गिल्बर्ट सिंड्रोम - Gilbert syndrome in Hindi

Dr. Rajalakshmi VK (AIIMS)MBBS

October 05, 2020

November 06, 2020

गिल्बर्ट सिंड्रोम
गिल्बर्ट सिंड्रोम

गिल्बर्ट सिंड्रोम एक आनुवंशिक स्थिति है, जिसके कारण लिवर ठीक से कार्य नहीं कर पाता है। कार्य प्रभावित होने के कारण लिवर, बिलीरुबिन नामक एक यौगिक को सही ढंग से संसाधित नहीं कर पाता है। सामान्य रूप से लिवर पुरानी लाल रक्त कोशिकाओं को बिलीरुबिन सहित तमाम यौगिकों में ब्रेक डाउन करता है, जो मल और मूत्र के माध्यम से शरीर से बाहर निकलते हैं। सरल शब्दों में इसे ऐसे समझा जा सकता है- शरीर में ब्रेक डाउन करने वाली लिवर एंजाइम की मात्रा कम होने के कारण गिल्बर्ट सिंड्रोम की समस्या हो सकती है। नतीजतन, रक्त में बिलीरुबिन की अतिरिक्त मात्रा निर्मित होने लगती है।

यदि आपको गिल्बर्ट सिंड्रोम है तो रक्त प्रवाह में बिलीरुबिन बनने लगता है जिससे हाइपरबिलीरुबिनमिया नामक स्थिति उत्पन्न हो सकती है। सरल शब्दों में इसे शरीर में बिलीरुबिन की उच्च मात्रा के रूप में समझा जा सकता है। बिलीरुबिन की बढ़ी हुई मात्रा इस बात का संकेत है कि आपके लिवर फंक्शन में कुछ समस्या है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह हानिकारक स्थिति नहीं है और ज्यादातर मामलों में इसके इलाज की भी आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि, कुछ लोगों में इस स्थिति के चलते शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं। आंंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में तीन से सात फीसदी लोगों को गिल्बर्ट सिंड्रोम की समस्या है।

इस लेख में हम गिल्बर्ट सिंड्रोम के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।

गिल्बर्ट सिंड्रोम के लक्षण - Gilbert syndrome symptoms in Hindi

विशेषज्ञों के मुताबिक गिल्बर्ट सिंड्रोम वाले 30 फीसदी लोगों में कभी कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। इतना ही नहीं कुछ लोगोंं को तो कभी पता ही नहीं चल पाता है कि उन्हें ऐसी कोई समस्या है। हालांकि, कुछ लोगों में गिल्बर्ट सिंड्रोम के निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं।    

यदि आपको गिल्बर्ट सिंड्रोम है और आप ऐसे कार्यों को करते हैं, जिससे बिलीरुबिन का स्तर बढ़ता है। ऐसी स्थिति में आपमें लक्षण गंभीर हो सकते हैं।

  • भावनात्मक या शारीरिक तनाव का अनुभव करना
  • भारी व्यायाम करना
  • लंबे समय तक भूखे रहना
  • पर्याप्त मात्रा में पानी न पीना
  • पर्याप्त नींद न लेना

गिल्बर्ट सिंड्रोम वाले लोग यदि शराब पीते हैं तो उनमें लक्षण और खराब हो जाते हैं। आपको ऐसा महसूस हो सकता है जैसे आपको कई दिनों से हैंगओवर है। गिल्बर्ट सिंड्रोम वाले लोगों में अल्कोहल अस्थायी रूप से बिलीरुबिन के स्तर को बढ़ा सकता है।

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गिल्बर्ट सिंड्रोम का कारण - Gilbert syndrome causes in Hindi

गिल्बर्ट सिंड्रोम एक आनुवंशिक स्थिति है जो माता-पिता से उनके बच्चों को मिलती है। विशेषज्ञों के मुताबिक यूजीटी1ए1 जीन में उत्परिवर्तन के कारण यह समस्या होती है। जीन में उत्परिवर्तन के कारण शरीर में बिलीरुबिन को ब्रेक डाउन करने वाला एंजाइम बनना कम हो जाता है। इस एंजाइम की अपर्याप्तता में शरीर बिलीरुबिन को सही ढंग से संसाधित नहीं कर सकता है। हालांकि, गिल्बर्ट सिंड्रोम के जोखिम कारक नहीं हैं।

गिल्बर्ट सिंड्रोम की रोकथाम - Prevention of Gilbert syndrome in Hindi

जैसा कि उपरोक्त पंक्तियों में बताया गया है कि गिल्बर्ट सिंड्रोम एक आनुवंशिक विकार है, ऐसे में इसकी रोकथाम नहीं की जा सकती है। यदि आपको गिल्बर्ट सिंड्रोम की समस्या है तो अपने डॉक्टर से इस बारे में सलाह लें। कई बार शरीर में बिलीरुबिन की अतिरिक्त मात्रा के कारण आपको कुछ दवाइयों का रिक्शन हो सकता है। इस स्थिति में रोगियों को डॉक्टर की सलाह पर ही दवाइयों का सेवन करना चाहिए।

गिल्बर्ट सिंड्रोम को नियंत्रित करने के लिए आपको अपने जीवनशैली में कुछ बदलाव करने की आवश्यकता है। पौष्टिक भोजन और व्यायाम को अपनी गतिविधियों में शामिल कर आप इसके लक्षणों को नियंत्रित ​कर सकते हैं। व्यायाम के माध्यम से तनाव को प्रबंधित करने में भी मदद मिलती है। ध्यान रहे, शराब से स्थिति और खराब हो सकती है, ऐसे में रोगियों को शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।

गिल्बर्ट सिंड्रोम का निदान - Diagnosis of Gilbert syndrome in Hindi

यदि आपमें लिवर की समस्याओं के लक्षणों के बिना पीलिया की समस्या है तो डॉक्टर गिल्बर्ट सिंड्रोम का परीक्षण कर सकते हैं। यदि आपको पीलिया नहीं भी है तो लिवर फंक्शन ब्लड टेस्ट के दौरान डॉक्टर बिलीरुबिन की बढ़ी हुई मात्रा का पता लगा सकते हैं। इसके अलावा रोगी में बिलीरुबिन की असामान्य मात्रा की कारक स्थितियों का पता लगाने के लिए डॉक्टर लिवर बायोप्सी, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड या रक्त परीक्षण कराने की सलाह दे सकते हैं।

यदि आपमें लिवर टेस्ट के दौरान बिलीरुबिन की बढ़ी हुई मात्रा का पता चलता है ले​किन आपको लिवर से संबंधित कोई अन्य रोग नहीं है तो डॉक्टर गिल्बर्ट सिंड्रोम का निदान कर सकते हैं। इसके अलावा जीन उत्परिवर्तन की स्थिति की जांच के लिए आवश्यकतानुसार जेनेटिक टेस्ट भी कराया जा सकता है। कई लोगों में कुछ दवाओं के कारण भी बिलीरुबिन की मात्रा बढ़ सकती है। डॉक्टर कई स्तर से इन परिस्थितियों का भी पता लगाने की ​कोशिश करते हैं।

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गिल्बर्ट सिंड्रोम का इलाज- Treatment of Gilbert syndrome in Hindi

गिल्बर्ट सिंड्रोम के अधिकांश मामलों में उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि, अगर आपको थकान या मतली सहित महत्वपूर्ण लक्षण दिखाई देने लगते हैं, तो बिलीरुबिन की बढ़ी हुई मात्रा को कम करने के लिए डॉक्टर कुछ दवाइयां दे सकते हैं। इसके अलावा जीवनशैली में कुछ परिवर्तन करके आप लक्षणों को नियंत्रित कर सकते हैं।

  • पूरी नींद लें : रात में सात से आठ घंटे सोने की कोशिश करें। सोने के लिए नियमित दिनचर्या का अनुसरण करें।
  • तीव्र स्तर के व्यायाम से बचें : आप प्रतिदिन 30 मिनट तक हल्के स्तर के व्यायाम कर सकते हैं। भारी वर्कआउट पर 10 मिनट से अधिक का समय न दें।
  • शरीर को हाइड्रेटेड रखें : दिन में खूब सारा पानी पीकर शरीर को हाइड्रेटेड रखने की कोशिश करें। व्यायाम, गर्मी के मौसम और बीमारी के दौरान यह और महत्वपूर्ण हो जाता है।
  • तनाव कम करें : संगीत सुनने, मेडिटेशन, योग और ऐसी अन्य गतिवि​धियों का पालन करें जो आपको तनाव मुक्त रखने में मदद कर सकती हों।
  • संतुलित आहार लें : नियमित अंतराल पर खाते रहें। खाने में उन चीजों को शामिल करें, जिससे शरीर को शक्ति मिलती हो।
  • शराब का सेवन न करें : यदि आपको लिवर की समस्या है तो शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। हालांकि, यदि आप ड्रिंक करते हैं तो महीने में इसके सेवन को सीमित करने का प्रयास करें।


गिल्बर्ट सिंड्रोम के डॉक्टर

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