ग्रोइन में दर्द का परीक्षण
आपके स्वास्थ्य संबंधित जानकारी प्राप्त करने के बाद डॉक्टर आप से विस्तार में कुछ सवाल पूछ सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं :
- आपको ग्रोइन में दर्द कब शुरू हुआ
- क्या आपको कोई गंभीर चोट या घाव महसूस हो रहा है
- किन गतिविधियों से दर्द कम या ज्यादा होता है
- ग्रोइन में दर्द के साथ और कौनसे लक्षण महसूस होते हैं
इन सभी सवालों के बाद डॉक्टर आपके प्रभावित हिस्से का परीक्षण करेंगे और स्थिति को बेहतर समझने के लिए कई बार इमेजिंग टेस्ट करवाने की सलाह भी दे सकते हैं।
शारीरिक परीक्षण
ग्रोइन में दर्द के मुख्य कारण को पहचानने के लिए डॉक्टर पेट, अंडकोष (पुरुषों में) और खासतौर से कूल्हों के लिए मसक्यूलोस्केलेटल के परीक्षण करते हैं।
यदि समस्या कूल्हे के जोड़ों से संबंधित है, तो पीड़ित व्यक्ति को अक्सर चलने-फिरने से संबंधित शिकायत रहती है। इस स्थिति की जांच के लिए डॉक्टर आपको अपने टखने को थाई के ऊपर रखकर बैठने के लिए कह सकते हैं। इस परीक्षण को मेडिकल भाषा में फेबर मन्यूवर या पैट्रिक टेस्ट कहा जाता है।
इमेजिंग स्कैन
ग्रोइन की मांसपेशियों में मोच की पहचान आसानी से शारीरिक परीक्षण की मदद से की जा सकती है। हालांकि, ग्रोइन में दर्द के अन्य कारणों के बारे में जानने के लिए इमेजिंग तकनीकों की जरूरत पड़ सकती है। आमतौर पर ग्रोइन में दर्द और कूल्हे के ढांचे का परीक्षण करने के लिए एक्स-रे का इस्तेमाल किया जाता है।
ग्रोइन में दर्द व उसके कारण का पता लगाने के लिए एक्स रे स्कैन सबसे बेहतरीन टेस्ट होता है। जिससे जोड़ों में क्षतिग्रस्त उपास्थि और हिप ऑस्टियोआर्थराइटिस के अन्य लक्षणों को पहचाना जा सकता है।
यदि ग्रोइन पेन अंडकोष या इंग्विनल (वंक्षण) हर्निया से संबंधित है तो अल्ट्रासाउंड की मदद ली जा सकती है। इसके अलावा अगर किडनी स्टोन के लक्षण सामने आते हैं, तो सीटी स्कैन किया जा सकता है। पेट, आंतों व श्रोणि की वजह से यदि ग्रोइन में दर्द होता है, तो पेट व पेल्विस के परीक्षण के लिए अल्ट्रासाउंड या सिटी स्कैन करवाने को कहा जाता है।
इसके अलावा कूल्हे के जोड़ के पास मौजूद ऊतकों का मूल्यांकन करने के लिए एमआरआई टेस्ट किया जाता है। एमआरआई स्कैन से मांसपेशियों, टेंडन, लिगामेंट और लैबरम की जांच की जाती है, जिससे ग्रोइन में दर्द और उसके स्रोत को पहचानने में मदद मिलती है। बेहतर परिणाम के लिए कभी-कभी एमआरआई स्कैन के दौरान कंट्रास्ट नामक एक विशेष डाई का इंजेक्शन भी दिया जा सकता है।
इंजेक्शन
अगर ऊपरोक्त तरीकों से भी ग्रोइन के दर्द की पुष्टि न हो पाए, तो परीक्षणात्मक या थेराप्यूटिक इंजेक्शन बेहद मददगार साबित हो सकता है। इस परीक्षण के दौरान डॉक्टर कूल्हे के जोड़ में सुई लगाते हैं। सुई को अल्ट्रासाउंड और एक्स रे के निरीक्षण की सहायता से लगाया जा सकता है ताकि सुई के सही स्थान की पुष्टि की जा सके।
यह परीक्षण का एक बेहतरीन विकल्प है। यदि सुई लगाने के बाद दर्द कुछ समय के लिए चला जाता है, तो डॉक्टर यह पता लगा लेते हैं कि दर्द उसी जगह से पैदा हो रहा है।