फ्रेजर सिंड्रोम - Fraser Syndrome in Hindi

Dr. Ajay Mohan (AIIMS)MBBS

January 04, 2021

January 13, 2021

फ्रेजर सिंड्रोम
फ्रेजर सिंड्रोम

फ्रेजर सिंड्रोम एक दुर्लभ आनुवांशिक विकार है, जिसमें फ्यूज्ड आइलिड (पलकों का चिपकना), हाथ-पैर की उंगलियों का आपस में फ्यूज होना यानी चिपकना और जननांग व मूत्र पथ में असामान्यताएं जैसी दिक्कते हो सकती हैं। यह दिक्कतें जन्म से पहले भ्रूण के विकास के दौरान ही शरीर में होने लगती हैं। हालांकि इसमें अन्य ऊतक और अंग भी प्रभावित हो सकते हैं।

वैसे फ्रेजर सिंड्रोम से पीड़ित लोगों में क्रिप्टोफैथमस सबसे कॉमन असामान्यता है। यह एक दुर्लभ जन्मजात अनियमितता है जिसमें आंखो के ऊपर स्थायी रूप से त्वचा आ जाती है जिसकी वजह से पलकें नहीं होती हैं। कुछ मामलों में सिर्फ एक आंख ही त्वचा से इस तरह से ढकी रहती है या हो सकता है कि दोनों आंखें आंशिक रूप से त्वचा से ढकी रहें।

आंखों से जुड़ी ये असामान्यताएं आमतौर पर फ्रेजर सिंड्रोम से पीड़ित शिशुओं में नेत्र समस्याओं या अंधेपन का कारण बनती हैं। प्रभावित व्यक्तियों में आंख के असामान्य विकास से संबंधित अन्य समस्याएं हो सकती हैं, जिसमें भौंह पलकों का विकास ना होना शामिल है।

(और पढ़ें - आंखों की बीमारी)

फ्रेजर सिंड्रोम के संकेत और लक्षण - Fraser syndrome Symptoms in Hindi

फ्रेजर सिंड्रोम के संकेत और लक्षणों में निम्नलिखित समस्याएं शामिल हैं:

  • श्वसन पथ की असामान्यताएं, विशेष रूप से स्वरयंत्र (वॉइस बॉक्स) और श्वासनली (विंडपाइप) से संबंधित
  • रीनल एजिनेसिस (एक ऐसी स्थिति जिसमें नवजात शिशु में एक या दोनों किडनी का विकास नहीं होता है) 
  • अम्बिलिकल (नाभि से संबंधित) हर्निया
  • नाक और कान से जुड़ी असामान्यताएं
  • फांक (कटा) होंठ व तालू
  • स्केलेटन या कंकाल संबंधी असामान्यताएं और 
  • बौद्धिक विकलांगता (जैसे कोई चीज सीखने, प्रॉब्लम को सॉल्व करने या निर्णय लेने में कठिनाई)

इस बीमारी के संकेत और लक्षण कई मामलों में गंभीर भी हो सकते हैं लेकिन जो मामले ज्यादा गंभीर नहीं होते हैं उनमें मरीज द्वारा बचपन या वयस्क होने तक जीवित रहने की उम्मीद होती है।

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फ्रेजर सिंड्रोम का कारण - Fraser syndrome Causes in Hindi

फ्रेजर सिंड्रोम तीन अलग-अलग जीन FRAS1, GRIP1 और FREM2 में उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) या गड़बड़ी की वजह से होता है। यह ऑटोसोमल रिसेसिव पैटर्न के जरिए किसी बच्चे में पारित होता है, जिसका मतलब है कि बच्चे को उसके माता-पिता दोनों से जीन की खराब प्रतियां मिली हैं।

FRAS1 और FREM2 जीन ऐसे प्रोटीन के लिए कोड बनाते हैं जो एक साथ काम करते हैं और त्वचा, आंतरिक अंगों और अन्य ऊतकों के उचित विकास में मदद करते हैं। जबकि GRIP1 नामक प्रोटीन GRIP1 नामक जीन के लिए कोड बनाती है, जो यह सुनिश्चित करता है कि FRAS1 और FREM2 प्रोटीन एक साथ काम करने के लिए कोशिका में उचित स्थान पर हैं। इन जीन में उत्परिवर्तन या गड़बड़ी होने से FRAS1 और FREM2 नामक प्रोटीन की क्षमता प्रभावित हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप जन्म से पहले ही कुछ अंगों और ऊतकों में असामान्य विकास होने लगता है।

फ्रेजर सिंड्रोम का निदान - Fraser syndrome Diagnosis in Hindi

जन्म से पहले फ्रेजर सिंड्रोम का निदान संभव है। गर्भावस्था के 18 सप्ताह के दौरान अल्ट्रासाउंड के जरिए फ्रेजर सिंड्रोम को डायग्नोज किया जा सकता है। आमतौर पर प्रसवपूर्व अल्ट्रासोनोग्राफी (प्रीनेटल अल्ट्रासोनोग्राफिक डायग्नोसिस) तब की जाती है जब विकार का संबंध फैमिली हिस्ट्री से होता है यानी परिवार में किसी को यह बीमारी हो चुकी हो।

इसके अलावा फ्रेजर सिंड्रोम का निदान इसके संकेत और लक्षणों के आधार पर भी किया जाता है। निदान की पुष्टि के लिए आनुवांशिक परीक्षण (जेनेटिक टेस्ट) उपयोगी साबित हो सकता है।

(और पढ़ें - डीएनए टेस्ट क्या है)

फ्रेजर सिंड्रोम का इलाज - Fraser syndrome Treatment in Hindi

वैसे तो फ्रेजर सिंड्रोम का वर्तमान में कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों की गंभीरता के आधार पर बीमारी का प्रबंधन किया जा सकता है। एफएस के उपचार में कुछ विकृतियों को ठीक करने के लिए सर्जरी की मदद ली जा सकती है। अन्य उपचार रोगसूचक (सिम्प्टोमैटिक) और सहायक के तौर पर होते हैं।

प्रत्येक रोगी का मूल्यांकन करने और लक्षणों के उपचार के तरीके निर्धारित करने के लिए विशेषज्ञों की एक टीम की आवश्यकता होती है।

दुर्भाग्य से, जो बच्चे बीमारी से जुड़ी गंभीर विसंगतियों (असमानताएं) का शिकार होते हैं उनकी जीवन के पहले वर्ष में ही मृत्यु हो जाती है। बता दें, इस सिंड्रोम से ग्रस्त बच्चे के परिवार को जेनेटिक काउंसलिंग लेने की सलाह दी जाती है।

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