का निदान
प्रारंभिक लक्षणों के तेजी से बढ़ने से लेकर श्वसन अंगों के पूरी तरह से काम करना बंद कर देना भी इस बीमारी में शामिल है। निदान के लिए एक्स-रे करवाना जरूरी है ताकि श्वसन संकट सिंड्रोम (फेफड़े विफल हो जाते हैं) का पता चल सके। इसके अलावा, फेफड़ों की बायोप्सी (ऊतक या कोशिका के सैंपल को जांच के लिए निकालना) करना भी आवश्यक है जिससे फेफड़ों के ऊतकों में चोट लगने का पता चल सके। अन्य नैदानिक परीक्षण की बात करें तो इसमें बेसिक ब्लड वर्क, ब्लड कल्चर और ब्रोन्कोएलेवलर लैवेज शामिल हैं।
मरीज की चिकित्स्कीय स्थिति में सुधार के लिए समय पर ग्लुकोकोर्टीकोइड (सूजन से लड़ने वाली दवा) या इम्यूनो सप्रेसिव थेरेपी (प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया को दबाने वाली दवा) की मदद ली जा सकती है लेकिन अभी तक इन दवाओं के प्रभावशाली होने का पता नहीं चला है।