फीटल वैल्प्रोएट सिंड्रोम (एफवीएस) एक ऐसी समस्या है जो कि गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में भ्रूण को अपनी चपेट में ले लेती है। दरअसल गर्भावस्था के दौरान बच्चा वैल्प्रोइक एसिड (वीपीए) के संपर्क में आ जाता है जिससे यह स्थिति उत्पन्न होती है। 'नैशनल सेंटर फॉर एडवांसिंग ट्रांसलेशनल साइंसेज' की एक रिपोर्ट के मुताबिक वैल्प्रोइक एसिड जिसे वैल्प्रोएट भी कहा जाता है एक दवा है जिसका इस्तेमाल अक्सर मिर्गी, बाइपोलर डिसऑर्डर और माइग्रेन के इलाज के लिए किया जाता है। हालांकि गर्भावस्था के दौरान इस दवा के संपर्क में आने के बाद भी कई बच्चे सामान्य वृद्धि और विकास के साथ स्वस्थ पैदा होते हैं।
लेकिन कई अध्ययनों के जरिए वैज्ञानिकों ने पाया है कि जो महिलाएं गर्भावस्था के समय वैल्प्रोएट दवा का सेवन करती हैं, उनके बच्चे को जन्मदोष या अन्य स्वास्थ्य समस्याएं होने की अधिक आशंका बनी रहती है। इस बीमारी के (एफवीएस) लक्षण अलग-अलग होते हैं, लेकिन इसमें चेहरे की बनावट, स्पाइना बिफिडा, जन्मजात हृदय दोष, होंठों का कटा होना या फांक तालु, जननांग असामान्यताएं, कंकाल असामान्यताएं और विकास में देरी जैसी समस्याएं शामिल हैं।
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