एरीसिपेलस क्या है?
एरीसिपेलस एक प्रकार का बैक्टीरियल संक्रमण है, जो त्वचा की ऊपरी सतह (सुपरफीशियल) पर होता है। जब त्वचा में कोई घाव या कट लग जाता है,तो उसमें से बैक्टीरिया त्वचा के अंदर चले जाते हैं और संक्रमण फैलाते हैं। इसमें त्वचा की ऊपरी सतह में लालिमा व सूजन हो जाती है।
इसे सेलुलाइटिस का एक रूप माना जाता है, जिसमें सेलुलाइटिस त्वचा की अंदरूनी सतह को प्रभावित करता है। एरिसिपेलस में मुख्य रूप से उंगलियां, टांग, बांह, पेट और चेहरे की त्वचा प्रभावित होती है। हालांकि, यह संक्रमण शरीर के किसी भी हिस्से में विकसित हो सकता है।
एरीसिपेलस के क्या लक्षण हैं?
एरीसिपेलस से होने वाले त्वचा संबंधी लक्षण विकसित होने से पहले ही मरीज को अस्वस्थ महसूस होने लगता है। ऐसे में उन्हें बुखार, ठंड लगना और शरीर कांपना आदि लक्षण महसूस होने लगते हैं। इन लक्षणों को कुछ समय बाद शरीर के किसी एक हिस्से की त्वचा पर अन्य लक्षण विकसित होने लगते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं -
- त्वचा में सूजन होना
- लालिमा
- त्वचा छूने पर गर्म महसूस होना
- फफोले (गंभीर मामलों में)
- प्रभावित व अप्रभावित त्वचा के बीच निशान पड़ना
- प्रभावित त्वचा में लाल धारियां दिखाई देना
- गंभीर मामलों में त्वचा बैंगनी या काली पड़ जाना
एरीसिपेलस में होने वाले कुछ लक्षण आमतौर पर अचानक से ही विकसित होते हैं, जो विकसित होने में आमतौर पर संक्रमित होने के कुछ घंटों से दिनों तक का समय ले सकते हैं।
डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
यदि आपको ऊपरोक्त में से कोई भी लक्षण महसूस हो रहा है, तो आपको इस बारे में डॉक्टर से बात कर लेनी चाहिए। इसके अलावा जिन लोगों को हाल ही में त्वचा पर कोई घाव या कट हुआ था और वह ठीक नहीं हो रहा है, तो भी डॉक्टर से बात कर लेनी चाहिए। जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली किसी कारण से कमजोर हो गई है, उन्हें विशेष रूप से समय-समय पर डॉक्टर से बात कर लेनी चाहिए।
(और पढ़ें - प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने का कारण)
एरीसिपेलस क्यों होता है?
त्वचा के किसी घाव या छेद के माध्यम से बैक्टीरिया को त्वचा में घुस कर संक्रमण फैलाना ही एरीसिपेलस का सबसे मुख्य कारण है। हालांकि, त्वचा में घाव या छेद होने के कई अलग-अलग कारण हो सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं -
- त्वचा पर छाले या फफोले बनना
- किसी कीट या जानवर द्वारा काटना
- सर्जरी से होने वाला घाव
इसके अलावा स्वास्थ्य संबंधी कुछ अन्य समस्याएं भी हैं, जो त्वचा में छेद या घाव पैदा कर देती है जैसे -
इसके अलावा स्वास्थ्य संबंधी कुछ अन्य समस्याएं भी हैं, तो प्रत्याशित व अप्रत्याशित रूप से एरीसिपेलस होने का कारण बन सकती हैं -
- मोटापा
- शराब की लत
- कंट्रोल न किया गया डायबिटीज
- रक्त संचारण संबंधी समस्या
- प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर रहना
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बीमारियों के अलावा कुछ दवाएं भी हैं, जो एरीसिपेलस विकसित होने में भूमिका निभा सकती हैं। इनमें मुख्य रूप से प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर बनाने वाली दवाएं हैं जैसे कैंसर व स्व प्रतिरक्षित रोगों को रोकने और अंग प्रत्यारोपण के बाद इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं।
एरीसिपेलस होने का खतरा कब बढ़ता है?
एरीसिपेलस संक्रमण किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। हालांकि, कुछ आंकड़ों के अनुसार यह अधिकतर शिशुओं व वृद्ध व्यक्तियों को ही होता है। एरीसिपेलस एक से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता और ना ही यह माता-पिता से बच्चे में होता है।
एरीसिपेलस का परीक्षण कैसे किया जाता है?
एरीसिपेलस का परीक्षण मुख्य रूप से मरीज के स्वास्थ्य संबंधी लक्षणों और शारीरिक जांच की मदद से किया जाता है। यदि संक्रमण के प्रकार का पता न चल पाए तो ऐसे में डॉक्टर मरीज की प्रभावित त्वचा से ऊतकों का सैंपल लेकर उसकी जांच कर सकते हैं। यदि किसी कीट या जानवर के काटने से घाव बना है, तो घाव से द्रव को निकाल कर उसकी जांच की जाती है, ताकि बैक्टीरिया आदि का पता लगाया जा सके।
एरीसिपेलस का इलाज कैसे किया जाता है?
यदि एरीसिपेलस अधिक गंभीर नहीं है, तो उसका घर पर ही इलाज किया जा सकता है लेकिन गंभीर स्थितियों में मरीज को अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है। एरीसिपेलस के इलाज में सामान्य देखभाल, दवाएं और सर्जरी आदि शामिल हैं, जिनका चुनाव रोग की गंभीरता के अनुसार किया जाता है।
- सामान्य देखभाल -
एरीसिपेलस से प्रभावित त्वचा को आमतौर पर शरीर से ऊपर के स्तर पर रखा जाता है, ताकि सूजन को कम किया जा सके। उदाहरण के लिए यदि टांग की त्वचा में संक्रमण हुआ है, तो टांग को कूल्हों के स्तर से ऊंचा रखा जाता है। ऐसे में टांगों के नीचे कुछ तकिए लगाए जा सकते हैं। इसके अलावा नियमित रूप से पर्याप्त पानी पीना और उचित व्यायाम करना भी सामान्य इलाज का हिस्सा है।
- दवाएं -
एरीसिपेलस एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन है, जिसके इलाज के लिए एंटीबायोटिक दवाएं सबसे जरूरी होती हैं, जैसे पेनीसिलिन आदि। यदि एरीसिपेलस गंभीर नहीं है, तो ये दवाएं घर पर ही दी जा सकती हैं, लेकिन गंभीर मामलों में मरीज को अस्पताल में भर्ती किया जाता है और नसों के द्वारा (इंट्रावेनस) ये दवाएं दी जाती हैं। इसके अलावा मरीज के लक्षणों के अनुसार उन्हें दर्द व सूजन रोकने वाली दवाएं भी दी जा सकती हैं।
- सर्जरी -
जब एरीसिपेलस संक्रमण गंभीर रूप से बढ़ जाता है और ऊतक सड़ने लग जाते हैं, तो ऐसे में सर्जरी की जरूरत पड़ती है। सर्जरी की मदद से नष्ट हुए ऊतकों को काट कर अलग कर दिया जाता है, ताकि यह संक्रमण स्वस्थ ऊतकों तक न फैल पाए।
(और पढ़ें - त्वचा संक्रमण का इलाज)