क्राउजोन सिंड्रोम - Crouzon Syndrome in Hindi

Dr. Nadheer K M (AIIMS)MBBS

September 16, 2020

September 16, 2020

क्राउजोन सिंड्रोम
क्राउजोन सिंड्रोम

क्राउजोन सिंड्रोम क्या है?

क्राउजोन सिंड्रोम एक दुर्लभ और वंशानुगत विकार है, जिसमें बच्चे की खोपड़ी की कुछ हड्डियां समय से पहले (प्रीमैच्योर) आपस में जुड़ जाती हैं। इस प्रक्रिया को क्रानियोसेनोस्टोसिस कहा जाता है। यह स्थिति सिर और चेहरे के आकार को प्रभावित करती है।

क्राउजोन सिंड्रोम की एक अन्य परिभाषा यह है कि यह एक वंशानुगत विकार है। आमतौर पर नवजात की खोपड़ी की हड्डियां आपस में जुड़ी नहीं होती हैं इसलिए उनके दिमाग को विकसित होने की जगह मिल पाती है, लेकिन क्राउजोन सिंड्रोम की स्थिति में खोपड़ी की हड्डियां समय से पहले आपस में जुड़ जाती हैं और मष्तिष्क के विकास में बाधा उत्पन्न होती है। इस वजह से खोपड़ी और चेहरे की बनावट बिगड़ सकती है। क्राउजोन सिंड्रोम के संकेत बच्चे के जीवन के शुरुआती कुछ महीनों में दिखने लगते हैं।

फ्रांस की न्यूरोलॉजिस्ट लुईस ई.ओ. क्राउजोन ने पहली बार 20वीं शताब्दी में इस स्थिति का वर्णन किया था। यह हर दस लाख शिशुओं में से लगभग 16 को प्रभावित करता है।

क्राउजोन सिंड्रोम के संकेत और लक्षण

क्राउजोन सिंड्रोम वाले शिशुओं में निम्न तरह के लक्षण देखे जा सकते हैं :

ये लक्षण कुछ शिशुओं में दूसरों की तुलना में अधिक गंभीर हो सकते हैं।

क्राउजोन सिंड्रोम का कारण

क्राउजोन सिंड्रोम आनुवंशिक है। अक्सर लोगों को लगता है कि यह गर्भावस्था के दौरान किसी गड़बड़ी की वजह से होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। यह सिंड्रोम एफजीएफआर2 नामक जीन में उत्परिवर्तन (एक तरह की गड़बड़ी) के कारण होता है, जिसकी वजह से एफजीएफआर प्रोटीन प्रभावित हो जाता है। नतीजतन खोपड़ी में कुछ बढ़ती हुई हड्डियों में असामान्य रूप से बदलाव होने लगता है। इस परिवर्तन के दौरान हड्डियों के बीच सूचर समय से पहले आपस में जुड़ जाते हैं।

यदि किसी व्यक्ति को क्राउजोन सिंड्रोम है, तो उसके बच्चे में इस बीमारी के पारित होने का जोखिम 50 प्रतिशत है। हालांकि, यह हमेशा वशांनुगत नहीं होता है। भले ही परिवार में किसी को यह समस्या न हो, बावजूद इसके कुछ बच्चे क्राउजोन सिंड्रोम के साथ पैदा हो सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो इसे 'डी नोवो म्यूटेशन' कहते हैं।

क्राउजोन सिंड्रोम का निदान

क्राउजोन सिंड्रोम के लक्षण आमतौर पर जीवन के पहले वर्ष में दिखाई देते हैं। हालांकि, कभी-कभी, यह लक्षण तब तक बढ़ते रहते हैं जब तक बच्चा 2 या 3 वर्ष का नहीं हो जाता है।

यदि डॉक्टर को क्राउजोन सिंड्रोम का संदेह होता है तो वे मेडिकल व फैमिली हिस्ट्री पूछने के साथ साथ शारीरिक जांच भी कर सकते हैं।

इसके अलावा डॉक्टर कुछ और भी टेस्ट कर सकते हैं जैसे :

क्राउजोन सिंड्रोम का उपचार

क्राउजोन सिंड्रोम के हल्के मामलों में बच्चों को इलाज की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन अधिक गंभीर मामलों में क्रैनियोफेशियल विशेषज्ञ (खोपड़ी और चेहरे के विकारों का इलाज करने वाले डॉक्टर) से मिलने की जरूरत होती है।

अधिक गंभीर मामलों में, डॉक्टर खोपड़ी के जॉइंट्स को खोलने के लिए सर्जरी कर सकते हैं जिससे मस्तिष्क को विकास करने के लिए पर्याप्त जगह मिल सकती है। सर्जरी के बाद, बच्चों को कुछ महीनों के लिए एक विशेष हेलमेट पहनने की आवश्यकता हो सकती है।

सर्जरी का उद्देश्य :

  • खोपड़ी के अंदर दबाव को कम करना
  • होंठ या तालु को ठीक करना
  • बाहर निकले हुए जबड़े को सही करना

टेढ़े दांतों को सीधा करना और आंखों की समस्याओं को ठीक करना होता है। इसके अलावा जिन बच्चों को सुनाई नहीं देता उन्हें 'हियरिंग ऐड' पहनने की जरूरत होती है। इस स्थिति में बच्चों को स्पीच एंड लैंगवेज थेरेपी की भी आवश्यकता पड़ती है।

(और पढ़ें - बच्चों में टेढ़े मेढ़े दांत क्यों निकलते हैं)



क्राउजोन सिंड्रोम के डॉक्टर

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