घेंघा रोग क्या है?
थायराइड ग्रंथि का आकार बढ़ने को घेंघा (गलगंड) कहा जाता है। थायराइड एक तितली के आकार की ग्रंथि होती है, जो गर्दन के अंदर ठीक कॉलरबोन के ऊपर स्थित होती है। हालांकि घेंघा रोग आमतौर पर दर्दरहित होता है, लेकिन यदि इसमें थायराइड ग्रंथि का आकार अधिक बढ़ जाए तो इससे खांसी, निगलने व सांस लेने में दिक्कत होने लग जाती है।
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गलगंड के क्या लक्षण होते हैं?
गर्दन में सूजन आना घेंघा रोग का सबसे पहला लक्षण होता है। इस दौरान थायराइड ग्रंथि में गांठ भी बन सकती है, जो आकार में छोटी या बड़ी भी हो सकती है। थायराइड में गांठ बनने से गर्दन की सूजन और अधिक दिखने लग जाती है।
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घेंघा रोग के कुछ अन्य लक्षण जैसे:
- निगलने में कठिनाई होना
- सांस लेने में दिक्कत होना
- गला बैठना
- खांसी होना
- अपनी बाजुओं को सिर से ऊपर करने पर सिर घूमना या चक्कर आने जैसा महसूस होना
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गोइटर क्यों होता है?
यदि आपकी थायराइड ग्रंथि बहुत अधिक मात्रा में थायराइड हार्मोन (हाइपरथायराइडिज्म) बनाती है या बहुत कम मात्रा में थायराइड हार्मोन (हाइपोथायरायडिज्म) बनाती है, ये दोनों ही स्थितियों में आपको घेंघा रोग होता है। कुछ दुर्लभ मामलों में जब पीट्यूटरी ग्रंथि (पीयूष ग्रंथि) हार्मोन की मात्रा को बढ़ाने के लिए थायराइड ग्रंथि को उत्तेजित करके उसका आकार बढ़ा देती है, तब भी घेंघा रोग हो जाता है।
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कुछ मामलों में थायराइड हार्मोन की मात्रा को बढ़ाए बिना भी थायराइड ग्रंथि का आकार बढ़ जाता है,इस स्थिति को "नॉन-टॉक्सिक मल्टिनोड्यूलर ग्लैंड" कहा जाता है।
घेंघा रोग का इलाज कैसे किया जाता है?
घेंघा रोग के की गंभीरता व उसस से जुड़े लक्षणों के आधार पर डॉक्टर उसके लिए उचित उपचार चुनते हैं। इसके अलावा इलाज उन स्थितियों के अनुसार भी किया जा सकता है, जो घेंघा रोग का कारण बनती है। घेंघा रोग के इलाज में निम्न शामिल हैं:
- दवाएं:
यदि आपको हाइपरथायराइडिज्म या हाइपोथायराइडिज्म है, तो इन स्थितियों का इलाज करने से गोइटर का आकार कम होने लग जाता है। (और पढ़ें - दवा की जानकारी) - ऑपरेशन:
सर्जरी के दौरान थायराइड ग्रंथि को शरीर से निकाल दिया जाता है, इस प्रक्रिया को "थायराइडेक्टॉमी" कहा जाता है। - रेडिएएक्टिव आयोडीन:
मरीज को यह आयोडीन पिलाई जाती है और फिर यह खून के माध्यम से थायराइड तक पहुंचती है और असाधारण रूप से बढ़े हुऐ ऊतकों को नष्ट कर देती है।
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