फोकल डर्मल हाइपोप्लासिया - Focal Dermal Hypoplasia in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

January 04, 2021

January 04, 2021

फोकल डर्मल हाइपोप्लासिया
फोकल डर्मल हाइपोप्लासिया

फोकल डर्मल हाइपोप्लासिया क्या है?
फोकल डर्मल हाइपोप्लासिया (एफडीएच) एक आनुवंशिक विकार है जिसे गोल्ट्ज सिंड्रोम के रूप में भी जाना जाता है। यह बीमारी विशेष रूप से त्वचा, कंकाल, आंख और चेहरे को प्रभावित करती है। एक महत्वपूर्ण बात यह है कि इस बीमारी से पीड़ित लगभग 90 प्रतिशत मरीज महिलाएं होती हैं। वहीं, महिलाओं की तुलना में पुरुषों में फोकल डर्मल हाइपोप्लासिया के लक्षण बेहद हल्के होते हैं। वैसे तो इस बीमारी में बुद्धिमत्ता आमतौर पर प्रभावित नहीं होती, लेकिन कुछ लोगों में बौद्धिक विकलांगता देखने को मिलती है।

दरअसल यह एक प्रकार का एक्टोडर्मल डिसप्लेसिया है, मतलब आनुवंशिक विकारों का एक समूह है जिसके कारण बाल, दांत, नाखूनों और ग्रंथियों के असामान्य रूप से विकसित होने की समस्या आती है। इस स्थिति में त्वचा की असामान्यताओं से जुड़ी समस्याएं ज्यादा देखने को मिलती हैं जो शरीर के विभिन्न हिस्सों पर ट्यूमर जैसी गांठ की लकीरों या रेखाओं में विकसित होती हैं।

(और पढ़ें- त्वचा विकार के लक्षण)

फोकल डर्मल हाइपोप्लासिया के लक्षण - Focal Dermal Hypoplasia Symptoms in Hindi

फोकल डर्मल हाइपोप्लासिया यानी एफडीएच एक दुर्लभ विकार है जो मुख्य रूप से महिलाओं को टार्गेट करता है। फोकल डर्मल हाइपोप्लासिया के लक्षणों की बात करें तो इसमें त्वचा पर घाव देखे जाते हैं जो कि रेखादार, अविकसित या 'छिद्रित' जैसे दिखाई देते हैं। त्वचा से जुड़े ये संकेत हाथ, पैर और आंखों पर जन्म के समय से ही होते हैं। इस दौरान त्वचा में जलन, खुजली, स्किन का लाल होना, छाला पड़ना और पपड़ी की समस्या हो सकती है। इसके अलावा शरीर के कुछ जगह पर त्वचा में रंग बदलाव या रंग का बिगड़ना (पिगमेंटेशन) जैसी समस्या आ सकती है। वहीं, नाखूनों का नहीं होना या फिर अविकसित और असामान्य होने की दिक्कत भी देखने को मिल सकती है। 

इसके अलावा मस्से जैसी स्थिति उत्पन्न होना जो कि आमतौर पर जन्म के समय नहीं होती लेकिन उम्र के साथ-साथ यह समस्या आ सकती है। ये मस्से अक्सर मसूड़ों, जीभ, होंठ, नाक, जेनेटीलिया (जननांग) और गुदे पर पए जाते हैं। हथेली और एड़ियों में ऊत्तकों में ओवरग्रोथ की समस्या भी देखने को मिल सकती है।

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फोकल डर्मल हाइपोप्लासिया का कारण - Focal Dermal Hypoplasia Causes in Hindi

फोकल डर्मल हाइपोप्लासिया का कारण जीन में होने वाले परिवर्तन से जुड़ा है। दरअसल PORCN जीन में उत्परिवर्तन की वजह से यह समस्या आती है। यह जीन एक प्रोटीन बनाने के लिए निर्देश देता है जो अन्य प्रोटीनों में होने वाले बदलाव के लिए भी जिम्मेदार होता है, जिसे डब्ल्यूएनटी प्रोटीन कहा जाता है। डब्ल्यूएनटी प्रोटीन शरीर में केमिकल सिग्नलिंग में हिस्सा लेते हैं जो जन्म से पहले त्वचा, हड्डियों और अन्य संरचनाओं के विकास को नियंत्रित करते हैं। कुल मिलाकर इस बीमारी के अनुमानित बचाव संबंधित उपाय उपलब्ध नहीं हैं। दुनिया भर में अब तक केवल 200 से 300 प्रभावित मामलों की ही पुष्टि हुई है जिसमें से केवल 10 प्रतिशत ही पुरुष हैं।

फोकल डर्मल हाइपोप्लासिया का निदान - Diagnosis of Focal Dermal Hypoplasia in Hindi

फोकल डर्मल हाइपोप्लासिया का निदान क्लीनिकल टेस्ट पर आधारित है और इस बीमारी से पीड़ित बच्चे की पहचान आमतौर पर जन्म के समय पर ही हो जाती है। हालांकि डायग्नोसिस की पुष्टि के लिए PORCN जीन का डीएनए टेस्ट भी उपलब्ध है।

(और पढ़ें- स्किन पर चकत्ते का कारण)

क्लीनिकल टेस्ट और मरीज का डायग्नोस्टिक परीक्षण
फोकल डर्मल हाइपोप्लेसिया के निदान के लिए कुछ विशेष परिस्थिति शामिल हैं जो कि इस प्रकार हैं- 
स्किन में कई तरह का बदलाव या एक खास तरह का परिवर्तन, जिसमें विशिष्ट अंग की विकृतियां होती हैं। इसके अलावा चेस्ट एक्स-रे, आंखों की जांच, पेट का एमआरआई, किडनी का अल्ट्रासाउंड, सुनने की क्षमता का मूल्यांकन और मेडिकल जेनेटिक कंसल्टेशन के आधार पर भी फोकल डर्मल हाइपोप्लेसिया का निदान किया जा सकता है।

फोकल डर्मल हाइपोप्लासिया का इलाज- Focal Dermal Hypoplasia Treatment in Hindi

फोकल डर्मल हाइपोप्लेसिया का इलाज रोगियों के लक्षणों पर निर्भर करता है। मतलब त्वचा संबंधी क्रीम और सुरक्षात्मक ड्रेसिंग की मदद से त्वचा की परेशानी को दूर किया जा सकता है। साथ ही इसके जरिए सेकेंडरी इंफेक्शन से बचने में भी मदद मिलती है। इसके साथ ही डेन्चर और हियरिंग एड्स की आवश्यकता हो सकती है। गर्मी और अधिक व्यायाम से बचना चाहिए। अंगों में विकृति का इलाज ऑक्यूपेशनल थेरेपी, सहायक उपकरणों या सर्जरी से किया जा सकता है। कई रोगियों को गले में वसा की अधिक मात्रा जमा हो जाने के कारण निगलने में परेशानी का अनुभव होता है जिसका उपचार सर्जिकल या लेजर थेरेपी से किया जा सकता है।

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