स्त्री रोग संबंधी कैंसर के चेतावनी संकेतों को पहचानना जरूरी है ताकि ये जान सकें कि क्या ऐसी चीजें हैं जो आप अपने जोखिम को कम करने के लिए कर सकती हैं।
प्रत्येक प्रकार के स्त्री रोग संबंधी कैंसर (गर्भाशय ग्रीवा, डिम्बग्रंथि, गर्भाशय, योनि और वुल्वर कैंसर) के अलग-अलग जोखिम कारक होते हैं, और उम्र के साथ खतरा बढ़ता जाता है।
1. एचपीवी वैक्सीन
सर्वाइकल, योनि और वुल्वर कैंसर ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के कारण होते हैं, जो एक बहुत ही आम यौन संचारित संक्रमण है। इससे बचने के लिए एचपीवी का टीका लगाया जाता है जो गर्भाशय ग्रीवा, योनि और वुल्वर कैंसर के कारणों से बचाव करता है।
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11 से 12 साल की उम्र की किशोरियों के लिए एचपीवी टीकाकरण की सिफारिश की जाती है और इसे 9 साल की उम्र से शुरू किया जा सकता है।
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26 वर्ष की आयु तक सभी के लिए एचपीवी वैक्सीन की भी सिफारिश की जाती है, यदि उन्हें पहले से ही टीका नहीं लगाया गया है।
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26 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं के लिए एचपीवी टीकाकरण न कराने की सलाह दी जाती है हालाँकि, 27 से 45 वर्ष की आयु की वे महिलायें जिन्हे कैंसर होने का खतरा महसूस होता है , एचपीवी संक्रमण के जोखिम और टीकाकरण के संभावित लाभों के बारे में अपने डॉक्टर से बात करने के बाद एचपीवी टीका लगवाने का निर्णय ले सकती हैं हालांकि इस आयु सीमा में एचपीवी टीकाकरण के फायदे कम होते हैं , क्योंकि अधिकतर महिलायें पहले से ही एचपीवी वायरस के संपर्क में आ चुकी होती हैं।
यदि टीकाकरण 15 साल की उम्र से पहले शुरू किया जाता है, तो दो बार टीका लगवाने की सलाह दी जाती है जो 6 से 12 महीने के अंतराल मे लगाए जाते हैं और जो लड़किया 15 साल की उम्र के बाद ये टीका लगवातीं है उन्हें तीन टीके लगवाने से अधिकतम फायदा होता है।
एचपीवी टीकाकरण नए होने वाले एचपीवी संक्रमणों को रोकता है, लेकिन पहले से मौजूद संक्रमणों या बीमारियों का इलाज नहीं करता है। यही कारण है कि एचपीवी टीका एचपीवी वायरस से संपर्क में आने से पहले दिए जाते हैं | आपको नियमित रूप से गायनेकोलॉजिकल कैंसर की जांच करानी चाहिए ,भले ही आपने एचपीवी टीका लिया हो।
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2.स्क्रीनिंग टेस्ट
स्क्रीनिंग का अर्थ है किसी बीमारी के लक्षण दिखने से पहले ही उस बीमारी का पता लगाने के लिए परीक्षण करना | कैंसर स्क्रीनिंग परीक्षण तब प्रभावी होते हैं जब वे बीमारी का जल्दी पता लगा लेते हैं, जिससे इलाज अधिक प्रभावी और जल्दी से किया जा सके।
(नैदानिक परीक्षणों का उपयोग तब किया जाता है जब किसी महिला में लक्षण प्रदर्शित होते हैं | नैदानिक परीक्षणों का उद्देश्य यह पता लगाना होता है कि लक्षणों का कारण क्या है?
सभी स्त्री रोग संबंधी कैंसरों में से, केवल गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर में स्क्रीनिंग परीक्षण होते हैं जो इस कैंसर का जल्दी पता लगा सकते हैं। पैप परीक्षण प्री कैंसर का पता लगाकर सर्वाइकल कैंसर को रोकने में भी मदद करता है क्यूंकि सर्वाइकल कैंसर बनने का मुख्य कारण गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर में होने वाले कोशिका परिवर्तन से ठीक से उपचार न होना है।
चेतावनी संकेत : Warning sign
चूंकि सर्वाइकल कैंसर के अलावा किसी भी स्त्री रोग संबंधी कैंसर की जांच करने का कोई सरल और विश्वसनीय तरीका नहीं है, इसलिए किसी भी प्रकार के खतरों से बचने के लिए चेतावनी संकेतों को पहचानना ही सबसे महत्वपूर्ण उपाय है। यदि आपको लगता है कि खतरा बढ़ गया है तो अपने डॉक्टर से बात करें। अगर पहले से आपके परिवार में स्तन कैंसर या डिम्बग्रंथि कैंसर का कोई इतिहास रहा है तो उसका पता लगाएँ ताकि अगर जरूरी हो तो आप आनुवंशिक परामर्श और परीक्षण भी करवा सकें। यह उन कुछ प्रतिशत महिलाओं के लिए उपयोगी है जिनके परिवार में इस तरह के कैंसर का इतिहास रहा है। हालांकि यह सभी महिलाओं के लिए जरूरी नहीं है, लेकिन सभी महिलाओं के लिए अपने पारिवारिक इतिहास के बारे में जानना और अपने डॉक्टर को इसके बारे मे बताना महत्वपूर्ण है। यदि आपको लगता है कि आपको स्त्री रोग संबंधी कैंसर का खतरा बढ़ गया है तो अपने डॉक्टर से बात करें और पूछें कि आप अपने खतरों को कम करने के लिए क्या कर सकती हैं और क्या ऐसे परीक्षण हैं जो आपको कराने चाहिए ?
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