दिमाग में खून जमना (एपिड्यूरोल हीमेटोमा) - Epidural Hematoma in Hindi

Dr. Nabi Darya Vali (AIIMS)MBBS

September 01, 2020

January 23, 2021

दिमाग में खून जमना
दिमाग में खून जमना

मस्तिष्क में लगने वाली चोट को घातक माना जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति को त्वरित इलाज की आवश्यकता होती है। कई बार रक्तस्राव के कारण खोपड़ी और मस्तिष्क के सुरक्षात्मक आवरण के बीच में रक्त जमा होने लगता है, इस स्थिति को एपिड्यूरल हेमेटोमा के नाम से जाना जाता है। सिर पर लगने वाली चोट की स्थिति में आंतरिक परत, ऊतकों और रक्त वाहिकाओं को क्षति पहुंच सकती है, जिसके परिणामस्वरूप रक्तस्राव होता है। समय से इलाज न मिल पाने के कारण मस्तिष्क में जमा होने वाला खून जानलेवा भी हो सकता है।

एपिड्यूरल हेमेटोमा आपके मस्तिष्क पर दबाव डाल सकता है, जिसके कारण मस्तिष्क में सूजन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। सूजन की स्थिति में आपका मस्तिष्क, खोपड़ी की ओर शिफ्ट हो सकता है। इसके अलावा दबाव के कारण मस्तिष्क के ऊतकों को क्षति पहुंचने का खतरा रहता है, जिससे आपकी नजर, बोलने की क्षमता और चेतना प्रभावित होती है। किसी प्रकार की दुर्घटना जिसमें मस्तिष्क पर चोट लगी हो, उसमें एपिड्यूरल हेमेटोमा के लक्षणों को पहचान कर रोगी को त्वरित चिकित्सा उपलब्ध कराने की व्यवस्था करनी चाहिए। हालांकि, सबसे महत्वपूर्ण यह है कि एपिड्यूरल हेमेटोमा के शुरुआती लक्षणों का पहचाना जा सके। इस लेख में हम इसके शुरुआती लक्षण, खतरे और इलाज के बारे में विस्तार से जानेंगे।

एपिड्यूरल हेमेटोमा के लक्षण- Epidural Hematoma symptoms in hindi

एपिड्यूरल हेमेटोमा के लक्षण चोट की गंभीरता पर निर्भर करते हैं। सिर में चोट लगने के कुछ मिनटों या घंटे में लक्षण नजर आने लगते हैं। यदि आपको निम्नलिखित में से एक या एक से अधिक लक्षणों का अनुभव हो तो आपको एपिड्यूरल हेमेटोमा हो सकता है :

उपरोक्त लक्षणों के अलावा चोट लगने के बाद कुछ समय के लिए बेहोशी जैसी हालत भी हो सकती है। हालत ज्यादा गंभीर होने पर कोमा जैसी समस्या भी हो सकती है।

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एपिड्यूरल हेमेटोमा के कारण - Epidural Hematoma causes in hindi

एपिड्यूरल हेमेटोमा आमतौर पर सिर में लगने वाली चोट के परिणामस्वरूप होता है। उदाहरण के लिए गिरने, वाहनों की दुर्घटना या खेल के दौरान एक दूसरे से टक्कर हो जाने से एपिड्यूरल हेमेटोमा होने का खतरा रहता है।

इसके अलावा कुछ लोगों और स्थितियो में भी हेमेटोमा का खतरा ज्यादा रहता है। जैसे -

  • बहुत अधिक शराब का सेवन
  • ऐसे खेल से जुड़े लोग जिनमें चोट लगने का खतरा ज्यादा रहता हो
  • बिना हेलमेट पहने साइकिल या मोटरसाइकिल चलाना
  • रक्त को पतला करने वाली दवाएं लेने वाले लोग
  • वाहन चलाते वक्त सीट बेल्ट न पहनना

एपिड्यूरल हेमेटोमा का निदान - Diagnosis of Epidural Hematoma in hindi

यदि रोगी की स्थिति को देखते हुए डॉक्टर को एपिड्यूरल हेमेटोमा का संदेह है तो वे इसकी जांच के लिए कई प्रकार के परीक्षण कराने की सलाह दे सकते हैं। उदाहरण के लिए आपको निम्न प्रकार के परीक्षण कराने की आवश्यकता हो सकती है।

इन परीक्षणों की रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर मस्तिष्क की स्थिति के बारे में पता लगाते हैं। इलाज की प्रक्रिया भी इसी पर निर्भर करती है।

एपिड्यूरल हेमेटोमा का इलाज -Treatment of Epidural Hematoma in hindi

रोगी की स्थिति और लक्षणों की गंभीरता के आधार पर इलाज की प्रक्रियाओं को प्रयोग में लाया जाता है। यदि व्यक्ति को शरीर के अन्य हिस्सों में भी गंभीर चोट है तो उसे आपातकालीन चिकित्सा की आवश्यकता होती है। एपिड्यूरल हेमेटोमा का इलाज विशेष रूप से दवाइयों और सर्जरी के माध्यम से किया जाता है।

सर्जरी

एपिड्यूरल हेमेटोमा के ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि इसे ठीक करने और रक्त के जमाव को हटाने के लिए सर्जरी करने की आवश्यकता होती है। इसमें क्रैनियोटॉमी नाम के इलाज की पद्धति का प्रयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में, खोपड़ी के एक हिस्से को खोलकर रक्त के जमाव को हटाया जाता है, जिससे मस्तिष्क पर पड़ने वाले दबाव को कम किया जा सके।

इसके अलावा यदि स्थिति बहुत ज्यादा गंभीर नहीं है तो डॉक्टर एसपिरेशन नामक पद्धति के द्वारा इलाज करते हैं। इसमें खोपड़ी में एक छोटा सा छेद बनाया जाता है। इस छेद से सक्शन के माध्यम से हेमाटोमा को निकाला जाता है। हालांकि, यह पद्धति सिर्फ उन स्थितियों में प्रयोग की जाती है जिनमें ​हेमाटोमा छोटा होता है और यह मस्तिष्क पर दबाव नहीं डाल रहा होता है।

दवाइयां

क्रैनियोटॉमी और एसपिरेशन जैसे सर्जरी के उपायों से पहले मस्तिष्क की सूजन और दबाव को कम करने के लिए डॉक्टर कुछ दवाइयां देते हैं। उदाहरण के लिए डॉक्टर हाइपरोस्मोटिक एजेंट को प्रयोग में लाते हैं। ये दवाएं आपके मस्तिष्क में सूजन को कम करने में मदद कर सकती हैं।

वहीं हेमेटोमा को हटाने के बाद डॉक्टर एंटीसेज़्योर दवाइयां लिख सकते है। स्थिति को देखते हुए इन दवाइयों का कोर्स एक महीने से लेकर एक साल तक का हो सकता है। इन दवाइयों के अलावा तेजी से रिकवरी के लिए आवश्यकतानुसार दर्द निवारक और सूजन को कम करने वाली दवाइयों को भी प्रयोग में लाया जा सकता है।

घरेलू देखभाल

सर्जरी के बाद स्थिति को ठीक होने में एक से छह माह तक का समय लग सकता है। सर्जरी के बाद घर पर अच्छे से देखभाल होना बहुत आवश्यक होता है। इस दौरान आपको कुछ बातों का​ विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है।

  • डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाइयों और तरीकों का सही से पालन।
  • शरीर को पर्याप्त आराम दें। रात में अच्छी नींद लेना बहुत आवश्यक होता है।
  • आपने काम को धीरे-धीरे करना शुरू ​करें।
  • खेलकूद जैसी गतिविधियों, विशेषकर ऐसे खेल जिनमें एक-दूसरे से भिड़ने का डर हो उनसे दूर रहें।
  • शराब का सेवन न करें।
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