परिचय
काली जीभ होना मुंह संबंधी एक समस्या है, जो हानिकारक नहीं होती है और कुछ ही समय के लिए रहती है। इस स्थिति में जीभ रोएंदार बन जाती है और उसका रंग भी काला पड़ जाता है। यह स्थिति मुंह में किसी बैक्टीरिया या फंगी के संक्रमण के कारण होती है, जिससे जीभ पर छोटे-छोटे रोएं आ जाते हैं व उसका रंग काला पड़ जाता है।
काली जीभ की स्थिति में शुरुआत में जीभ के पिछले हिस्से का रंग काला पड़ने लगता है और फिर धीरे-धीरे जीभ के अगले हिस्से की तरफ आने लगता है। इस स्थिति में जीभ में से काले रंग के धागे की तरह दिखने वाला एक पदार्थ ऊपर की तरफ निकलने लग जाता है। मुंह में से बदबू आना काली जीभ का सबसे आम लक्षण होता है। काली जीभ होना किसी प्रकार का संक्रमण नहीं होता है और ना ही यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है।
जीभ का रंग काला होने के कारण का पता आपके डॉक्टर या डेंटिस्ट के द्वारा लगाया जाता है। इसके कारण का पता लगाने के लिए कोई विशेष टेस्ट करवाने की आवश्यकता नहीं होती है। आमतौर पर इसके लिए मरीज के स्वास्थ्य संबंधी पिछली जानकारी लेना और जीभ का परीक्षण करना ही काफी होता है। काली जीभ होने से बचाव रखने के लिए मुंह की विशेष रूप से सफाई रखना बहुत जरूरी होता है।
काली जीभ का इलाज करने के लिए डॉक्टर मरीज के आहार में कुछ बदलाव करते हैं और धूम्रपान आदि छोड़ने की सलाह देते हैं। इसके अलावा डॉक्टर नरम बालों वाले टूथब्रश का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। इस ब्रश के द्वारा रोजाना हल्के-हल्के से जीभ साफ करनी चाहिए।
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