मेनिनजाइटिस - Meningitis in Hindi

Dr. Nabi Darya Vali (AIIMS)MBBS

August 25, 2017

April 20, 2023

मेनिनजाइटिस
मेनिनजाइटिस

मेनिनजाइटिस क्या है?

मेनिन्जेस में होने वाली सूजन को मेनिनजाइटिस कहते हैं। मेनिन्जेस तीन झिल्लियां होती हैं, जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को ढककर रखती हैं। मेनिन्जेस के आसपास स्थित तरल पदार्थ के संक्रमित हो जाने पर मेनिनजाइटिस हो सकता है। 

इस बीमारी के कई प्रकार हैं, जो बैक्टीरियल, वायरल और फंगल हो सकते हैं।

(और पढ़ें - फंगल इन्फेक्शन का इलाज)

बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस गंभीर हो सकता है और लोगों द्वारा एक-दूसरे के निकट संपर्क में आने से फैल सकता है। वायरल मेनिनजाइटिस कम गंभीर होता है और अधिकांश लोग बिना इलाज के पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। फंगल मेनिनजाइटिस इस रोग का एक दुर्लभ रूप है। यह आमतौर पर उन लोगों में होता है, जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है।

मेनिनजाइटिस के दौरान होने वाली सूजन आमतौर पर सिरदर्द, बुखार और गर्दन में अकड़न जैसे लक्षणों को बढ़ा देती है। 

(और पढ़ें - गर्दन में अकड़न का उपाय)

मेनिनजाइटिस के कुछ मरीज़ बिना उपचार के कुछ ही हफ़्तों में ठीक हो जाते हैं। अन्य रोगियों की स्थिति गंभीर हो सकती है और उनके लिए एंटीबायोटिक उपचार की तत्काल आवश्यकता होती है।

यदि आपको संदेह है कि कोई व्यक्ति मेनिनजाइटिस से पीड़ित है, तो उसका तत्काल उपचार कराएं। बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस का सही समय पर इलाज करके गंभीर जटिलताओं को रोका जा सकता है।

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मेनिनजाइटिस का प्रसार:

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार, पिछले 20 वर्षों में मेनिनजाइटिस के लगभग दस लाख संदिग्ध मामलों की सूचना दी गई है और इससे अबतक 1,00,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। यहाँ तक कि लक्षणों की शुरुआत के 24 से 48 घंटों के भीतर रोग की पहचान करके पर्याप्त उपचार शुरू करने के बावजूद पांच से दस प्रतिशत लोग बीमारी से संघर्ष नहीं कर पाते। इस रोग का उपचार न किये जाने पर लगभग 50 प्रतिशत मरीज़ों की मृत्यु हो सकती है।

मेनिनजाइटिस के प्रकार - Types of Meningitis in Hindi

मेनिनजाइटिस के प्रकार:

वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण मेनिनजाइटिस के सबसे आम कारण हैं। इसके कई अन्य प्रकार भी हैं –

(और पढ़ें - बैक्टीरियल वेजिनोसिस के उपचार)

1. बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस – बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस कुछ ही घंटों के भीतर तुरंत विकसित हो जाता है और स्थायी अक्षमता या मृत्यु का कारण बन सकता है। अधिकतर मौतें लक्षणों की शुरुआत के 24-48 घंटों के भीतर होती हैं। अधिकांश बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस निसेरिया मेनिनजाइटिस (मेनिंगोकोकस), स्ट्रैपटोकोकस निमोनिया (न्यूमोकोकस) और हैमोफिलस इन्फ़्लुएन्ज़ा टाइप बी (एचआईबी) के कारण होते हैं।

(और पढ़ें - एच आई वी का इलाज)

2. वायरल मेनिनजाइटिसमेनिनजाइटिस का सबसे सामान्य प्रकार वायरल मेनिनजाइटिस है और आमतौर पर कम गंभीर होता है। ज्यादातर रोगी किसी भी स्थायी क्षति के बिना ठीक हो जाते हैं, हालाँकि पूर्ण रूप से स्वस्थ होने में कई हफ्ते या महीने लग सकते हैं। कई प्रकार के वायरस, मेनिनजाइटिस का कारण बन सकते हैं और आमतौर पर खांसने छींकने या मल संदूषण (Fecal Contamination) के माध्यम से फैलते हैं। सबसे सामान्य समूह 'एन्टेरो विरुसेस' श्वसन और आंत्र पथ (Intestinal Tracts) में रहता है और बुखार, सिरदर्द व मांसपेशियों में दर्द के साथ सर्दी और गले में खराश का कारण बन सकता है। यह समय-समय पर एन्टेरो विरुसेस, मेनिन्जेस में फैलता है और मेनिनजाइटिस का कारण बनता है।

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3. फंगल मेनिनजाइटिस फंगल मेनिनजाइटिस गंभीर हो सकता है, लेकिन यह बहुत कम ही देखा जाता है। फ़ंगल मेनिनजाइटिस संक्रामक नहीं होता है और पर्यावरण से फंगल बीजाणुओं (Fungal Spores) को सांस द्वारा शरीर के अंदर ले जाने पर फैलता है। यह रोग अधिकतर उन लोगों को होता है, जो एड्स से ग्रसित होते हैं या जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर होती है। 

(और पढ़ें - रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय)

4. मेनिनजाइटिस के अन्य प्रकार  मेनिनजाइटिस अन्य माध्यमों के द्वारा भी फैल सकता है, जिनमें परजीवी या असंक्रामक माध्यम, जैसे – कैंसर, ल्यूपस, कुछ दवाएं, सिर की चोटें, मस्तिष्क की सर्जरी या खोपड़ी अथवा रीढ़ की हड्डी की मौजूदा स्थिति शामिल है।

(और पढ़ें - ल्यूपस के उपचार)

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मेनिनजाइटिस के लक्षण - Meningitis Symptoms in Hindi

वयस्कों में मेनिनजाइटिस के संकेत और लक्षण क्या होते हैं?

मेनिनजाइटिस के रोगियों में लगभग 25% ऐसे हैं, जिनमें 24 घंटे से अधिक समय में मेनिनजाइटिस के लक्षण विकसित हो जाते हैं। बाकी आमतौर पर एक से सात दिनों में बीमार हो जाते हैं। यदि किसी दूसरे संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक दवाएं ली जा रही हैं, तो लक्षणों को विकसित होने में अधिक समय लग सकता है या इनका प्रभाव कम हो सकता है। अगर किसी व्यक्ति में फंगल मेनिनजाइटिस (आमतौर पर जो एचआईवी पॉजिटिव है) विकसित हो रहा है, तो लक्षणों को बढ़ने में कई सप्ताह लग सकते हैं।

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मेनिनजाइटिस के मुख्य लक्षणों में बुखार, सिरदर्द और गर्दन का अकड़ना शामिल हैं। लगभग 45% लोगों में ही ये तीनों मुख्य लक्षण पाए जाते हैं। हालांकि, इसके लगभग सभी रोगियों में कम से कम एक लक्षण तो अवश्य पाया जाता है।

(और पढ़ें - सिर दर्द का उपाय)

मुख्य लक्षण-

  1. मेनिनजाइटिस से ग्रसित ज्यादातर लोगों को सिरदर्द होता है। (और पढ़ें - सिर दर्द के लिए एक्यूप्रेशर)
  2. मेनिनजाइटिस के अधिकांश रोगियों में गर्दन की अकड़न का लक्षण देखा जाता है। (और पढ़ें - गर्दन में दर्द का इलाज)
  3. मेनिनजाइटिस के ज्यादातर मरीज़ों को बुखार और ठंड लगती है।
  4. कई लोगों को उल्टी होती है। (और पढ़ें - उल्टी रोकने का घरेलू उपाय)
  5. मेनिनजाइटिस के अधिकांश रोगियों में चमकदार रोशनी के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता (फोटोफोबिया) पाई जाती है।
  6. भ्रम की स्थिति।
  7. दौरे पड़ना।
  8. हाल ही में होने वाले ऊपरी श्वसन तंत्र संक्रमण का इतिहास (उदाहरण के लिए ठंड, गले में खराश इत्यादि।) (और पढ़ें - अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के उपचार)
  9. तंद्रा (Drowsiness)।

कम देखे जाने वाले लक्षण-

  1. स्थानीयकृत कमजोरी (Localized weakness) या ताकत ख़त्म होना या सनसनी (खासकर चेहरे पर)।
  2. एक या अधिक जोड़ों में सूजन और दर्द। (और पढ़ें - जोड़ों में दर्द क्यों होता है)
  3. एक नया चकत्ता, जो चोट या छोटे लाल धब्बे की तरह दिखता है।

(और पढ़ें - शरीर पर चकत्ते का इलाज)

मैनिंजाइटिस के कारण - Meningitis Causes in Hindi

मेनिनजाइटिस के कारण:

मेनिनजाइटिस का सबसे सामान्य कारण वायरल संक्रमण है। इसके बाद बैक्टीरियल संक्रमण और सबसे दुर्लभ कारण फंगल संक्रमण है। चूँकि बैक्टीरियल संक्रमण गंभीर हो सकता है, इसलिए इसके कारण की पहचान आवश्यक है।

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1. बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस – बैक्टीरिया हमारे रक्त प्रवाह में प्रवेश करके मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी तक पहुँच जाते है और एक्यूट बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस का कारण बनते हैं। लेकिन यह तब भी हो सकता है, जब बैक्टीरिया सीधे मेनिन्जेस पर आक्रमण करते हैं। यह कान या साइनस संक्रमण, खोपड़ी के फ्रैक्चर या कुछ सर्जरी के कारण हो सकता है। बैक्टीरिया के कई उपभेदों (Strains) के कारण एक्यूट बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस हो सकता है। ये बैक्टीरिया निम्नलिखित हैं –

  • स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया (न्यूमोकोकस) – यह जीवाणु शिशुओं, किशोरों और वयस्कों में बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस का सबसे आम कारण है। यह आमतौर पर निमोनिया, कान या साइनस संक्रमण का कारण बनता है। एक टीका इस संक्रमण को रोकने में मदद कर सकता है। (और पढ़ें - निमोनिया का घरेलू नुस्खा)
  • नेइसेरिया मेनिंगीटिडिस (मेनिंगोकोकस) – यह जीवाणु बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस का एक और प्रमुख कारण है। ये बैक्टीरिया आमतौर पर ऊपरी श्वसन तंत्र संक्रमण (Upper respiratory infection) का कारण बनते हैं, लेकिन रक्त प्रवाह में प्रवेश करने पर मेनिंगोकोकल, मेनिनजाइटिस उत्पन्न कर सकते हैं। यह अत्यंत संक्रामक होता है और मुख्य रूप से किशोरों व अधिक उम्र के लोगों को प्रभावित करता है। इससे कॉलेज के छात्रावासों, बोर्डिंग स्कूलों और सैनिकों के लिए बनाये गए घरों में स्थानीय महामारी फैल सकती है। इसका टीका संक्रमण को रोकने में मदद कर सकता है। (और पढ़ें - परजीवी संक्रमण का इलाज)
  • हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा (हेमोफिलस) – हेमोफिलस इन्फ्लूएंजा टाइप बी (एचआईबी) जीवाणु बच्चों में बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस का प्रमुख कारण हुआ करता था, लेकिन नए एचआईबी टीकों द्वारा इसके मामले काफी हद तक कम हो गए हैं। (और पढ़ें - इन्फ्लूएंजा क्या है)
  • लिस्टेरिया मोनोसाइटोजीन (लिस्टेरिया) – ये जीवाणु बिना उबले दूध से बनाये गए पनीर, हॉट डॉग और मांस में पाए जा सकते हैं। गर्भवती महिलाओं, नवजात शिशुओं, अधिक उम्र के व्यक्तियों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में इस बैक्टीरिया के संक्रमण की सबसे अधिक संभावनाएं होती हैं। (और पढ़ें - मस्तिष्क संक्रमण का इलाज

2. वायरल मेनिनजाइटिस – वायरल मेनिनजाइटिस आमतौर पर कम गंभीर होता है और अकसर अपने आप ही ठीक हो जाता है। वायरल मेनिनजाइटिस के अधिकांश मामलों के लिए 'एन्टेरो विरुसेस' वायरस का एक समूह उत्तरदायी होता है, जो गर्मियों के अंत में और पतझड़ की शुरुआत में सबसे आम है। हर्पीस सिंप्लेक्स वायरस, एचआईवी, मम्प्स (गलसुआ), वेस्ट नाइल वायरस आदि के कारण भी वायरल मेनिनजाइटिस फैल सकता है।

(और पढ़ें - फ्लू के घरेलू उपाय)

3. क्रोनिक मेनिनजाइटिस – धीमी गति से वृद्धि करने वाले जीव (जैसे कि कवक और माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस) आपके मस्तिष्क के आसपास की झिल्लियों और तरल पदार्थ पर आक्रमण करते हैं और क्रोनिक मेनिनजाइटिस का कारण बनते हैं। क्रोनिक मेनिनजाइटिस दो सप्ताह या उससे अधिक समय में विकसित होता है। इसके लक्षण हैं – सिरदर्द, बुखार, उल्टी और मानसिक अशांति। ये लक्षण एक्यूट मेनिनजाइटिस के समान ही हैं।

4. फंगल मेनिनजाइटिस – फंगल मेनिनजाइटिस कम पाया जाता है और क्रोनिक मेनिनजाइटिस का कारण बनता है। यह एक्यूट बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस जैसा हो सकता है। फंगल मेनिनजाइटिस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमित नहीं होता है। क्रिप्टोकोकल मेनिनजाइटिस इस बीमारी का एक आम फंगल प्रकार है, जो कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को प्रभावित करता है। यदि एंटीफंगल दवा द्वारा इसका इलाज नहीं किया जाता है, तो यह रोगी के जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

(और पढ़ें - फंगल संक्रमण का उपाय)

5. मेनिनजाइटिस के अन्य कारण – मेनिनजाइटिस असंक्रामक कारणों से भी उत्पन्न हो सकता है, जैसे कि रासायनिक प्रतिक्रियाएं, दवाओं से एलर्जी, कुछ कैंसर और सारकॉइडोसिस जैसी सूजन संबंधी बीमारियां।

मैनिंजाइटिस के बचाव के उपाय - Prevention of Meningitis in Hindi

रोकथाम:

मैनिंजाइटिस पैदा करने वाले सामान्य बैक्टीरिया या वायरस खांसने, छींकने, चुंबन या खाने के बर्तन, टूथब्रश या सिगरेट को साझा (शेयर) करने से फैल सकते हैं।

(और पढ़ें - सर्दी जुकाम का इलाज)

मैनिंजाइटिस को रोकने के लिए निम्न कदम उठाये जा सकते हैं –

  1. अपने हाथों को धोएंहाथों को सावधानीपूर्वक धोने से रोगाणुओं को रोकने में मदद मिलती है। बच्चों में खाने से पहले और शौचालय का उपयोग करने के बाद, एक भीड़ वाले स्थान पर या पालतू जानवरों के साथ समय व्यतीत करने के बाद हाथ धोने की आदत डालें। उन्हें अच्छी तरह से हाथ धोना सिखाएं। (और पढ़ें - बच्चों की अच्छी सेहत के लिए टिप्स)
  2. स्वच्छता की अच्छी आदतें अपनाएं – पेय, भोजन, स्ट्रॉ, खाने के बर्तन, होंठ पर लगाने वाली क्रीम या टूथब्रश किसी के साथ साझा (शेयर) न करें। बच्चों और किशोरों को भी अपनी व्यक्तिगत स्वच्छता की चीज़ों को साझा न करने की हिदायत दें।  
  3. स्वस्थ रहें  पर्याप्त आराम, नियमित व्यायाम और ताजे फल, सब्जियों व साबुत अनाज युक्त एक स्वस्थ आहार का सेवन करके अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ बनाए रखें। (और पढ़ें - संतुलित आहार किसे कहते है)
  4. अपने मुँह को ढकें खांसते या छींकते समय मुँह और नाक को रूमाल से ढक लें।
  5. यदि आप गर्भवती हैं, तो भोजन का ख्याल रखें हॉट डॉग और मुलायम मांस को 165 F (74 C) पर पकाने से 'लिस्टरियोसिस' के जोखिम को कम किया जा सकता है। बिना उबले दूध से बने पनीर को खाने से बचें। पाश्चराइज्ड दूध से बनाया गया पनीर खाएं।

(और पढ़ें - गर्भवती महिला को क्या खाना चाहिए)

प्रतिरक्षण (Immunizations):

कुछ बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस निम्नलिखित टीकाकरण के द्वारा रोके जा सकते हैं –

(और पढ़ें - स्वाइन फ्लू का इलाज)

  1. हीमोफिलस इन्फ्लूएंजा टाइप बी (एचआईबी) वैक्सीन – संयुक्त राज्य अमेरिका में बच्चों को नियमित लगने वाले टीकों में 'हीमोफिलस इन्फ्लूएंजा टाइप बी' भी शामिल है, जो लगभग 2 महीने की उम्र से बच्चों को लगाए जाते हैं। कुछ वयस्कों के लिए भी इस वैक्सीन की सिफारिश की जाती है, जो सिकल सेल रोग या एड्स से पीड़ित हैं और जिनके पास तिल्ली (Spleen) नहीं है।
  2. नियूमोकोकल कोंजूगेट वैक्सीन (पीसीवी 13) – यह वैक्सीन भी संयुक्त राज्य अमेरिका में 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए नियमित टीकाकरण कार्यक्रम का हिस्सा है। 2 और 5 वर्ष की आयु के बीच के उन बच्चों के लिए वैक्सीन की अतिरिक्त मात्रा की सिफारिश की जाती है, जिन्हें न्यूमोकोकल का खतरा होता है। 
  3. न्यूमोकोकल पॉलीसैकेराइड टीका (पीपीएसवी 23)  – बड़े बच्चों और वयस्कों को जिन्हें न्यूमोकोकल बैक्टीरिया से सुरक्षा की आवश्यकता होती है, उन्हें यह टीका लगाया जाता है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र, पीपीएसवी वैक्सीन की सिफारिश इन लोगों के लिए करते हैं – 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए, युवा वयस्कों और 2 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए जो कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली या गंभीर बीमारियों,जैसे– हृदय रोग, मधुमेह या सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित हों और उन लोगों के लिए जिनमें तिल्ली (Spleen) नहीं है।
  4. मेनिंगोकोकल संयुग्म वैक्सीन (Meningococcal conjugate vaccine) – रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों द्वारा सिफारिश की गई है कि 11 से 12 वर्ष की आयु के बच्चों को इसकी एक खुराक दी जाए और 16 वर्ष की उम्र में बूस्टर शॉट दिया जाये। यदि टीका 13 और 15 की उम्र के बीच पहली बार लगाया गया है, तो बूस्टर शॉट 16 और 18 की उम्र के बीच लगाया जाएगा। यदि पहला टीका 16 वर्ष या उससे अधिक उम्र में लगाया जाता है, तो कोई बूस्टर आवश्यक नहीं है। यह टीका उन युवा बच्चों को भी दिया जा सकता है, जिन्हें बैक्टीरियल मेमेनिनजाइटिस का खतरा होता है या जो इस बीमारी से संक्रमित किसी व्यक्ति के संपर्क में हों। यह 9 महीने की उम्र के बच्चों के लिए स्वीकृत है। यह टीका स्वस्थ व्यक्तियों में भी लगाया जाता है, लेकिन पहले उन लोगों में उपयोग किया जाता है, जिनमें बैक्टीरियल मेमेनिनजाइटिस के लक्षण देखे गए हैं। 

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मेनिनजाइटिस का परीक्षण - Diagnosis of Meningitis in Hindi

मैनिंजाइटिस का परीक्षणनिदान:

मैनिंजाइटिस का निदान एक स्वास्थ्य इतिहास और शारीरिक परीक्षण से शुरू होता है। शारीरिक परीक्षण के दौरान आपके चिकित्सक निम्न को जांचते है –

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  • बुखार
  • हृदय गति में वृद्धि
  • गर्दन में अकड़न
  • चेतना में कमी 

(और पढ़ें - लैब टेस्ट क्या है

आपके डॉक्टर 'लम्बर पंक्चर' का आदेश भी दे सकते हैं। इस परीक्षण को 'स्पाइनल टैप' भी कहा जाता है। यह आपके चिकित्सक को केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में बढ़े हुए दबाव की जाँच करने में मदद करता है। यह टेस्ट रीढ़ में मौजूद द्रव में सूजन या बैक्टीरिया का पता लगाने में सहायता करता है। यह परीक्षण उपचार के लिए सर्वश्रेष्ठ एंटीबायोटिक का निर्धारण करने में भी मदद कर सकता है।

(और पढ़ें - सूजन का घरेलू उपाय)

मैनिंजाइटिस के निदान के लिए अन्य परीक्षणों का भी आदेश दिया जा सकता है। अन्य सामान्य परीक्षणों में निम्नलिखित शामिल है –

  1. रक्त में जीवाणुओं की वृद्धि – रक्त में बैक्टीरिया की पहचान करना। बैक्टीरिया रक्त से मस्तिष्क तक पहुँच सकते हैं। यह एन मेनिन्जाइटिडिस ( N. meningitides) और एस निमोनिया (S. pneumoniae) सेप्सिस और मैनिंजाइटिस दोनों का कारण हो सकते हैं।
  2. रक्त परीक्षण – अंतर के साथ पूर्ण रक्त गणना (Complete blood count) स्वास्थ्य का सामान्य सूचकांक (General Index) है। यह आपके रक्त में लाल और सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या की जाँच करता है। सफेद रक्त कोशिकाएं संक्रमण से लड़ती हैं। इनकी गिनती मैनिंजाइटिस में आमतौर पर बढ़ जाती है। (और पढ़ें - रक्त परीक्षण क्या है)
  3. छाती का एक्स-रे –  इसके द्वारा निमोनिया, ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) या फंगल संक्रमण की उपस्थिति के बारे में पता किया जा सकता है। निमोनिया के बाद मैनिंजाइटिस हो सकता है। (और पढ़ें - एक्स-रे के प्रकार)
  4. सीटी स्कैन – सिर का सीटी स्कैन मस्तिष्क के फोड़े या साइनसाइटिस जैसी समस्याएं दिखा सकता है। बैक्टीरिया साइनस से मेनिन्जेस तक फैल सकते हैं।

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मैनिंजाइटिस का उपचार - Meningitis Treatment in Hindi

उपचार:

 उपचार आपके या आपके बच्चे को होने वाले मैनिंजाइटिस के प्रकार पर निर्भर करता है।

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1. बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस-

एक्यूट बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस का इलाज तुरंत इंट्रावेनस एंटीबायोटिक्स दवाओं के साथ किया जाना चाहिए और उससे भी शीघ्र कॉर्टिकोस्टेरॉइड का इस्तेमाल करें। यह दवाएं स्थिति में सुधार करने और जटिलताओं के जोखिम, जैसे कि मस्तिष्क की सूजन और दौरे को कम करने में मदद करती हैं।

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एंटीबायोटिक या एंटीबायोटिक का संयोजन (Combination) संक्रमण उत्पन्न करने वाले जीवाणु के प्रकार पर निर्भर करता है। आपके डॉक्टर जब तक मैनिंजाइटिस के सटीक कारण की पहचान नहीं कर लेते, तब तक एक व्यापक स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक की सिफारिश कर सकते हैं।  

आपके डॉक्टर किसी भी संक्रमित सायनस या मास्टॉइड को निकाल सकते हैं, जैसे- बाहरी कान के पीछे की हड्डियां जो मध्य कान से जुडी होती हैं। (और पढ़ें – कान में दर्द के घरेलू उपाय

2. वायरल मेनिनजाइटिस-

एंटीबायोटिक्स वायरल मेनिनजाइटिस का इलाज नहीं कर सकते हैं और ज्यादातर मामलों में मरीज़ की हालत कई हफ्तों में अपने आप सुधर जाती है। वायरल मेनिनजाइटिस की मामूली अवस्था के उपचार में आमतौर पर शामिल हैं –

  • बिस्तर पर आराम (Bed Rest),
  • तरल पदार्थ का अत्यधिक सेवन,
  • बुखार को कम करने और शरीर में दर्द से राहत के लिए मेडिकल स्टोर्स से ली गई दर्द की दवाएं।  

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आपके डॉक्टर मस्तिष्क में सूजन को कम करने के लिए और दौरों को नियंत्रित करने के लिए दवा लिख सकते हैं। अगर हर्पीस वायरस आपके मैनिंजाइटिस का कारण बनता है, तो इसके लिए एंटीवायरल दवा उपलब्ध है।

3. मैनिंजाइटिस के अन्य प्रकार-

यदि आपके मैनिंजाइटिस का कारण स्पष्ट नहीं है, तो आपके डॉक्टर एंटीवायरल और एंटीबायोटिक उपचार शुरू कर सकते हैं, जब तक इसका कारण निर्धारित नहीं होता है।

(और पढ़ें - एंटीबायोटिक दवा लेने से पहले जरुर रखे ध्यान)

क्रोनिक मेनिनजाइटिस का इलाज इसके अंतर्निहित कारणों के आधार पर किया जाता है। एंटिफंगल दवाएं कवक मेनिनजाइटिस का इलाज करती हैं और विशिष्ट एंटीबायोटिक दवाओं का संयोजन 'ट्यूबरकुलस मेनिन्जाइटिस' का इलाज कर सकता है। हालाँकि इन दवाओं के गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं, इसलिए जब तक प्रयोगशाला पुष्टि नहीं कर लेती कि इसका कारण फंगल है, तब तक इसका उपचार रोका जा सकता है। 

मेनिनजाइटिस के जोखिम और जटिलताएं - Meningitis Risks & Complications in Hindi

1. मेनिनजाइटिस की जटिलताएं-

ये जटिलताएं आमतौर पर मेनिनजाइटिस से सम्बन्धित  हैं –

  • दौरे 
  • बहरापन
  • मस्तिष्क क्षति (और पढ़ें - मानसिक रोग का इलाज)
  • हाइड्रोसेफालस (Hydrocephalus)
  • मस्तिष्क और खोपड़ी के बीच तरल पदार्थ का एक उप-प्रवाह या द्रव का निर्माण

(और पढ़ें - बर होल सर्जरी)

2. मेनिनजाइटिस के जोखिम कारक-

मेनिनजाइटिस के जोखिम कारक निम्न हैं –

1. समझौता प्रतिरक्षा (Compromised Immunity)  कमज़ोर प्रतिरक्षा वाले लोग संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। इनमें मेनिनजाइटिस का कारण बनने वाले संक्रमण शामिल हैंI कुछ विकार और उपचार आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकते हैं। इनमें शामिल हैं –

  • एचआईवी / एड्स
  • स्व-प्रतिरक्षित (ऑटोइम्यून) विकार
  • कीमोथेरपी
  • अंग या अस्थि मज्जा (Bone Marrow) प्रत्यारोपण

क्रिप्टोकोकल मेनिनजाइटिस, फंगस के कारण होता है और एचआईवी या एड्स वाले लोगों में मेनिनजाइटिस का यह सबसे आम रूप है।

(और पढ़ें - योनि में यीस्ट संक्रमण का इलाज)

2. सामुदायिक रहन-सहन (Community Living) जब लोग निकट बने घरों में रहते हैं, तो मेनिनजाइटिस आसानी से फैल जाता है। छोटे स्थानों में होने के कारण जोखिम की संभावना बढ़ जाती है। इन स्थानों के उदाहरणों में शामिल हैं –

  • कॉलेज का छात्रावास 
  • सैनिकों के लिये बने घर (बैरक्स)
  • बोर्डिंग स्कूल
  • डे केयर केन्द्र  

3. गर्भावस्था – गर्भवती महिलाओं को लिस्टरियोसिस का खतरा बढ़ जाता है, जो कि लिस्टेरिया बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होता है। संक्रमण अजन्मे बच्चे में फैल सकता है। (और पढ़ें - प्रेगनेंसी में क्या करें क्या न करें)

4. आयु – मेनिनजाइटिस का खतरा किसी भी उम्र में हो सकता है। हालांकि, कुछ विशेष आयु समूहों में उच्च जोखिम होता है। 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में वायरल मेनिनजाइटिस का खतरा सबसे ज़्यादा होता है। शिशुओं में बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस का खतरा सबसे अधिक होता है।

5. पशुओं के साथ कार्य करना- फार्म में काम करने वाले मज़दूर और अन्य लोग जो जानवरों के साथ काम करते हैं, उनमें लिस्टेरिया के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

(और पढ़ें - फूड पाइज़निंग के लक्षण)

मैनिंजाइटिस में परहेज़ - What to avoid during Meningitis in Hindi?

मेनिनजाइटिस के रोगियों को सलाह दी जाती है कि वे निम्नलिखित चीजों को खाने या पीने से परहेज़ करें –

(और पढ़ें - गर्भावस्था में बुखार का इलाज)

उपरोक्त के साथ ही साथ मेनिनजाइटिस रोगियों को सलाह दी जाती है कि भोजन में नमक (सोडियम का प्राथमिक स्रोत) की अधिक मात्रा खाने से बचें। इसका कारण यह है कि बहुत अधिक नमक आपके रक्तचाप को बढ़ा सकता है और वाहिकाओं या धमनियों को सिकोड़ सकता है। हालांकि, निर्धारित मात्रा से कम नमक खाना भी हानिकारक हो सकता है। यही कारण है कि आपको पूरी तरह से अपने आहार में नमक लेना बंद नहीं करना चाहिए बल्कि इसका एक अच्छा संतुलन बनाने का प्रयास करें। क्योंकि आपके शरीर को कार्य करने के लिए निश्चित मात्रा में सोडियम की भी आवश्यकता होती है।

(और पढ़ें - हाई ब्लड प्रेशर में क्या खाएं)

मेनिनजाइटिस में क्या खाना चाहिए? - What to eat during Meningitis in Hindi?

मेनिनजाइटिस में क्या खाएं?

(और पढ़ें - बुखार में क्या खाना चाहिए)


1. फल और सब्जियां एंटीऑक्सीडेंट, आवश्यक फैटी एसिड, विटामिन, खनिज और अन्य पोषक तत्व प्रदान करने के लिए जाने जाते हैं, जो रोगी को जल्दी ठीक करने में मदद कर सकते हैं। ये प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत बनाते हैं, जो रोगों के खिलाफ शरीर की रक्षा करती है।

2. देसी मुर्गी (चिकन) और कम वसा वाला मांस अपने आहार में शामिल करें। उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन आपको महत्वपूर्ण पोषक तत्व और विटामिन, जैसे – ओमेगा-3 वसा, कंजुगेटेड लिनोलिक एसिड (सीएलए) और विटामिन ई प्रदान कर सकते हैं।

3. अगर आपको मेनिनजाइटिस है, तो सैल्मन मछली ज़रूर खाएं। यह प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है।

4. मेनिनजाइटिस के मरीज़ के आहार में विभिन्न मेवे और बीज शामिल करना भी अच्छा होता है।

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संदर्भ

  1. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; Non-Infectious Meningitis.
  2. Runde TJ, Hafner JW. Meningitis, Bacterial. [Updated 2019 May 5]. In: StatPearls [Internet]. Treasure Island (FL): StatPearls Publishing; 2019 Jan-.
  3. Meningitis. Paediatr Child Health. 2001 Mar;6(3):126-7. PMID: 20084221
  4. Department of Public Health [Internet]; Illinois, US; What is meningitis?
  5. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; Meningitis.

मेनिनजाइटिस की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Meningitis in Hindi

मेनिनजाइटिस के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।