सिस्टिक फाइब्रोसिस - Cystic Fibrosis in Hindi

Dr. Anurag Shahi (AIIMS)MBBS,MD

June 25, 2018

December 16, 2023

सिस्टिक फाइब्रोसिस
सिस्टिक फाइब्रोसिस

सिस्टिक फाइब्रोसिस क्या है?

सिस्टिक फाइब्रोसिस माता-पिता से बच्चों में आने वाला एक रोग है। इससे आपके फेफड़ों, पाचन तंत्र और अन्य अंगों को हानि पहुँचती है। 

जो ऊतक बलगम, पसीना या पाचन रस (digestive juice) बनाते हैं, सिस्टिक फाइब्रोसिस होने से उन्हें नुक्सान पहुँचता है। ये तरल पदार्थ सामान्य रूप से पतले और चिकने होते हैं। जिन लोगों को सिस्टिक फाइब्रोसिस होता है, उनमें असामान्य जीन (gene) के कारण ये तरल पदार्थ गाढ़े और चिपचिपे हो जाते हैं। लुब्रीकेंट का काम करने के बजाय ये तरल पदार्थ अंगों की नलियां जाम कर देते हैं, खास कर फेफड़ों और अग्नाशय की।

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सिस्टिक फाइब्रोसिस से पीड़ित लोगों को नियमित देखभाल की जरूरत पड़ती है, परन्तु वह आम लोगों की तरह रोजाना स्कूल या दफ्तर जा पाते हैं। आज कल सिस्टिक फाइब्रोसिस रोगियों का जीवन पहले से काफी बेहतर हो चुका है। इलाज और टेस्ट में बेहतरी से सिस्टिक फाइब्रोसिस से पीड़ित लोग अब मध्य 30 साल तक बड़े आराम से जी सकते हैं। कुछ लोग 40-50 साल की उम्र तक भी जी सकते हैं।

सिस्टिक फाइब्रोसिस के लक्षण - Cystic Fibrosis Symptoms in Hindi

सिस्टिक फाइब्रोसिस के लक्षण क्या हैं?

सिस्टिक फाइब्रोसिस के लक्षण, रोग की गंभीरता पर निर्भर करते हैं। एक ही व्यक्ति में लक्षण समय के साथ गंभीर भी हो सकते हैं या फिर ठीक भी हो सकते हैं। कुछ लोगों में किशोरावस्था या वयस्कावस्था तक लक्षण नहीं दिखते। 

सिस्टिक फाइब्रोसिस के रोगियों के पसीने में सामान्य से अधिक नमक होता है। माता-पिता अपने बच्चों को चूमते समय उस नमक को महसूस कर सकते हैं। सिस्टिक फाइब्रोसिस के अन्य लक्षण श्वसन तंत्र और पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं। हालाँकि, सिस्टिक फाइब्रोसिस से पीड़ित वयस्कों में अग्नाशयशोथ, बांझपन और निमोनिया के लक्षण दिख सकते हैं। 

श्वसन तंत्र के लक्षण -

सिस्टिक फाइब्रोसिस से संबंधित गाढ़ा और चिपचिपा बलगम, फेफड़ों से हवा अंदर और बाहर ले जाने वाली नलियों में फस जाता है। इसे निम्नलिखित लक्षण दिख सकते हैं :

पाचन तंत्र के लक्षण -

जो नलियां पाचन एंजाइम को अग्नाशय से छोटी आंत तक लेकर जाती हैं, गाढ़ा बलगम उनमें फस जाता है। पाचन एंजाइम के ना होने से, आंतें खाने से पोषण नहीं ले पाती। उसका नतीजा निम्नलिखित प्रकार होता है :

  • बदबूदार और चिकना मल 
  • वज़न न बढ़ना, और न ही शारीरिक विकास होना 
  • आंत में रुकावट, खास कर नवजात बच्चों में 
  • गंभीर रूप से कब्ज होना 

ज़्यादातर शरीर से मल निकालते समय ज़ोर लगाने के कारण मलाशय (बड़ी आंत का हिस्सा) गुदा से बाहर निकल सकता है। जब ये बच्चों में होता है तो ये सिस्टिक फाइब्रोसिस का कारण बन सकता है। माता-पिता को एक डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए जिसे सिस्टिक फाइब्रोसिस के बारे में जानकारी हो। अगर मलाशय का हिस्सा गुदा में आ जाये तो उसके लिए सर्जरी की ज़रुरत पड़ सकती है। तकनीकी परीक्षण और इलाज के कारण ये समस्या पहले के मुकाबले अब कम हो गयी है। 

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डॉक्टर को कब दिखाएं?

अगर आपके बच्चे में सिस्टिक फाइब्रोसिस के लक्षण हैं या फिर आपके परिवार में किसी को ये समस्या है तो अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करें।

अगर आपके बच्चे को सांस लेने में परेशानी आ रही हो तो तुरंत डॉक्टर से बात करें। 

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सिस्टिक फाइब्रोसिस के कारण - Cystic Fibrosis Causes and risk factors in Hindi

सिस्टिक फाइब्रोसिस क्यों होता है?

सिस्टिक फाइब्रोसिस, जीन में बदलाव आने के कारण होता है। जो प्रोटीन ऊतकों से नमक अंदर या बाहर भेजता है, सिस्टिक फाइब्रोसिस के कारण उस में बदलाव आ जाता है। इस वजह से, श्वसन, पाचन और रिप्रोडक्टिव तंत्रो में बलगम गाढ़ा और चिपचिपा हो जाता है। पसीने में भी नमक की मात्रा बढ़ जाती है। 

जीन में कई अलग बदलाव आ सकते हैं। इस प्रकार के जीन में बदलाव रोग की गंभीरता के अनुसार आते हैं। 

बच्चों में अपने माता-पिता से एक-एक जीन की कॉपी आनी चाहिए जिससे उन्हें ये बीमारी हो सकती है। अगर उनमें इस जीन की एक ही कॉपी आती है तो वो इस रोग से प्रभावित नहीं होंगे परन्तु अपनी आने वाली पीढ़ी में ये रोग कर सकते हैं। 

सिस्टिक फाइब्रोसिस होने की संभावना किन कारकों से बढ़ जाती है?

ये बीमारी माता-पिता से बच्चों में आती है। अगर आपके घर में किसी को सिस्टिक फाइब्रोसिस है तो आपको भी उसके होने की संभावना हो सकती है। 

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सिस्टिक फाइब्रोसिस के बचाव के उपाय - Prevention of Cystic Fibrosis in Hindi

सिस्टिक फाइब्रोसिस से कैसे बचें?

अगर आपको या आपके पति/ पत्नी के परिवार में किसी को सिस्टिक फाइब्रोसिस है तो बच्चे करने से पहले अपनी जेनेटिक टेस्टिंग कराएं। ये टेस्ट, प्रयोगशाला में खून को जांच कर किया जाता है। इससे आपके बच्चों को सिस्टिक फाइब्रोसिस होने का जखिम पता चल सकता है। 

अगर आप गर्भवती हैं तो जेनेटिक टेस्ट से आपके होने वाले बच्चे में सिस्टिक फाइब्रोसिस होने की संभावना का पता चल सकता है। आपके डॉक्टर उस बच्चे के लिए और टेस्ट भी कर सकते हैं। 

जेनेटिक टेस्ट हर किसी के लिए नहीं होता। जेनेटिक टेस्ट करवाने से पहले अपने जेनेटिक विशेषज्ञ से बात कर लें कि इसके परिणाम जानने से आप पर मानसिक प्रभाव क्या होगा।

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सिस्टिक फाइब्रोसिस का निदान - Diagnosis of Cystic Fibrosis in Hindi

सिस्टिक फाइब्रोसिस की जांच कैसे की जाती है?

सिस्टिक फाइब्रोसिस का परीक्षण करने के लिए, डॉक्टर कुछ टेस्ट कर सकते हैं। 

नवजात शिशु का परीक्षण -

एक स्क्रीनिंग टेस्ट में, अग्नाशय से निकलने वाले केमिकल ("आईआरटी";immunoreactive trypsinogen) का स्तर देखा जाता है कि वो सामान्य से ऊपर है या नहीं। नवजात शिशु में आईआरटी का स्तर समय से पहले जन्म या फिर तनाव भरी डिलीवरी के कारण ज़्यादा हो सकता है। इस वजह से सिस्टिक फाइब्रोसिस का परीक्षण निश्चित करने के लिए अन्य टेस्ट भी किये जाते हैं। 

आईआरटी का स्तर जांचने के साथ-साथ जेनेटिक टेस्ट भी किया जाता है जिससे परीक्षण निश्चित हो सके। सिस्टिक फाइब्रोसिस करने वाले जीन के लिए टेस्ट किये जा सकते हैं जिससे उसकी कमियां दिख सकें। 

ये देखने के लिए कि किसी बच्चे को सिस्टिक फाइब्रोसिस है या नहीं, डॉक्टर पसीने का टेस्ट कर सकते हैं जब बच्चा 2 हफ्ते का हो। पसीने को जांचते समय, डॉक्टर त्वचा के छोटे से हिस्से पर पसीना लाने वाला केमिकल लगाएंगे। वो पसीना इकठ्ठा करके उसकी जांच करते हैं कि वो पहले से ज़्यादा नमकीन है या नहीं। ये टेस्ट सिस्टिक फाइब्रोसिस जांचने वाले क्षेत्रों में ही हो सकता है। 

बच्चों और बड़ों की जांच -

जिन बच्चों और बड़ों का पैदा होते ही टेस्ट नहीं होते उनके लिए सिस्टिक फाइब्रोसिस टेस्ट करने पड़ते हैं। अगर आपको अग्नाशयशोथ, नाक में मांस बढ़ना, साइनस, फेफड़ों में संक्रमण, ब्रोंकाइटिस या पुरुषों को बांझपन है तो आपके डॉक्टर आपको जेनेटिक और पसीने का टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। 

सिस्टिक फाइब्रोसिस का उपचार - Cystic Fibrosis Treatment in Hindi

सिस्टिक फाइब्रोसिस का इलाज कैसे होता है?

1. दवाइयां-

निम्नलिखित में से आप कोई भी दवाई ले सकते हैं :

  • फेफड़ों के संक्रमण को ठीक करने के लिए एंटीबायोटिक। 
  • फेफड़ों में ऑक्सीजन पहुँचाने वाली नलियों में सूजन घटाने के लिए दवाइयां 
  • बलगम को कम गाढ़ा करने के लिए दवाइयां जिससे उसे थूक कर बाहर निकाला जा सके, उससे फेफड़े ढंग से काम करेंगे 
  • "ब्रोंकोडायलेटर" (bronchodilator) को सूंघ कर लिया जाता है इससे ब्रोन्कियल नलियों की मांसपेशियों को आराम मिलता है और वो खुली रहती हैं। 
  • अग्नाशय से निकलने वाली एंजाइम को टेबलेट के रूप में लिया जाता है जिससे पाचन शक्ति ठीक हो जाये और शरीर को खाने से पोषण मिल सके। 

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2. छाती की फिजियोथेरेपी (Physiotherapy)

छाती में जमे बलगम को कम गाढ़ा करके उसे खांस कर बाहर निकलना आसान होता है। छाती की फिजियोथेरेपी से बलगम कम गाढ़ा होता है। सामान्य रूप से इसे दिन में 1-4 बार किया जाता है। आपके डॉक्टर आपको बताएंगे कि आपको किस प्रकार की फिजियोथेरेपी की ज़रुरत है। 

3. वेस्ट थेरेपी (Vest Therapy)

कुछ यंत्रों से भी फेफड़ों का बलगम पिघलाया जा सकता है। एक वाईब्रेट करती हुई छाती पर लगाए जाने वाली वेस्ट या फिर एक मास्क या ट्यूब लगाया जाता है जिसमे आप सांस छोड़ते हैं। 

4. पल्मोनरी पुनर्वास (Pulmonary Rehabilitation)

आपके डॉक्टर एक ज़्यादा समय तक चलने वाली चिकित्सा के बारे में भी बता सकते हैं जिससे आपके फेफड़ों की हालत सुधरेगी और बाकी शारीरिक काम भी ढंग से होंगे 

  • व्यायाम करने से आपकी हालत  सुधर सकती है 
  • सांस लेने की तकनीक जिससे बलगम पिघल सकता है और सांस लेने में आसानी हो सकती है 
  • पोषण से संबंधित जानकारी 
  • काउन्सलिंग और रोगी को सहारा देना
  • आपकी अवस्था के बारे में आपको जानकारी देना 

5. सर्जरी और अन्य उपाय - 

  • नाक से बढ़ा हुआ मांस निकालना - आपके डॉक्टर आपके नाक में बढ़ रहे मांस को हटाने के लिए सर्जरी का प्रयोग कर सकते हैं। 
  • ऑक्सीजन थेरेपी - अगर आपके कहौं में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो गयी है तो आपके डॉक्टर आपको शुद्ध ऑक्सीजन लेने की सलाह देंगे। जिससे आपका बीपी फेफड़ों में बढ़े नहीं। 
  • एंडोस्कोपी - एंडोस्कोप से आपके बलगम से भरी हुई नलियों में से बलगम निकाला जाता है। (और पढ़ें - एंडोस्कोपी क्या है)
  • खाना खाने के लिए नली - सिस्टिक फाइब्रोसिस से आपकी पाचन शक्ति पर प्रभाव पड़ता है जिससे आपको खाने से पूर्ण पोषण नहीं मिलता। आपके डॉक्टर आपको कुछ समय के लिए एक नली का प्रयोग करने के लिए बोल सकते हैं जिससे आप सही तरीके से खाना खा सकें और आपको सोते समय खाने का पूरा पोषण मिल सके। ये नली आपके नाक से पेट तक डाली जा सकती है या फिर सर्जरी करके सीधा पेट में डाली जा सकती है। 
  • मल निकालने के लिए सर्जरी - अगर आपके शरीर में किसी रुकावट की वजह से मल नहीं निकल रहा है तो उस रुकावट को हटाने के लिए सर्जरी की जाती है। (और पढ़ें - पेट साफ कैसे करें)
  • फेफड़ो का प्रत्यारोपण (लंग ट्रांसप्लांट) - अगर आपको सांस लेने की समस्या है या फिर फेफड़ों में जानलेवा संक्रमण है और आप एंटीबायोटिक नहीं खा सकते तो आपको अपने फेफड़े बदलवा लेने चाहिए। क्यूंकि ब्रोंकाइटिस में बैक्टीरिया फैलता जाता है जिसे श्वसन नलियां फैलती जाती हैं जैसे सिस्टिक फाइब्रोसिस, इसमें दोनों फेफड़े बदले जा सकते हैं। ​

सिस्टिक फाइब्रोसिस के जोखिम और जटिलताएं - Cystic Fibrosis Complications in Hindi

सिस्टिक फाइब्रोसिस की जोखिम और जटिलताएँ क्या हैं?

श्वसन तंत्र की जटिलताएं :

  • ब्रोंकाइटिस -
    सिस्टिक फाइब्रोसिस, ब्रोंकाइटिस का एक मुख्य कारण है। इसकी वजह से श्वसन नलियों को नुक्सान पहुँचता है। इसके कारण फेफड़ों से हवा अंदर या बाहर जाने में और ब्रोन्कियल नलियों में से बलगम हटाने में मुश्किल होती है। 
     
  • ज़्यादा समय तक चलने वाले संक्रमण -
    फेफड़ों और साइनस में बलगम की मोटी परत होने के कारण उसमें बैक्टीरिया और फंगस उगते हैं। सिस्टिक फाइब्रोसिस रोगियों को साइनस संक्रमण, ब्रोंकाइटिस और निमोनिअा होने की संभावना हो सकती है। (और पढ़ें - साइनस के उपाय)
     
  • नाक में मांस बढ़ना -
    नाक की अंदरूनी त्वचा सूजी हुई होती है, इसलिए उससे मुलायम मांस के टुकड़े बढ़ते हैं। 
     
  • खांसते समय खून निकलना -
    कुछ समय बाद, सिस्टिक फाइब्रोसिस की वजह से श्वसन नलियां पतली हो जाती हैं। इसकी वजह से सिस्टिक फाइब्रोसिस से पीड़ित लोगों को खांसते समय खून अत है। 
     
  • न्यूमोथोरैक्स -
    इस बीमारी में, फेफड़ों को छाती से अलग करने वाली जगह में हवा भर जाती है। जिन व्यस्क लोगों को सिस्टिक फाइब्रोसिस है उनमें ये समस्या ज़्यादा होती है। न्यूमोथोरैक्स से छाती में दर्द होता है और सांस आने में समस्या होती है। ​
     
  • सांस की विफलता -
    कुछ समय बाद, सिस्टिक फाइब्रोसिस फेफड़ों की कोशिकाओं को गंभीर रूप से हानि पहुंचाता है जिससे वो ज़्यादा समय तक काम नहीं कर पाते। समय के साथ फेफड़े ढंग से काम करना बंद कर देते हैं जिससे जान को खतरा हो सकता है। 
     
  • समय के साथ हालत ख़राब होते जाना-
    सिस्टिक फाइब्रोसिस से पीड़ित लोगों की हालत समय क साथ खराब होती जाती है। उन्हें खांसी और सांस की समस्या बहुत दिनों और हफ़्तों तक रहती है। इसे "एक्यूट एक्ससरबशन" कहते हैं और इसका इलाज हॉस्पिटल में कराया जाता है। 

पाचन तंत्र की जटिलताएं-

  • पोषण में कमी-
    बलगम आपकी अग्नाशय से आँतों तक पाचन एंजाइम ले जाने वाली नलियों को जाम करदेता है। इन एंजाइम के बिना आपका शरीर प्रोटीन, वसा और वसा-पचाने वाले विटामिन से मिल रहे पोषण को नहीं ले पाता। 
     
  • डायबिटीज-
    शरीर में चीनी पचाने के लिए इन्सुलिन की ज़रूरत होती है जो अग्नाशय से मिलता है। सिस्टिक फाइब्रोसिस से डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है। सिस्टिक फाइब्रोसिस से पीड़ित 30% लोगों को 30 साल की उम्र तक डायबिटीज हो जाती है। 
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  • बाइल डक्ट का जाम होना-
    बाइल को लिवर से पित्त की थैली तक लेकर जाने वाली नली जाम हो सकती है और सूज सकती है जिससे लिवर में परेशानियां और पित्त की पथरी हो सकती है। 
     
  • आंत्र रूकावट-
    सिस्टिक फाइब्रोसिस से पीड़ित लोगों को आंत्र रूकावट किसी भी उम्र में हो सकती है। ये समस्या बच्चों और वयस्कों में ज़्यादा होती है। "इंटसससेपशन" (intussusception) एक ऐसी अवस्था है जिसमें आंत का एक हिस्सा अपने ऊपर एकोर्डियन की तरह फोल्ड हो जाता है। 
     
  • "डिस्टल इंटेस्टाइनल ऑब्स्ट्रक्शन सिंड्रोम" (डीआईओएस; Distal intestinal obstruction syndrome) -
    ये विकार आधे या पूर्ण रूप से रुकावट कर देता है जिससे छोटी आंत और बड़ी आंत मिल जाते हैं। 

रिप्रोडक्टिव तंत्र की जटिलताएं -

सिस्टिक फाइब्रोसिस से पीड़ित सभी पुरुष बाँझ होते हैं क्यूंकि जो नली अंडकोष को प्रोस्ट्रेट ग्लैंड से जोड़ती है वो या तो बलगम से पूरी जाम हो चुकी होती है या फिर शरीर में होती ही नहीं है। कुछ प्रजनन क्षमता बढ़ाने के उपाय और सर्जरी के तरीकों से सिस्टिक फाइब्रोसिस से पीड़ित पुरुष भी संतान प्राप्त कर सकते हैं। 

सिस्टिक फाइब्रोसिस से पीड़ित महिलाएं बाकी महिलाओं से कम प्रजननक्षम होती हैं परन्तु वो गर्भवती हो कर बच्चे पैदा क्र सकती हैं। गर्भावस्था से सिस्टिक फाइब्रोसिस के जोखिम बढ़ सकते हैं इसलिए अपने डॉक्टर से बात करें। 

अन्य जटिलताएं-

  • हड्डियों में से कैल्शियम कम होना (ऑस्टियोपोरोसिस) -
    जिन लोगों को सिस्टिक फाइब्रोसिस की समस्या होती है उनकी हड्डियों में से कैल्शियम ख़तम होने का जोखिम ज़्यादा होता है। 
  • शरीर में इलेक्ट्रोलाइट की असामन्यता और पानी की कमी-
    सिस्टिक फाइब्रोसिस से पीड़ित लोगों के पसीने में ज़्यादा नमक होता है इसलिए उनके खून में मिनरल की असामान्यता हो जाती है। इसके लक्षण हैं दिल तेजी से धड़कना, थकावट होना, कमजोरी आना और बीपी कम होना। 


संदर्भ

  1. American Lung Association. Cystic Fibrosis Symptoms, Causes & Risk Factors. [Internet]
  2. Department of Genetics,Immunology. Cystic fibrosis, are we missing in India? . University of Health Sciences,Pune; [Internet]
  3. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Cystic Fibrosis
  4. Cystic Fibrosis Foundation. About Cystic Fibrosis. Bethesda, MD; [Internet]
  5. Cystic Fibrosis Australia. Lives unaffected by cystic fibrosis. Australia; [Internet]

सिस्टिक फाइब्रोसिस के डॉक्टर

Dr. Narayanan N K Dr. Narayanan N K एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
16 वर्षों का अनुभव
Dr. Tanmay Bharani Dr. Tanmay Bharani एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
15 वर्षों का अनुभव
Dr. Sunil Kumar Mishra Dr. Sunil Kumar Mishra एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
23 वर्षों का अनुभव
Dr. Parjeet Kaur Dr. Parjeet Kaur एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
19 वर्षों का अनुभव
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