जन्मजात रोग एक ऐसी चिकित्सकीय स्थिति है, जो बच्चे में जन्म के समय या जन्म से पहले मौजूद होती है। इन्हें जन्म दोष या जन्मजात दोष भी कहा जाता है। जन्मजात विकार जेनेटिक या पर्यावरणीय कारकों की वजह से भी हो सकते हैं। बच्चे के स्वास्थ्य व विकास पर इनका प्रभाव हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकता है। जन्मजात विकार वाला बच्चा जीवन भर विकलांगता या स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित रह सकता है।
दिल में छेद - Congenital heart disease in Hindi
यह एक तरह का जन्मजात हृदय रोग है, जिसमें हृदय के काम करने का सामान्य तरीका प्रभावित हो जाता है। यह सबसे आम प्रकार के जन्म दोषों में से एक है। ज्यादातर मामलों में, जन्मजात हृदय रोग का कारण स्पष्ट नहीं है। हालांकि, कुछ चीजें इस स्थिति के जोखिम को बढ़ाने के लिए जानी जाती हैं, जिनमें शामिल हैं -
दिल में छेद होने की पहचान
गर्भावस्था के दौरान होने वाले अल्ट्रासाउंड से अक्सर जन्मजात हृदय दोष का पता चल जाता है। उदाहरण के लिए यदि डॉक्टर दिल की धड़कनों को असामान्य पाते हैं, तो वे कुछ टेस्ट करके इसकी पुष्टि कर सकते हैं। इनमें इकोकार्डियोग्राम, छाती का एक्स-रे या एमआरआई स्कैन शामिल हो सकता है।
कुछ मामलों में जन्मजात हृदय दोष के लक्षण जन्म के कुछ समय बाद तक प्रकट नहीं होते हैं, लेकिन हृदय दोष वाले नवजात शिशु निम्नलिखित स्थिति अनुभव कर सकते हैं :
कुछ मामलों में, जन्मजात हृदय दोष के लक्षण जन्म के कई वर्षों बाद तक प्रकट नहीं हो सकते हैं लेकिन एक बार लक्षण विकसित होने के बाद उनमें निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं :
इलाज : खून के थक्कों को बनने से रोकने व अनियमित दिल की धड़कन को नियंत्रित करने के लिए दवाइयां
- पेसमेकर जैसी डिवाइस को इंप्लांट करना - यह एक ऐसा उपकरण है जो अनियमित दिल की धड़कन को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
- कैथेटेराइजेशन तकनीक से डॉक्टर छाती और हृदय की सर्जरी किए बिना कुछ जन्मजात हृदय दोषों को ठीक कर सकते हैं।
- इसके अलावा ओपन हार्ट सर्जरी और हार्ट ट्रांसप्लांट की भी मदद ली जा सकती है।
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शारीरिक विकलांगता - Physical Disability in Hindi
शारीरिक अक्षमता का मतलब किसी व्यक्ति के कार्य करने की क्षमता, गतिशीलता, निपुणता या सहनशक्ति का बाधित होना है। कुछ तरह की शारीरिक अक्षमताओं की वजह से दैनिक जीवन के काम काज भी प्रभावित हो जाते हैं, जिसकी वजह से सांस की बीमारी, अंधापन, मिर्गी और नींद संबंधी विकार विकसित हो सकते हैं।
शारीरिक विकलांगता की पहचान
शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्ति में चलने-फिरने, बैठने-उठने, बोलने या उसकी बनावट में असामान्यता देखी जा सकती है।
इलाज : शारीरिक विकलांगता के उपचार से स्थिति को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। इसमें फिजिकल थेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी, स्पीच थेरेपी, संज्ञानात्मक थेरेपी और व्यवहारिक थेरेपी शामिल है।
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उपदंश (सिफलिस) - Syphilis in Hindi
उपदंश एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है, जो कि आमतौर पर सेक्स के समय करीब आने पर फैलता है। इसमें शुरू में दर्दरहित घाव बनता है, जिसे आमतौर पर जननांगों, मलाशय या मुंह पर देखा जा सकता है। इस घाव को (chancre) कहा जाता है, इन्हें आसानी से नोटिस नहीं किया जा सकता है।
उपदंश (सिफलिस) की पहचान
इसे चार चरणों में बाटा जा सकता है - प्राइमरी, सेकंडरी, लेटेंट और टेर्टिआरी
- प्राइमरी स्टेज में बैक्टीरिया के संपर्क में आने के लगभग तीन से चार सप्ताह बाद लक्षण विकसित होते हैं। यह एक छोटे, गोलाकार घाव से शुरू होता है लेकिन यह अत्यधिक संक्रामक होता है। यह घाव पूरे शरीर में हर उस जगह दिख सकता है, जहां से बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश करता है।
- सेकंडरी स्टेज में, चकत्ते और गले में खराश हो सकती है। हालांकि, हथेलियों और तलवों पर दाने देखे जा सकते हैं, लेकिन इनमें खुजली नहीं होगी। इसके अन्य लक्षणों में शामिल हो सकते हैं :
- लेटेंट स्टेज थोड़ा अस्पष्ट हो सकता है। इसमें प्राथमिक और द्वितीयक चरण के लक्षण गायब हो जाते हैं, और इस स्तर पर कोई ध्यान देने योग्य लक्षण नहीं होता है। हालांकि, बैक्टीरिया शरीर में बने रहते हैं। चौथे स्टेज में जाने से पहले यह चरण वर्षों तक बने रह सकते हैं।
- टेर्टिआरी स्टेज शुरुआती संक्रमण के वर्षों या दशकों बाद विकसित हो सकता है और यह जानलेवा भी हो सकता है। इसके संभावित लक्षणों में शामिल हैं :
इलाज : प्राथमिक और माध्यमिक उपदंश का इलाज पेनिसिलिन इंजेक्शन (एक एंटीबायोटिक दवा) से किया जा सकता है। जिन लोगों को पेनिसिलिन से एलर्जी है, उनका इलाज अलग एंटीबायोटिक से किया जाता है जैसे :
दुर्भाग्य से, यदि उपदंश का इलाज बहुत देर से शुरू किया जाता है तो इसे ठीक नहीं किया जा सकता है। हालांकि, बैक्टीरिया को मारा जा सकता है, लेकिन उपचार दर्द और परेशानी को कम करने पर फोकस होता है। इसके अलावा जब तक घाव ठीक नहीं होते हैं तब तक सेक्स न करें और दोबारा सेक्स करने से पहले डॉक्टर से परामर्श कर लें।
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हर्निया - Hernia in Hindi
हर्निया तब होता है जब कोई आंतरिक अंग मांसपेशियों या ऊतक के किसी कमजोर हिस्से को धक्का देता है, जिससे वह अंग या हिस्सा उभरकर बाहर आने लगता है। हर्निया कई तरह के होते हैं - वंक्षण हर्निया, फीमोरल हर्निया, अंबिलिकल हर्निया और हाइटल। अधिकांश हर्निया पेट के निचले हिस्से के भीतर, छाती और कूल्हों के बीच होते हैं।
हर्निया की पहचान
हर्निया की स्थिति में गांठ या उभार महसूस हो सकता है, जिसे वापस अंदर धकेला जा सकता है या ऐसा भी हो सकता है कि लेटने के दौरान यह उभार महसूस न हो। हंसने, रोने, खांसने, मल त्याग के दौरान तनाव या शारीरिक गतिविधि से गांठ फिर से बाहर दिखाई या महसूस हो सकती है। हर्निया के अधिक लक्षणों में शामिल हैं :
- कमर या अंडकोष में सूजन या उभार
- उभार वाली जगह पर दर्द बढ़ना
- उठते समय दर्द
- समय के साथ उभार के आकार में वृद्धि
- हल्का दर्द का अनुभव
इलाज : हर्निया के आकार और गंभीरता के आधार पर इलाज निर्धारित होता है। इसके उपचार में जीवन शैली में बदलाव, दवाइयां और सर्जरी शामिल है। आमतौर पर ओपन सर्जरी या लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से हर्निया का इलाज किया जाता है।
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क्लबफुट - Clubfoot in Hindi
क्लबफुट एक ऐसी स्थिति है, जिसमें नवजात शिशु के पैर या पैर के टखने मुड़े हुए दिखाई देते हैं। आमतौर पर पैर अंदर की ओर मुड़े हुए होते हैं। इसे टैलिप्स इक्विनोवरस (talipes equinovarus) या कंजेनिटल टैलिप्स इक्विनोवरस (congenital talipes equinovarus) के नाम से जाना जाता है। 50 प्रतिशत मामलों में दोनों पैर प्रभावित होते हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) के मुताबिक, हर 1,000 में से 1 शिशु क्लबफुट से ग्रस्त होता है।
क्लबफुट की पहचान
- अनुपचारित छोड़ दिए जाने पर, व्यक्ति या बच्चा अपने टखनों या पैरों के किनारों के सहारे से चलता हुआ दिखाई दे सकता है।
- पैर के अंदर के टेंडन छोटे होते हैं, हड्डियों का आकार असामान्य होता है, और अकिलिस टेंडन कड़ा हो जाता है।
- पैर नीचे व अंदर की ओर मुड़े होना
- गंभीर मामलों में, पैर उल्टा होना
- पिंडली की मांसपेशियां अविकसित होना
- यदि केवल एक पैर प्रभावित है, तो यह आमतौर पर दूसरे की तुलना में थोड़ा छोटा होता है
इलाज : बिना उपचार के क्लबफुट ठीक नहीं होता है और यदि इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाए तो बाद में जटिलताएं बढ़ सकती हैं। उपचार का उद्देश्य पैरों की कार्यक्षमता को बढ़ाना और दर्द को खत्म करना होता है। इसके उपचार में स्ट्रेचिंग और सर्जरी शामिल है।
हिप डिस्प्लेसिया - Hip dysplasia in Hindi
हिप डिस्प्लेसिया कूल्हे से जुड़ी समस्या के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला एक मेडिकल टर्म है। इसमें जांघ की हड्डी का सबसे ऊपरी हिस्सा (जो कि किसी गेंद के रूप में दिखता है) अपने सॉकेट से बाहर निकल जाता है। यह कूल्हे के जोड़ को आंशिक रूप से या पूरी तरह से अव्यवस्थित कर देता है।
हिप डिस्प्लेसिया की पहचान
उम्र के अनुसार संकेत व लक्षण अलग-अलग होते हैं। शिशुओं में एक पैर दूसरे से लंबा होता है। एक बार जब बच्चा चलना शुरू करता है, तो वह लंगड़ा सकता है। डायपर बदलने के दौरान, एक कूल्हा दूसरे की तुलना में कम लचीला हो सकता है।
किशोरों और युवा वयस्कों में, हिप डिस्प्लेसिया क्रोनिक ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी दर्दनाक जटिलताओं का कारण बन सकता है। इस स्थिति में गतिविधि करने से कमर दर्द हो सकता है।
इलाज : हिप डिस्प्लेसिया का उपचार बच्चे की उम्र व कूल्हे को पहुंचे नुकसान के आधार पर किया जाता है। आमतौर पर एक सॉफ्ट ब्रेस का इस्तेमाल किया जाता है। यह सॉकेट वाले हिस्से को होल्ड करने में मदद करता है, जिससे धीरे-धीरे जांघ की हड्डी अपनी जगह पर बैठ जाती है। लेकिन इस तरह का ब्रेस 6 माह से बड़े बच्चों में असरदार नहीं है, ऐसे में डॉक्टर प्रभावित हड्डी को हिला डुला कर उचित स्थिति में लाते हैं। इसके अलावा फिजिकल थेरेपी और सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है।
(और पढ़ें - हिप का ऑपरेशन कैसे होता है)
कटे-फटे होंठ व तालु - Cleft lip and palate in Hindi
कटे होंठ और कटे तालु सबसे आम जन्म दोषों में से हैं। इस स्थिति में बच्चे के होंठ या तालु या दोनों कटे होते हैं। ऐसा तब होता है जब अजन्मे बच्चे में चेहरे की संरचनाएं विकसित हो रही होती हैं लेकिन पूरी तरह से नहीं हो पाती हैं।
कटे-फटे होंठ व तालु की पहचान
बच्चे के पैदा होते ही उसके होंठ या तालू को देखकर स्थिति की पहचान की जा सकती है।
इलाज : कटे होंठ और कटे तालु के उपचार का लक्ष्य बच्चे की सामान्य रूप से खाने, बोलने और सुनने की क्षमता में सुधार करना और चेहरे का सामान्य रूप प्राप्त करना है। इसके लिए सर्जरी ही एकमात्र उपचार है।
(और पढ़ें - कटे होंठ की सर्जरी)
सेरेब्रल पाल्सी - Cerebral palsy in Hindi
सेरेब्रल पाल्सी (सीपी) विकारों का एक समूह है, जो किसी बच्चे या व्यक्ति में संतुलन और मुद्रा को बनाए रखने की क्षमता को प्रभावित करता है। सेरेब्रल का अर्थ मस्तिष्क से है जबकि पाल्सी का अर्थ है कमजोरी या मांसपेशियों के उपयोग में समस्या आने से है। ऐसा अक्सर जन्म से पहले मस्तिष्क में चोट लगने के कारण होता है।
सेरेब्रल पाल्सी की पहचान
सेरेब्रल पाल्सी के संकेत और लक्षण बहुत भिन्न हो सकते हैं। सेरेब्रल पाल्सी से जुड़ी गतिविधि और समन्वय समस्याओं में शामिल हैं :
- मांसपेशियों की टोन में बदलाव जैसे या तो बहुत सख्त या बहुत अधिक ढीली होना
- कठोर मांसपेशियां और स्पास्टिसिटी
- मांसपेशियों में कठोरता
- संतुलन और मांसपेशियों के समन्वय की कमी (गतिभंग)
- झटके आना
- दौरे
- सीखने में कठिनाई
इलाज : सेरेब्रल पाल्सी के उपचार में दवाइयां, मांसपेशियों या नसों में लगाए जाने वाले इंजेक्शन, मांसपेशियों को आराम पहुंचाने वाली दवाइयां, फिजिकल थेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी, स्पीच एंड लैंग्वेज थेरेपी, रिक्रिएशनल थेरेपी और सर्जरी शामिल हैं।
(और पढ़ें - दौरे का इलाज)
हार्ट मर्मर - Heart Murmur in Hindi
हार्ट मर्मर एक तरह की असामान्य ध्वनि है, जो कि दिल के धड़कने के दौरान सुनाई देती है। ऐसा हृदय के पास असामान्य रक्त प्रवाह की वजह से होता है। डॉक्टर इन ध्वनियों को स्टेथोस्कोप के माध्यम से सुन सकते हैं। यह समस्या जन्मजात भी हो सकती है और जन्म के कुछ सालों बाद भी विकसित हो सकती है। आमतौर पर यह हृदय रोग का संकेत नहीं है और न ही इसे उपचार की आवश्यकता होती है।
हार्ट मर्मर की पहचान
जब तक डॉक्टर स्टेथोस्कोप से हृदय की आवाज नहीं सुनते हैं तब तक इसके बारे में पता नहीं चल पाता है। लेकिन कुछ स्थितियां हार्ट मर्मर का संकेत हो सकती हैं जैसे त्वचा का नीला पड़ना, खासकर उंगलियों और होठों का, सांस न आना, लंबे समय से खांसी, लिवर बढ़ना, गर्दन की नसें बढ़ना, भूख न लगना और विकास सही से न होना, बिना कोई एक्टिविटी किए ज्यादा पसीना आना, छाती में दर्द, चक्कर आना।
(और पढ़ें - दिल की बीमारी से बचने के उपाय)
इलाज: खून पतला करने वाली दवाई, पानी में घोलकर लेने वाली दवाई, एसीई इन्हिबिटर्स, बीटा ब्लॉकर्स और स्टैटिन। इसके अलावा सर्जरी की भी मदद ली जाती है।
(और पढ़ें - हार्ट बाईपास सर्जरी कैसे होती है)
डाउन सिंड्रोम - Down Syndrome in Hindi
डाउन सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है जिसमें बच्चा 21वें गुणसूत्र की एक अतिरिक्त प्रति (एक्ट्रा कॉपी) के साथ पैदा होता है - इसलिए इसका दूसरा नाम, ट्राइसॉमी 21 है। यह शारीरिक और मानसिक विकास में देरी और अक्षमता का कारण बनता है।
डाउन सिंड्रोम की पहचान
जन्म के समय, डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों में आमतौर पर निम्न लक्षण देखे जा सकते हैं :
- फ्लैट चेहरा
- सिर और कान छोटा होना
- छोटी गर्दन
- जीभ में उभार
- कान की बनावट असामान्य होना
- मांसपेशी की टोन सही न होना
इलाज : इसका उपचार नहीं है, लेकिन ऐसे कई सपोर्ट व एजुकेशनल प्रोग्राम हैं जो डाउन सिंड्रोम से ग्रस्त बच्चों व उनके परिवार की मदद कर सकते हैं। इसमें स्पीच, फिजिकल, ऑक्यूपेशनल थेरेपी और एजुकेशन थेरेपी शामिल हैं।
(और पढ़ें - मांसपेशियों की कमजोरी का इलाज)