जीभ में दरार - Fissured Tongue in Hindi

Dr. Rajalakshmi VK (AIIMS)MBBS

October 09, 2020

September 02, 2021

जीभ में दरार
जीभ में दरार

सामान्य रूप से किसी व्यक्ति की जीभ सपाट और चिकनी होती है लेकिन फिशर्ड टंग एक ऐसी स्थिति है जिसमें जीभ के ऊपरी सतह पर दरार या खांचेनुमा आकार बन जाते हैं। वैसे तो यह स्थिति न तो संक्रामक है और न ही दर्दनाक। हालांकि, फिशर्ड टंग के साथ यदि किसी व्यक्ति को ज्योग्राफिक टंग की भी समस्या हो या फिर जीभ के दरार में कुछ फंस जाए तो इसके कारण दर्द हो सकता है।

फिशर्ड टंग को बोलचाल की भाषा में 'जीभ का फटना' कहा जाता हैं। यह एक सामान्य स्थिति है। अमेरिका के आंकड़ों के अनुसार देश की करीब पांच फीसदी आबादी को जीभ के फटने की समस्या है। फिशर्ड टंग की समस्या कुछ लोगों में बिना किसी स्पष्ट कारण के दिखाई दे सकती है। हालांकि, कुछ अंतर्निहित स्थितियां इसकी मुख्य कारक हो सकती हैं। यदि आपको जीभ में दरार दिखे तो इस बारे में किसी दंत या मुंह से संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।

वृद्ध लोगों में फिशर्ड टंग सबसे आम है। हालांकि, यह किसी भी उम्र के लोगों में हो सकती है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में फिशर्ड टंग की समस्या अधिक देखने को मिलती है।

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जीभ में दरार के लक्षण - Fissured Tongue Symptoms in Hindi

फिशर्ड टंग में जीभ पर हल्की गहरी दरारें पड़ जाती हैं। सामान्य रूप से ऐसा अनुभव होता है जैसे कि जीभ की सतह दो हिस्सों में बंट गई हो। कुछ लोगों की जीभ पर दरारें अधिक हो सकती हैं। जीभ फटी हुई दिखाई देती है। इसके अलावा इस स्थिति में जीभ पर निम्न बदलाव देखे जा सकते हैं।

  • जीभ की सतह पर दरारें नजर आना
  • जीभ का मध्य भाग सबसे अधिक बार प्रभावित होता है
  • फिशर्ड टंग के साथ ज्योग्राफिक टंग के लक्षण दिखााई देना

ज्यादातर लोगों में फिशर्ड टंग और ज्योग्राफिक टंग की समस्या एक साथ देखने को मिलती है। सामान्य रूप से जीभ छोटे, गुलाबी-सफेद आवरण से ढकी होती है, जिसे पैपिली कहा जाता है। जिन लोगों को ज्योग्राफिक टंग की समस्या होती है उनके जीभ के विभिन्न हिस्सों से यह पैपिली गायब हो जाती है। वैसे न तो फिशर्ड टंग और न ही ज्योग्राफिक टंग से किसी प्रकार के संक्रमण अथवा हानि का खतरा होता है। इन स्थितियों में कुछ लोगों को असुविधा और कुछ पदार्थों के प्रति संवेदनशीलता का अनुभव हो सकता है।

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जीभ में दरार का कारण - Fissured Tongue Causes in Hindi

फिशर्ड टंग के वास्तविक कारण स्पष्ट नहीं हैं। हालांकि, डॉक्टरों का मानना है कि यह स्थिति आनुवंशिक हो सकती है। यह समस्या ज्यादातर बचपन में दिखाई देती है। हालांकि, उम्रदराज लोगों में इसके लक्षण और गंभीर रूप से दिखाई पड़ सकते हैं।

फिशर्ड टंग की समस्या को विशेषज्ञ कई अन्य सिंड्रोमों, विशेष रूप से डाउन सिंड्रोम और मेल्कोर्सन-रोसेन्थल सिंड्रोम से जोड़कर देखते हैं। डाउन सिंड्रोम एक आनुवंशिक स्थिति है जो विभिन्न प्रकार की शारीरिक और मानसिक दुर्बलताओं का कारण बन सकती है। डाउन सिंड्रोम वाले लोगों में दो के बजाय गुणसूत्र 21 की तीन प्रतियां मौजूद होती हैं। वहीं मेल्केर्सन-रोसेन्थल सिंड्रोम एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जिसके कारण चेहरे अथवा होंठ में सूजन और बेल्स पाल्सी की समस्या होती है। बेल्स पाल्सी को चेहरे के पक्षाघात के एक रूप में जाना जाता है।

दुर्लभ मामलों में फिशर्ड टंग कुछ अन्य स्थितियों के साथ भी से जुड़ी हो सकती है जैसे

  • कुपोषण और विटामिन की कमी
  • सोरायसिस
  • ओरोफेशियल ग्रैनुलोमैटोसिस : यह एक दुर्लभ स्थिति है, जिसके कारण होंठ, मुंह और मुंह के आसपास के हिस्सों में सूजन हो जाती है।

(और पढ़ें - जीभ के छाले)

जीभ में दरार का निदान - Diagnosis of Fissured Tongue in Hindi

फिशर्ड टंग के कारण जीभ में हुए परिवर्तन को देखकर ही इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। हालांकि, स्थिति के अंतनिर्हित कारणों को जानने के लिए डॉक्टर कुछ परीक्षण कराने की सलाह दे सकते हैं। फिशर्ड टंग के निदान के लिए मुंह रोग विशेषज्ञ अथवा किसी दंत चिकित्सक से संपर्क कर सकते हैं। यदि तमाम उपचार माध्यमों को प्रयोग में लाने के बावजूद भी जीभ की दरारें ठीक न हो रही हों तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर कारणों का पता लगाने के लिए स्किन बायोप्सी कर सकते हैं।

यदि फिशर्ड टंग के कारण कोई और लक्षण विकसित होते हैं तो डॉक्टर दांतों और मुंंह की अच्छे से सफाई रखने की सलाह देते हैं। इससे दरारों में जम रही गंदगी को दूर करने में मदद मिलती है। गंदगी इकट्ठा होने के कारण जलन और चुभन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

जीभ में दरार का इलाज - Treatment of Fissured Tongue in Hindi

फिशर्ड टंग में आमतौर पर इलाज की आवश्यकता नहीं होती है। चूंकि, ज्यादातर मामलों में इसके लक्षण नजर नहीं आते हैं और लोगों को तब तक इसका पता नहीं चल पाता है जब तक कि दंत चिकित्सक नियमित जांच के दौरान इसका निदान नहीं करते हैं।

खाने की चीजें अथवा दरारों में गंदगी फंस जाने के कारण जीभ में तमाम प्रकार की दिक्कतें हो सकती हैं। दरारों में गंदगी फंंसने के कारण वहां बैक्टीरिया के बढ़ने का भी खतरा हो सकता है। इस कारण से सांस से बदबू आने या दांतों की सड़न जैसी समस्याएं हो सकती हैं। गंभीर मामलों में जीभ के गहरे खांचों में 'कैंडिडा अल्बिकन्स बैक्टीरिया' विकसित होकर संक्रमण फैला सकते हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए एंटिफंगल दवाओं के साथ इलाज की आवश्यकता होती है।

डॉक्टरों के मुताबिक मौखिक स्वच्छता का विशेष ध्यान रखकर आप फिशर्ड टंग की समस्या से स्वयं को सुरक्षित रख सकते हैं। दिन में कम से कम दो बार मुंह की सफाई करें और नियमित रूप से जांच के लिए दंत चिकित्सक से संपर्क करें।

(और पढ़ें - जीभ साफ करने का तरीका)

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