साइक्लोथायमिया (साइक्लोथायमिक डिसऑर्डर) एक प्रकार का मूड डिसऑर्डर है इसमें बाइपोलर II डिसऑर्डर जैसे ही लक्षण देखने को मिलते हैं। साइक्लोथायमिया और बायपोलर डिसऑर्डर के शिकार लोगों को हल्के अवसादग्रस्तता के लक्षणों के साथ-साथ हाइपोमेनिया की समस्याओं का भी अनुभव हो सकता है। आमतौर पर साइक्लोथायमिया और बाइपोलर 2 डिसऑर्डर को एक जैसा ही मान लिया जाता है, लेकिन दोनों में अंतर है। दोनों मूड स्विंग से संबंधित विकार जरूर हैं, लेकिन इनकी तीव्रता में अंतर होता है। बाइपोलर डिसऑर्डर की तुलना में साइक्लोथायमिया वाले लोगों में होने वाला मूड स्विंग बहुत तीव्र नहीं होता है।
बाइपोलर डिसऑर्डर वाले लोगों में उन्माद और अवसाद के तीव्र लक्षण देखने को मिलते हैं, जबकि जिन लोगों को साइक्लोथायमिया की शिकायत होती है उनमें इन समस्याओं में उतार-चढ़ाव होता रहता है। साइक्लोथायमिया का यदि समय पर निदान न हो पाए और इसे अनुपचारित ही छोड़ दिया जाए तो इससे शिकार लोगों को बाइपोलर डिसऑर्डर होने का खातरा बढ़ जाता है।
साइक्लोथायमिया की समस्या आमतौर पर किशोरावस्था में विकसित होती है। इस बीमारी वाले लोग अक्सर सामान्य रूप से कार्य करते हैं, लेकिन दूसरे लोगों की तुलना में वह काफी हद तक 'मूडी' और अजीब व्यवहार कर सकते हैं।
इस लेख में हम साइक्लोथायमिया के लक्षण, कारण और इसके इलाज के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।