कॉन सिंड्रोम - Conn Syndrome in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

March 15, 2022

March 15, 2022

कॉन सिंड्रोम
कॉन सिंड्रोम

कॉन सिंड्रोम क्या है?

कॉन सिंड्रोम एक एंडोक्राइन विकार है, जिसमें एड्रिनल ग्रंथी द्वारा एल्डोस्टेरोन हार्मोन का अत्यधिक स्राव होने लगता है। इसे प्राइमरी एल्डोस्टेरोनिज्म या प्राइमरी हाइपरएल्डोस्टेरोनिज्म भी कहा जाता है। इस हार्मोन के अत्यधिक उत्पादन से शरीर में सोडियम बढ़ता रहता है और पोटेशियम की कमी होती रहती है, जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति को उच्च रक्त चाप (हाइपरटेंशन) हो जाता है।

एड्रिनल ग्रंथि दोनों गुर्दों के ऊपर मौजूद त्रिकोण जैसे दिखने वाले दो अंग हैं। एल्डोस्टेरोन एड्रिनल ग्रंथि की ऊपरी परत द्वारा स्त्रावित किया जाता है जिसे कोर्टेक्स कहते हैं। यह हार्मोन रक्त का घनत्व, दबाव, पीएच और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। इसके उत्पादन को किडनी द्वारा बनाए गए प्रोटीन “रेनिन” से नियंत्रित किया जाता है। जब लो ब्लड प्रेशर के कारण रेनिन का स्तर बढ़ जाता है, तो किडनी तक रक्त का प्रवाह कम हो जाता है या सोडियम की कमी होती है। इसके परिणामस्वरूप एल्डोस्टेरोन के स्तर में वृद्धि होने लगती है। जब रेनिन के स्तर घटते हैं तो एल्डोस्टेरोन के स्तर भी कम हो जाते हैं।

कॉन सिंड्रोम के लक्षण - Conn Syndrome Symptoms in Hindi

प्राइमरी एल्डोस्टेरोनिज्म के लक्षण और संकेत अस्पष्ट हो सकते हैं या इन स्थितियों के लक्षणों की तरह दिख सकते हैं। आमतौर पर इसमें केवल कम से सामान्य उच्च रक्त चाप के लक्षण ही दिखाई देते हैं। मुख्य रूप से इनमें लो पोटेशियम (हाइपोकलेमिया) और हाइपरटेंशन से जुड़े लक्षण शामिल होते हैं। इसके अलावा कॉन सिंड्रोम में कुछ अन्य लक्षण भी देखे जा सकते हैं, जिनमें मुख्य रूप से निम्न शामिल हैं:

कॉन सिंड्रोम के कारण - Conn Syndrome Causes in Hindi

कई मामले सामान्य होते हैं वहीं कुछ मामलों के अंदर यह माता-पिता से बच्चों में जाती है। कॉन सिंड्रोम एड्रिनल ग्रंथि में ट्यूमर के कारण भी हो सकता है। ऐसा दोनों एड्रिनल ग्रंथियों में असामान्य ग्रोथ के कारण हो सकता है इसे "बाइलेट्रल एड्रिनल हाइपरप्लासिया" कहते हैं। दोनों ही स्थितियों में अत्यधिक एल्डोस्टेरोन स्रावित होता है।

कभी-कभी एल्डोस्टेरोन के अधिक स्तर ऐसी स्वास्थ्य स्थितियों के कारण भी हो सकते हैं जिनके कारण किडनी में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है जैसे:

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Kesh Art Hair Oil बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने 1 लाख से अधिक लोगों को बालों से जुड़ी कई समस्याओं (बालों का झड़ना, सफेद बाल और डैंड्रफ) के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Bhringraj Hair Oil
₹546  ₹850  35% छूट
खरीदें

कॉन सिंड्रोम की जांच - Diagnosis of Conn Syndrome in Hindi

ब्लड टेस्ट और यूरिन टेस्ट से एल्डोस्टेरोन के अधिक स्तर का परीक्षण किया जा सकता है। डॉक्टर अंदर मौजूद एडिनोमा या हाइपरप्लासिया की जांच के लिए सीटी स्कैन या एमआरआई करने के लिए कह सकते हैं। ऐसे मरीज जिनकी एड्रिनल ग्रंथि में असामान्य गांठ नजर आती है और उन्हें रक्तचाप संबंधी भी समस्याएं हैं, तो उन्हें कॉन सिंड्रोम की स्क्रीनिंग करवाने का सलाह दी जाती है।

प्राइमरी हाइपरएल्डोस्टेरोनिस्म का परीक्षण रक्त में रेनिन और एल्डोस्टेरोन में स्तर की जांच करके किया जाता है। इन हार्मोन के स्तर की जांच करने के लिए सैंपल सुबह के समय लिया जाना चाहिए।प्राइमरी हाइपरएल्डोस्टेरोनिस्म में एल्डोस्टेरोन के स्तर अधिक होंगे वहीं रेनिन के स्तर या तो कम होंगे या दिखाई ही नहीं देंगे। पोटेशियम के स्तर कम या सामान्य हो सकते हैं। यदि इस टेस्ट के परिणाम पॉजिटिव आते हैं तो परीक्षण की पुष्टि के लिए अन्य टेस्ट करवाने के लिए कहा जा सकता है। ये टेस्ट अधिक मात्रा में बन रहे एल्डोस्टेरोन के स्तर को कम करने की कोशिश करते हैं, ऐसा दवा दे कर, भोजन में अतिरिक्त नमक दे कर या इंट्रावेनस (नसों द्वारा) फ्लूइड दे कर किया जा सकता है। यदि इन टेस्ट के बाद एल्डोस्टेरोन के स्तर अधिक हैं और रेनिन के स्तर कम हैं तो परीक्षण की पुष्टि हो जाती है।

कॉन सिंड्रोम का इलाज - Conn Syndrome Treatment in Hindi

कॉन सिंड्रोम के प्रकार के अनुसार उसके इलाज भी भिन्न होते हैं। नीचे कुछ सामान्य ट्रीटमेंट दिए गए हैं।

  • यदि प्राइमरी हाइपरएल्डोस्टेरोनिस्म ट्यूमर के कारण हुआ है तो इसका इलाज एड्रिनल ग्रंथि को हटा कर (यूनीलेट्रल एड्रिनलेक्टॉमी) किया जा सकता है। इस बात का ध्यान रहे कि एड्रिनल ग्रंथि से मास (चर्बी आदि) हटाने से पहले एड्रिनल वेन सैम्पलिंग की जानी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि एक तिहाई से अधिक मरीजों में यह समस्या मरीज की दोनों या विपरीत एड्रिनल ग्रंथि में हो सकती है। अधिकतर सर्जरी लेप्रोस्कोपी की ही तरह की जाती है।
  • बाइलेट्रल हाइपरप्लासिया का इलाज डाइयुरेटिक के द्वारा किया जाता है, यह शरीर में बन रहे द्रव को नियंत्रित करता है।

यह जानना भी जरूरी है कि एड्रिनल ग्रंथि के लिए की जाने वाली किसी भी प्रकार की सर्जरी या ऑपरेशन प्रक्रिया जटिल होती है।

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Energy & Power Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को शारीरिक व यौन कमजोरी और थकान जैसी समस्या के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Power Capsule For Men
₹719  ₹799  10% छूट
खरीदें


कॉन सिंड्रोम के डॉक्टर

Dr. Narayanan N K Dr. Narayanan N K एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
16 वर्षों का अनुभव
Dr. Tanmay Bharani Dr. Tanmay Bharani एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
15 वर्षों का अनुभव
Dr. Sunil Kumar Mishra Dr. Sunil Kumar Mishra एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
23 वर्षों का अनुभव
Dr. Parjeet Kaur Dr. Parjeet Kaur एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
19 वर्षों का अनुभव
डॉक्टर से सलाह लें