ग्लूटेरिक एसिडेमिया टाइप I - Glutaric Acidemia Type 1 in Hindi

Dr. Pradeep JainMD,MBBS,MD - Pediatrics

January 07, 2021

January 13, 2021

ग्लूटेरिक एसिडेमिया टाइप I
ग्लूटेरिक एसिडेमिया टाइप I

ग्लूटेरिक एसिडेमिया टाइप I जिसे ग्लूटेरिक एसिड्यूरिया टाइप I भी कहा जाता है एक वंशानुगत विकार है, जिसमें शरीर कुछ खास तरह के प्रोटीन को ठीक से संसाधित (प्रोसेस) करने में असमर्थ हो जाता है। इसे ऑर्गैनिक एसिड डिसआर्डर के रूप में जाना जाता है, जो एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें शरीर में कुछ खास तरह के ऑर्गैनिक एसिड असामान्य रूप से इकट्ठा होने लगते हैं। यदि ऑर्गैनिक एसिड का असामान्य लेवल खून में (ऑर्गैनिक एसिडेमिया), मूत्र में (ऑर्गेनिक एसिड्यूरिया) और ऊतकों में हो जाए तो यह न सिर्फ विषैला होता है बल्कि कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का भी कारण बनता है।

इस स्थिति में मस्तिष्क को नुकसान पहुंचता है, विशेष रूप से मस्तिष्क के उस हिस्से को क्षति पहुंचती है जिसे 'बेसल गैंगलिया' कहा जाता है। बेसल गैंगलिया शरीर की गतिविधियों को नियंत्रित करने में मदद करता है।

(और पढ़ें - मस्तिष्क संक्रमण के कारण)

ग्लूटेरिक एसिडेमिया टाइप I के संकेत और लक्षण - Glutaric Acidemia Type 1 Symptoms in Hindi

वैसे तो इस बीमारी के लक्षण जन्म के कुछ महीनों बाद तक नजर नहीं आते हैं लेकिन कुछ बच्चों में सामान्य से बड़ा सिर (माइक्रोसेफली) की समस्या हो सकती है, इसलिए यदि बच्चे के सिर का आकार बड़ा है तो ऐसे में ग्लूटेरिक एसिडेमिया टाइप I (जीए1) के लिए बच्चे का मूल्यांकन किया जाना चाहिए।

ग्लूटेरिक एसिडेमिया टाइप I के लक्षणों में निम्नलिखित समस्याएं शामिल हैं:

  • जन्म के बाद पहले वर्ष के दौरान बच्चों की मांसपेशियों में कमजोरी (हाइपोटोनिया) और फ्लॉपिनेस (मांसपेशियां का ढीला होना)
  • इसके अलावा उनके मस्तिष्क के आसपास के हिस्से में ब्लीडिंग होने (सबड्यूरल हिमाटोमा) का भी खतरा रहता है। दुर्लभ मामलों में, आंखों के पीछे वाले हिस्से में भी ब्लीडिंग हो सकती है।
  • जीए1 से ग्रस्त बच्चे सेरेब्रल पाल्सी के समान कई लक्षणों का अनुभव कर सकते हैं जैसे कि हाथ, पैर या धड़ में अनैच्छिक गतिविधयां होना
  • हाथ, भुजा, पैर, टांग, सिर और गर्दन की गतिविधियों को नियंत्रित करना मुश्किल होना
  • मांसपेशियों में ऐंठन
  • बार-बार संक्रमण और बुखार जैसी समस्या के वजह से यह लक्षण बदतर हो सकते हैं लेकिन कुछ बच्चों में बिना बुखार आए मस्तिष्क को नुकसान हो सकता है।

इन लक्षणों के साथ हल्के से लेकर मध्यम स्तर तक की इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटी (बौद्धिक विकलांगता) भी हो सकती है।

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ग्लूटेरिक एसिडेमिया टाइप I का कारण - Glutaric Acidemia Type 1 Causes in Hindi

अधिकांश जीनों की तरह, जीसीडीएच (GCDH) जीन भी जोड़े में यानी पेयर में होती है यानी इसकी दो प्रतियां होती हैं। एक प्रति माता से और एक प्रति पिता से मिलती है। ग्लूटेरिक एसिडेमिया टाइप I बीमारी तब होती है जब जीन की दोनों प्रतियों में गड़बड़ी होती है। इसका मतलब है कि जीए1 एक ऑटोसोमल रिसेसिव डिसऑर्डर है।

यह बीमारी जीसीडीएच जीन में उत्परिवर्तन (बदलाव या गड़बड़ी) की वजह से होती है। जीसीडीएच जीन ग्लूटेरिल-सीओए डिहाइड्रोजिनेज (glutaryl-CoA dehydrogenase) नामक एंजाइम बनाने के लिए निर्देश प्रदान करता है। जब इस जीन में गड़बड़ी हो जाती है तो इस एंजाइम का उत्पादन रुक जाता है। इस एंजाइम की कमी की वजह से लाइसिन, हाइड्रॉक्सिलाइसिन और ट्रिप्टोफैन नामक एमिनो एसिड का स्तर असामान्य रूप से बढ़ने लगता है, खासकर ऐसे समय में जब शरीर तनाव में होता है।

ग्लूटेरिक एसिडेमिया टाइप I का निदान - Glutaric Acidemia Type 1 Diagnosis in Hindi

जन्म के 5 दिन बाद शिशुओं में ग्लूटेरिक एसिडेमिया टाइप I का निदान करने के लिए ब्लड स्पॉट स्क्रीनिंग की जाती है। यदि जीए1 डायग्नोज हो जाता है तो गंभीर जटिलताओं के जोखिम को कम करने के लिए तुरंत उपचार की जरूरत होती है। उचित समय पर निदान होने और उपचार मिलने से जीए1 से ग्रस्त बच्चे स्वस्थ और सामान्य जीवन जी सकते हैं। हालांकि ये भी हो सकता है कि इसका उपचार जीवन भर चले।

लेकिन उपचार के बिना लक्षण और गंभीर और जानलेवा हो सकते हैं, जिसमें दौरे पड़ना या कोमा में चले जाना शामिल है। उपचार ना किए जाने पर जीए1 वाले कुछ बच्चों को ब्रेन डैमेज (जैसे मस्तिष्क की चोट) का खतरा हो सकता है, जो मांसपेशियों की गतिविधियों को प्रभावित कर सकता है। इससे चलने-फिरने, बात करने और निगलने में कठिनाई हो सकती है।

ग्लूटेरिक एसिडेमिया टाइप I का इलाज - Glutaric Acidemia Type 1 Treatment in Hindi

वर्तमान में ग्लूटेरिक एसिडेमिया टाइप I का इलाज मुमकिन है। मेटाबोलिक ट्रीटमेंट के तौर पर आहार में कुछ बदलाव करना जरूरी है क्योंकि आहार का सख्ती से पालन करने से तंत्रिका संबंधी हो रहे नुकसान की प्रगति को सीमित किया जा सकता है जैसे लाइसिन फ्री, ट्रिप्टोफैन का कम से कम सेवन करना इत्यादि। आप चाहें तो आहार में बदलाव के लिए मेटाबॉलिक डायटीशियन की मदद ले सकते हैं।

बात अगर दवा की करें, तो बच्चे को एल-कार्निटाइन नामक एक दवा दी जाती  है। यह अतिरिक्त ग्लूटेरिक एसिड को साफ करने में मदद करती है। एल-कार्निटाइन दवा टैबलेट के रूप में दी जाती है और इसे नियमित रूप से लेने की आवश्यकता होती है। हालांकि कोई भी दवा लेने से पहले डॉक्टर से जरूर सलाह लें।

जीए1 से ग्रस्त यदि सभी बच्चों को प्रॉपर तरीके से ट्रीटमेंट दिया जाए, तो ऐसे बच्चों का विकास सामान्य रूप से हो सकता है, लेकिन ध्यान रहे, उपचार बहुत कम उम्र से शुरू होना चाहिए, क्योंकि ऐसा ना होने पर नसों से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं जिससे मांसपेशियों की गतिविधियों को नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है। यह स्थिति ना सिर्फ जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित करती है बल्कि जीवन प्रत्याशा को भी कम कर सकती है, खासकर अगर यह समस्या 6 साल की उम्र से पहले होती है।

जीए1 से ग्रस्त बच्चों के परिवार के सदस्यों को भी जेनेटिक काउंसलिंग लेने की सलाह दी जाती है।

(और पढ़ें - नसों की कमजोरी के कारण)

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