फुकुयामा कंजेनिटल मस्कुलर डिस्ट्रोफी (एफसीएमडी) एक ऐसी समस्या है जो मांसपेशियों और मस्तिष्क को प्रभावित करती है। इसमें मांसपेशियों को नुकसान पहुंचता है और समय के साथ धीरे-धीरे मरीज की स्थिति बदतर होती जाती है। एफसीएमडी के मामले हल्के, विशिष्ट और गंभीर हो सकते हैं। इसमें जन्म के समय से लक्षण दिखना शुरू हो जाते हैं। फुकुयामा कंजेनिटल मस्कुलर डिस्ट्रोफी से ग्रस्त कई बच्चों की वयस्क होने के कुछ दिनों के अंदर ही हार्ट फेल या सांस लेने में कठिनाई होने की वजह से मौत हो जाती है।

इसमें चेहरे पर मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है, जिसकी वजह से पलको का लटकना और मुंह खुला रहना जैसी दिक्कतें देखने को मिलती हैं। बचपन में मांसपेशियों में कमजोरी और जोड़ों से जुड़ी विकृति की वजह से बच्चे को गतिविधियां करने में दिक्कत आती है और मोटर स्किल्स जैसे बैठने, खड़े होने या चलने में कठिनाई भी हो सकती है। हालांकि कुछ बच्चे बिना किसी सहारे के बैठे रह सकते हैं और फर्श पर घिसट कर आगे बढ़ सकते हैं।

फुकुयामा कंजेनिटल मस्कुलर डिस्ट्रोफी के संकेत और लक्षण - Fukuyama Congenital Muscular Dystrophy Symptoms in Hindi

फुकुयामा कंजेनिटल मस्कुलर डिस्ट्रोफी के लक्षणों में शामिल है:

  • बच्चे को दूध खींचने या निगलने में कठिनाई
  • वीक क्राई (रोने की आवाज तेज ना होना)
  • फ्लॉपिनेस (मसल्स का टोन ढीला होना)

बाद के लक्षणों में शामिल हो सकते हैं

  • बोलने में दिक्कत (देर से बोलना)
  • बौद्धिक विकलांगता (जैसे सीखने, प्रॉब्लम को सॉल्व करने या निर्णय लेने में कठिनाई)
  • दौरे पड़ना
  • विजुअल इम्पेयरमेंट (इसे विजन लॉस भी कहते हैं, जिसमें देखने की क्षमता में कमी आ जाती है)

समय के साथ मांसपेशियों को नुकसान होना शुरू हो जाता है, जिसकी वजह से हृदय, सांस व निगलने से संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

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फुकुयामा कंजेनिटल मस्कुलर डिस्ट्रोफी का कारण - Fukuyama Congenital Muscular Dystrophy Causes in Hindi

फुकुयामा कंजेनिटल मस्कुलर डिस्ट्रोफी की बीमारी आनुवांशिक कारणों से होती है। यह एफकेटीएन (FKTN) नामक जीन में गड़बड़ी की वजह से होता है। यह ऑटोसोमल रिसेसिव पैटर्न के जरिये अगली पीढ़ी में ट्रांसमिट होता है, जिसका मतलब है कि बच्चे को उसके माता-पिता दोनों से जीन की खराब प्रतियां मिली हैं।

एफकेटीएन जीन फुकुटिन नामक प्रोटीन बनाने के लिए निर्देश देता है। हालांकि, फुकुटिन वास्तव में करता क्या है, इस बारे में सटीक जानकारी नहीं है, लेकिन शोधकर्ताओं का अनुमान है कि यह रासायनिक रूप से अल्फा डिस्ट्रोग्लाइकेन (α-dystroglycan) नामक प्रोटीन को संशोधित (एक तरह से बदलाव) कर सकता है।  स्केलेटल यानी कंकाल से जुड़ी मांसपेशियों में, α-dystroglycan मांसपेशियों के तंतुओं (मसल्स फाइबर) को स्थिर और संरक्षित करने में मदद करता है। मस्तिष्क में, यह प्रोटीन शुरुआती विकास के दौरान तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन्स) की गतिविधयों को निर्देशित करने में मदद करता है।

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फुकुयामा कंजेनिटल मस्कुलर डिस्ट्रोफी का निदान - Fukuyama Congenital Muscular Dystrophy Diagnosis in Hindi

फुकुयामा कंजेनिटल मस्कुलर डिस्ट्रोफी का निदान इसके लक्षण, नैदानिक परीक्षण, मस्तिष्क की इमेजिंग स्टडी (एमआरआई) और जेनेटिक टेस्टिंग के परिणामों पर आधारित होता है। हालांकि निदान की पुष्टि जेनेटिक टेस्टिंग की मदद से की जाती है। इमेजिंग स्टडी में विभिन्न तकनीकों की मदद से मरीज के शरीर के अंदर की तस्वीरें तैयार होती हैं।

जेनेटिक परीक्षण एक प्रकार का मेडिकल टेस्ट है जो गुणसूत्रों यानी क्रोमोसोम, जीन या प्रोटीनों में गड़बड़ी की पहचान करता है।

फुकुयामा कंजेनिटल मस्कुलर डिस्ट्रोफी का इलाज - Fukuyama Congenital Muscular Dystrophy Treatment in Hindi

एफसीएमडी के लिए सटीक इलाज नहीं है लेकिन इसमें किए जाने वाले ट्रीटमेंट का फोकस लक्षणों का प्रबंधन करना है। एफसीएमडी के उपचार विकल्प में दौरे के लिए दवाइयां, मांसपेशियों में सुधार के लिए फिजिकल थेरेपी और दूध पिलाने में मदद करने के लिए गैस्ट्रोस्टोमी ट्यूब लगाने के लिए सर्जरी की जा सकती है।

एफसीएमडी से ग्रस्त बच्चे की देखभाल के लिए एक विशेष टीम की जरूरत होती है जिसमें निम्नलिखित हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स शामिल हो सकते हैं: आर्थोपेडिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट, पल्मनोलोजिस्ट, फिजिकल थेरेपिस्ट, स्पीच पैथोलॉजिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट इत्यादि।

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