एसेंशियल ट्रेमर क्या है?
एसेंशियल ट्रेमर को बिनाइन एसेंशियल ट्रेमर के रूप में भी जाना जाता है। यह नर्वस सिस्टम ब्रेन डिसऑर्डर (नसों से संबंधित मस्तिष्क का एक विकार) है, जिसमें शरीर का कोई हिस्सा अनियंत्रित तरह से कांपने लगता है।
जब शरीर का कोई हिस्सा व्यक्ति की इच्छा के बिना कांपने लगता है तो इस स्थिति को ट्रेमर कहते हैं। इस बीमारी से सबसे ज्यादा हाथ व फोरआर्म (कोहनी और कलाई के बीच का हिस्सा) प्रभावित होता है। हालांकि, यह शरीर के निम्नलिखित हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है:
- सिर
- चेहरा
- जीभ
- गर्दन
- धड़
कुछ दुर्लभ मामलों में, पैर और टांग में भी कंपन्न हो सकता है। हालांकि, ट्रेमर्स को ट्रिगर करने वाली किसी भी अंतर्निहित स्थिति का पता नहीं चल पाया है। यह बीमारी किसी भी उम्र में शुरू हो सकती है, लेकिन यह ज्यादातर वृद्ध लोगों को प्रभावित करती है।
एसेंशियल ट्रेमर एक आम विकार है। यह जानलेवा नहीं है और इससे कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या नहीं होती है। हालांकि, कांपने की वजह से दैनिक गतिविधियां करने जैसे कि खाने-पीने में दिक्कत हो सकती है।
एसेंशियल ट्रेमर के लक्षण
इस बीमारी के संकेतों व लक्षणों में शामिल है:
- यह धीरे-धीरे शुरू होते हैं व आमतौर पर शरीर के एक हिस्से को अधिक प्रभावित करते हैं
- शारीरिक गतिविधि करने या चलने पर लक्षण बढ़ जाते हैं
- आमतौर पर यह स्थिति पहले हाथों (एक या दोनों हाथ) को प्रभावित करती है
- प्रभावित व्यक्ति का सिर "हां" या "नहीं" कहने के मोशन में बार-बार हिल सकता है
- भावनात्मक तनाव, थकान, कैफीन या ज्यादा ठंडे या गर्म तापमान में रहने की वजह से लक्षण बढ़ सकते हैं
एसेंशियल ट्रेमर का कारण
एसेंशियल ट्रेमर के सटीक कारण के बारे में अभी तक पता नहीं चल पाया है। वैज्ञानिकों को इस बीमारी का कोई अनुवांशिक या पर्यावरणीय कारण नहीं मिला है। शराब की लत, हाइपरथायराइड (जब थायरॉयड ग्रंथि 'थायरोक्सिन हार्मोन' का बहुत अधिक उत्पादन करने लगती है), स्ट्रोक और विभिन्न नसों से संबंधित स्थितियों की वजह से ट्रेमर हो सकते हैं।
हालांकि, इन ट्रेमर को एसेंशियल ट्रेमर नहीं कहा जा सकता है। इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक (एनआईएनडीएस) के शोध से पता चला है कि, मस्तिष्क के कुछ हिस्सों में बदलाव होने से एसेंशियल ट्रेमर की समस्या हो सकती है। फिलहाल इस विषय पर शोध जारी है।
एसेंशियल ट्रेमर के जोखिम कारक
40 वर्ष की उम्र के बाद इस बीमारी के होने की संभावना अधिक रहती है। इसके अलावा जेनेटिक कारण भी जोखिम को बढ़ा सकते हैं। एसेंशियल ट्रेमर जेनेटिक भी हो सकता है लेकिन यह स्थिति उन लोगों को भी प्रभावित कर सकती है जिनके परिवार में किसी को भी ये बीमारी न रही हो। जब एसेंशियल ट्रेमर फैमिली हिस्ट्री (मरीज और उसके परिवार के सदस्यों में रहे विकारों एवं बीमारियों का रिकॉर्ड) की वजह से नहीं होता है तो इसे फैमिलियर ट्रेमर कहा जाता है।
एसेंशियल ट्रेमर का इलाज
एसेंशियल ट्रेमर का कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को नियंत्रित व धीमा किया जा सकता है। कुछ ऐसे उपचार भी मौजूद हैं, जो लक्षणों को दूर करने में मदद कर सकते हैं। यदि लक्षण ज्यादा गंभीर नहीं हैं तो आपको इलाज की आवश्यकता नहीं हो सकती है, लेकिन यदि लक्षण गंभीर हैं और रोजमर्रा की गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं, तो ऐसे में डॉक्टर इलाज करवाने की सलाह दे सकते हैं। इस स्थिति के इलाज के विकल्पों में शामिल हैं:
- दवाइयां
- बीटा-ब्लॉकर्स, जैसे प्रोप्रानोलोल जो एड्रेनालाईन (एक तरह का हार्मोन) को सीमित कर कंपन्न की स्थिति को खराब होने से रोकती हैं
- ब्लड प्रेशर की दवाइयां, जैसे फ्लुनारिजिन जो एड्रेनालाईन को सीमित करती हैं
- दौरे रोकने वाली दवाइयां, जैसे कि प्राइमिडोन, जो नसों से जुड़ी कोशिकाओं की उत्तेजना को कम करने का काम करती हैं
- माइल्ड ट्रैंक्विलाइजर (डर और चिंता को कम करने वाले), जैसे अल्प्राजोलम भी एक विकल्प है
- थेरेपी
तालमेल बैठाने व मांसपेशियों के नियंत्रण में सुधार लाने के लिए फिजियोथेरेपी की मदद ले सकते हैं। इसके अलावा मांसपेशियों को कमजोर करने और कंपन्न को कम या बंद करने के लिए बोटॉक्स इंजेक्शन भी दिए जा सकते हैं।
- सर्जरी
जब अन्य उपचार की मदद से राहत नहीं मिल पाती है, तो सर्जरी की मदद ली जा सकती है। सर्जरी के विकल्पों में डीप ब्रेन स्टिमुलेशन और स्टीरियोटैक्टिक रेडियो सर्जरी शामिल है।
अक्सर लोग हाथ या शरीर के किसी भी हिस्से में कंपन्न को इतनी गंभीरता से नहीं लेते हैं लेकिन अगर आपको ये प्रॉब्लम बार-बार या लगातार हो रही है तो आपको एक बार डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लेना चाहिए।