मेनिनजाइटिस क्या है?
मेनिन्जेस में होने वाली सूजन को मेनिनजाइटिस कहते हैं। मेनिन्जेस तीन झिल्लियां होती हैं, जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को ढककर रखती हैं। मेनिन्जेस के आसपास स्थित तरल पदार्थ के संक्रमित हो जाने पर मेनिनजाइटिस हो सकता है।
इस बीमारी के कई प्रकार हैं, जो बैक्टीरियल, वायरल और फंगल हो सकते हैं।
(और पढ़ें - फंगल इन्फेक्शन का इलाज)
बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस गंभीर हो सकता है और लोगों द्वारा एक-दूसरे के निकट संपर्क में आने से फैल सकता है। वायरल मेनिनजाइटिस कम गंभीर होता है और अधिकांश लोग बिना इलाज के पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। फंगल मेनिनजाइटिस इस रोग का एक दुर्लभ रूप है। यह आमतौर पर उन लोगों में होता है, जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है।
मेनिनजाइटिस के दौरान होने वाली सूजन आमतौर पर सिरदर्द, बुखार और गर्दन में अकड़न जैसे लक्षणों को बढ़ा देती है।
(और पढ़ें - गर्दन में अकड़न का उपाय)
मेनिनजाइटिस के कुछ मरीज़ बिना उपचार के कुछ ही हफ़्तों में ठीक हो जाते हैं। अन्य रोगियों की स्थिति गंभीर हो सकती है और उनके लिए एंटीबायोटिक उपचार की तत्काल आवश्यकता होती है।
यदि आपको संदेह है कि कोई व्यक्ति मेनिनजाइटिस से पीड़ित है, तो उसका तत्काल उपचार कराएं। बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस का सही समय पर इलाज करके गंभीर जटिलताओं को रोका जा सकता है।
(और पढ़ें - बैक्टीरिया संक्रमण का इलाज)
मेनिनजाइटिस का प्रसार:
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार, पिछले 20 वर्षों में मेनिनजाइटिस के लगभग दस लाख संदिग्ध मामलों की सूचना दी गई है और इससे अबतक 1,00,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। यहाँ तक कि लक्षणों की शुरुआत के 24 से 48 घंटों के भीतर रोग की पहचान करके पर्याप्त उपचार शुरू करने के बावजूद पांच से दस प्रतिशत लोग बीमारी से संघर्ष नहीं कर पाते। इस रोग का उपचार न किये जाने पर लगभग 50 प्रतिशत मरीज़ों की मृत्यु हो सकती है।