ग्लाइकोजन स्टोरेज डिजीज टाइप 3 (कोरी डिजीज) - Glycogen storage disease type 3 in Hindi

Dr. Rajalakshmi VK (AIIMS)MBBS

January 02, 2021

January 04, 2021

ग्लाइकोजन स्टोरेज डिजीज टाइप 3
ग्लाइकोजन स्टोरेज डिजीज टाइप 3

ग्लाइकोजन स्टोरेज डिजीज टाइप 3 (GSDIII) एक आनुवांशिक विकार है। इसे फोर्ब्स डिजीज, कोरी डिजीज और ग्लाइकोजन डीब्रैनचर डिफेसिऐंसी के नाम से भी जाना जाता है। यह तब होता है जब शरीर की कोशिकाओं में ग्लाइकोजन जमा होने लगता है।

ग्लाइकोजन बनने से शरीर के कुछ अंगों और ऊतकों, विशेष रूप से लिवर और मांसपेशियों के कार्य में बाधा आती है। इसके लक्षण आमतौर पर बचपन में शुरू होते हैं। GSDIII के कई प्रकार बताए गए हैं जैसे IIIa, IIIb, IIIc और IIId 

 IIIa और IIIc मुख्य रूप से लिवर और मांसपेशियों को प्रभावित करते हैं जबकि IIIb और IIId आमतौर पर केवल लिवर को प्रभावित करते हैं।

(और पढ़ें - लिवर रोग के कारण)

ग्लाइकोजेन स्टोरेज डिजीज टाइप 3 के लक्षण - Glycogen storage disease type 3 Symptoms in Hindi

ग्लाइकोजन स्टोरेज डिजीज टाइप 3 (जीएसडी) के लक्षणों में शैशवावस्था में हाइपोग्लाइसीमिया (लो ब्लड शुगर या खून में शुगर का लेवल कम होना), हाइपरलिपिडिमिया (खून में वसा की मात्रा बढ़ जाना) और खून में लिवर एंजाइम का स्तर बढ़ जाना शामिल है। 

हाइपोग्लाइसीमिया के कारण कभी-कभी दौरे पड़ने की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है। जैसे जैसे पीड़ित मरीज की उम्र बढ़ती है बच्चे में हेपेटोमेगाली (लिवर का बढ़ना), क्रॉनिक लिवर डिजीज (सिरोसिस) और लिवर फेलियर जैसी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। कुछ व्यक्तियों में छोटा कद (जैसे बौनापन) और एडेनोमस नामक गैर-कैंसरकारी (हल्के) ट्यूमर भी विकसित हो सकते हैं।

जीएसडी टाइप 3 या फोर्ब्स डिजीज से ग्रस्त कुछ लोगों को संक्रमण से लड़ने में कठिनाई भी हो सकती है और असामान्य रूप से लगातार नाक से खून आने की समस्या का भी अनुभव हो सकता है।

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ग्लाइकोजन स्टोरेज डिजीज टाइप 3 का कारण - Glycogen storage disease type 3 Causes in Hindi

जीएसडी टाइप III एजीएल नामक जीन में उत्परिवर्तन या गड़बड़ी की वजह से होता है। यह बीमारी ऑटोसोमल रिसेसिव तरीके से अगली पीढ़ी में पारित होती है, जिसका मतलब है कि आपको माता-पिता दोनों से संबंधित जीन की खराब प्रतियां मिली हैं।

एजीएल जीन 'ग्लाइकोजन डीब्रैनचिंग' नामक एंजाइम बनाने के लिए निर्देश देता है, जो कि ग्लाइकोजन को तोड़ने में मदद करता है। ग्लाइकोजन, ग्लूकोज का आसानी से संघटित किया हुआ रूप है जो  लिवर और मांसपेशियों में जमा होता है ताकि जरूरत पड़ने पर शरीर इनका इस्तेमाल कर सके।

जब एजीएल जीन में गड़बड़ी हो जाती है तो  'ग्लाइकोजन डीब्रैनचिंग' एंजाइम सही से कार्य नहीं कर पाता है जिसकी वजह से जीएसडी टाइप III की स्थिति बन सकती है।

ग्लाइकोजन स्टोरेज डिजीज टाइप 3 का निदान - Glycogen storage disease type 3 Diagnosis in Hindi

जीएसडी टाइप 3 बीमारी का शक तब होता है जब मरीज में मुख्य रूप से ये 3 लक्षण या समस्याएं मौजूद होती हैं- हेपेटोमेगाली (लिवर का बढ़ना), कीटोटिक हाइपोग्लाइसीमिया (लो ब्लड शुगर के साथ ही कीटोसिस) और ट्रान्सामिनेसेस (एक प्रकार का एंजाइम) की सीरम सघनता का बढ़ा हुआ होना। इसके अलावा लिवर बायोप्सी करके ग्लाइकोजन डीब्रैनचिंग की एक्टिविटी को मापा जा सकता है लेकिन आमतौर पर इन दिनों इसकी जरूरत नहीं पड़ती है। एजीएल जीन का जेनेटिक टेस्ट करके निदान की पुष्टि की जा सकती है।

ग्लाइकोजन स्टोरेज डिजीज टाइप 3 का इलाज - Glycogen storage disease type 3 Treatment in Hindi

वर्तमान समय में ग्लाइकोजन स्टोरेज डिजीज टाइप 3 (GSDIII) के लिए कोई इलाज मौजूद नहीं है, लेकिन जीएसडी टाइप 3 के सहायक उपचार में आमतौर पर ग्लूकोज के स्तर को सामान्य रखना शामिल है। कुछ मामलों में डाइट थेरेपी असरदार साबित हो सकती है। इससे बढ़े हुए लिवर की समस्या को कम करने, ब्लड शुगर को सामान्य रखने, लक्षणों को कम करने और शरीर के विकास होने में मदद मिलती है। इसके लिए कॉर्नस्टार्च सप्लिमेंट्स के साथ हाई-प्रोटीन वाला आहार लेना फायदेमंद हो सकता है।

शैशवावस्था (इन्फेंसी) में, आमतौर पर बच्चे को हर तीन से चार घंटे में दूध पिलाने की सलाह दी जाती है। बच्चा जब एक साल से बड़ा हो जाता है तो ऐसे में हाइपोग्लाइसीमिया से बचने के लिए कॉर्नस्टार्च का उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा हाई-प्रोटीन मांसपेशियों में पाए जाने वाले प्रोटीन को टूटने से रोकता है और स्केलेटल और ह्रदय की मांसपेशियों को संरक्षित करता है। लिवर कैंसर वाले रोगियों के लिए लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ सकती है।

(और पढ़ें - लिवर रोग का होम्योपैथिक इलाज)

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