त्वचा या श्लेष्मा झिल्ली के रंगों के नीले पड़ जाने की स्थिति को सायनोसिस या नीलरोग के नाम से जाना जाता है। सामान्य रूप से होंठ, मुंह, हथेलियों, नाखूनों और पैरों के तलवों के आसपास इस नीले रंग को देखा जा सकता है। इस समस्या का मुख्य कारण खून में ऑक्सीजन की कमी है। सामान्य रूप से हीमोग्लोबिन के माध्यम से रक्त में ऑक्सीजन पहुंचता है। रक्त में (धमनियों में मौजूद) हीमोग्लोबिन के ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता को ऑक्सीजन सेचुरेशन कहा जाता है।
सामान्य रूप से हीमोग्लोबिन नामक ब्लड प्रोटीन, विभिन्न अंगों की धमनियों तक ऑक्सीजन ले जाने का कार्य करता है। प्रत्येक ग्राम हीमोग्लोबिन में 1.34 एमएल ऑक्सीजन की मौजूदगी होती है। ऑक्सीजन युक्त हीमोग्लोबिन चमकदार लाल रंंग का होता है, जबकि हीमोग्लोबिन में ऑक्सीजन की कमी के कारण इसका रंग बदलकर गहरा नीला या बैंगनी हो जाता है। रक्त में ऑक्सीजन रहित हीमोग्लोबिन की मात्रा का बढ़कर 5 ग्राम/ डीएल से ऊपर हो जाना सायनोसिस की समस्या उत्पन्न कर सकता है। पुरुषों में हीमोग्लोबिन की सामान्य मात्रा 13.5-18 ग्राम/ डीएल जबकि महिलाओं में 11.5-16 ग्राम/ डीएल होती है। यदि ऑक्सीजन सेचुरेशन की मात्रा में 80 से 87% के बीच गिरावट आ जाए तो यह सेंट्रल सायनोसिस का कारण हो सकता है, जोकि सायनोसिस का एक प्रकार है।
इस लेख में हम सायनोसिस के प्रकार, लक्षण, कारण और उसके इलाज के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।