2 सितंबर, 2019 की रात को राजस्थान के जोधपुर में दो बच्चों को सीसीएचएफ (क्रीमियाई हीमोनहेज फीवर) से पीडित होने पर अस्पताल में भर्ती करवाया गया। इसके बाद से राजस्थान के स्वास्थ्य विभाग ने राज्य में कांगो फीवर को लेकर अलर्ट जारी कर दिया है।
डॉक्टर के अनुसार जब बच्चों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था तब उन्हें बुखार और सिरदर्द था। खबरों की मानें तो इन दोनों बच्चों को अपने पिता से ये बीमारी हुई है। इन बच्चों के पिता का पहले से ही गुजरात के अहमदाबाद शहर के अस्पताल में इस बीमारी का इलाज चल रहा है।
सीसीएचएफ को कांगो फीवर भी कहा जाता है। ये टिक-जनित बीमारी (बैक्टीरिया, वायरस या परजीवी और बीमारी फैलाने वाले) है जिसमें फ्लू की तरह लक्षण जैसे कि बुखार, मांसपेशियों में दर्द, चक्कर आना और जी मितली की समस्या होती है। हालांकि, ये बीमारी संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने पर भी होती है।
क्या है कांगो फीवर
कांगो फीवर वायरल बुखार है जो कि नैरोवायरस की वजह से होता है। यह हीमोरेजिक वायरस बुन्याविरिदई परिवार से है। ऐसा माना जाता है कि ये बुखार सबसे पहले अफ्रीका के देशों क्रिमिया और कांगो में पाया गया था और इसीलिए इसका नाम क्रिमीयन कांगो फीवर पड़ा।
ये बीमारी अफ्रीका, एशिया और मध्य पूर्व में ज्यादा पाई जाती है। हालांकि, उत्तरी यूरोप और भूमध्य सागर में भी पाई जाती है।
ये प्रमुख तौर पर इक्सोडिड टिक के काटने या टिक्स के आसपास रहने वाले जानवरों जैसे कि मवेशी, भेड़ और बकरी से फैलती है। लेकिन ये बीमारी संक्रमित व्यक्ति के शरीर से होने वाले किसी भी तरह के स्राव के सीधे संपर्क में आने पर भी हो सकती है। पशु और कृषि उद्योग में काम करने वाले लोगों को इस बीमारी का खतरा सबसे अधिक होता है।