गैस्ट्रोसचीसिस क्या है?
गैस्ट्रोसचीसिस एक बहुत ही दुर्लभ स्थिति है। इसमें जब आपका बच्चा जन्म लेता है तो उसकी नाभि के आसपास एक छेद होता है, जिसके कारण उसके अंदरूनी अंग जैसे आंतें, पेट और लीवर शरीर से बाहर आ जाते हैं। यह छेद छोटा या फिर बड़ा भी हो सकता है। यह बीमारी तब शुरू हो जाती है जब आपका बच्चा आपके पेट में होता है। अगर आपके बच्चे के पेट की मांसपेशियां सही से कार्य नहीं करती हैं तो उसके कारण शरीर में छेद बन जाता है और उसके अंदरूनी अंग बाहर आ जाते हैं। भ्रूण जैसे-जैसे बड़ा होता है तो उसकी आंतों में ब्लड सर्कुलेशन रुक जाता है जिसकी वजह से आंतों से संबंधित परेशानी होने लगती है और अन्य जटिलताएं भी शुरू हो जाती हैं।
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गैस्ट्रोसचीसिस क्यों होती है?
गैस्ट्रोसचीसिस का अभी सटीक कारण पता नहीं चल पाया है। हालांकि यह अनुवांशिकता के कारण नहीं होता। अगर आपके एक बच्चे को गैस्ट्रोसचीसिस होता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपके दूसरे बच्चे को भी यह समस्या हो। यह संभव है कि गैस्ट्रोसचीसिस की बीमारी गर्भावस्था के तीसरे महीने में हो सकती है। हालांकि, इस बीमारी का अंदाजा 20-24 हफ्ते के बीच में अल्ट्रासाउंड की मदद से लगाया जाता है।
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गैस्ट्रोसचीसिस का इलाज कैसे होता है?
गैस्ट्रोसचीसिस गर्भावस्था के चौदहवां सप्ताह में दिखने लगती है और इसमें अक्सर बच्चे के जन्म से पहले ही बीमारी का पता चल जाता है। गैस्ट्रोसचीसिस से पीड़ित भ्रूण की जांच अल्ट्रासाउंड से की जाती है, अल्ट्रासॉउन्ड में भ्रूण की तस्वीर में आंत एमनीओटिक फ्लूड में तैर रही होंगी। जब बच्चा जन्म लेता है, तो सर्जरी की मदद से उसके पेट के अंगों को शरीर के अंदर सही जगह पर फिट किया जाता है और अन्य दोष को ठीक किया जाता है। अगर गैस्ट्रोसचीसिस से होने वाले दोष छोटे हैं (जैसे थोड़ी सी आंत ही पेट के बाहर निकली हुई हो), तो यह आमतौर पर जन्म के बाद सर्जरी की मदद से ठीक कर दिए जाते हैं। अगर गैस्ट्रोसचीसिस से होने वाले दोष काफी ज्यादा हैं (जैसे काफी अंग पेट के बाहर निकल आए हो) तो धीरे-धीरे इन्हें ठीक किया जाता है।
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