डायबिटिक डिसलिपिडेमिया क्या है?
डिसलिपिडेमिया, लिपोप्रोटीन चयापचय से जुड़ा एक विकार है। इस विकार से लिपोप्रोटीन का बहुत अधिक उत्पादन हो सकता है या इसकी कमी हो सकती है। इससे रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम हो सकता है। डायबिटीज (मधुमेह) के मरीजों में डिसलिपिडेमिया यानी लिपिड स्तर में परिवर्तन का खतरा अधिक होता है। इसीलिए इस लेख में डायबिटिक डिसलिपिडेमिया के बारे में विशेष जानकारी दी गयी है।
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डायबिटिक डिसलिपिडेमिया के मुख्य लक्षण हैं?
जब डिसलिपिडेमिया हल्का होता है, तो इससे किसी भी तरह के लक्षण पैदा नहीं होते हैं। हालांकि, डायबिटिक डिसलिपिडेमिया के गंभीर मामले में निम्नलिखित लक्षण पैदा हो सकते हैं:
डायबिटीज वाले व्यक्तियों में डिसलिपिडेमिया के कारण हृदय रोग और स्ट्रोक की तरह की जटिलताओं के विकसित होने का अधिक खतरा होता है।
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डायबिटिक डिसलिपिडेमिया के मुख्य कारण क्या हैं?
टाइप 2 मधुमेह वाले व्यक्तियों में डिसलिपिडेमिया विकसित होने का खतरा काफी अधिक होता है। डायबिटीज अपने आप में एक गंभीर विकार है और डिसलिपिडेमिया का संभावित कारण है क्योंकि डायबिटीज लिपिड के सामान्य स्तर के साथ हस्तक्षेप करके उसके बढ़ने का कारण बनता है। इंसुलिन हार्मोन और उच्च रक्त शर्करा (हाई ब्लड शुगर) स्तर मधुमेह वाले व्यक्तियों में डिसलिपिडेमिया का मुख्य कारण है।
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मोटापा और रक्त वाहिका संबंधी रोगों जैसी स्थिति भी डिसलिपिडेमिया का कारण बन सकती है। डिसलिपिडेमिया के कुछ अन्य कारण निम्नलिखित हैं:
- लिवर की बीमारी
- अत्यधिक शराब का सेवन
- निष्क्रिय जीवन शैली
- उच्च कैलोरी वाला आहार (अस्वास्थ्यकर आहार) (और पढ़ें - वजन कम करने के लिए कितनी कैलोरी खाएं)
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डायबिटिक डिसलिपिडेमिया का निदान और उपचार कैसे किया जाता है?
ब्लड टेस्ट और पेशाब की जांच करके डॉक्टर द्वारा डिसलिपिडेमिया का निदान किया जाता है। मधुमेह वाले व्यक्तियों में, हृदय संबंधी बीमारियों जैसी गंभीर जटिलताओं को रोकने के लिए रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रण में रखना बेहद आवश्यक है। इसलिए, डॉक्टर न केवल आहार और जीवनशैली में बदलाव की सलाह देते हैं, बल्कि बार-बार और नियमित जांच के लिए भी जोर देते हैं। डिसलिपिडेमिया के जोखिम को कम करने के लिए आपके डॉक्टर द्वारा स्टैटिन और फाइब्रिनोजेन नामक दवाएं भी दी जा सकती हैं।
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