उलझन - Confusion in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

November 30, 2018

April 13, 2023

उलझन
उलझन

परिचय

जब हम किसी बारे में तेजी से व स्पष्ट रूप से सोच ना पाएं, तो उस स्थिति को उलझन कहा जाता है। इस दौरान आपको गुमराह होने जैसा महसूस होता है और ध्यान लगाने या कुछ याद करने में कठिनाई होती है और आप कोई फैसला लेने में असमर्थ हो जाते हैं।

उलझन अचानक से विकसित हो सकती है और विकसित होने में कुछ घंटों का समय भी लग सकता है। उलझन आमतौर पर नींद की कमी​, हार्मोन संबंधी समस्या, अधिक शराब पीने, शरीर में पानी की कमी होने या कुछ निश्चित प्रकार की दवाएं लेने के कारण हो सकती है।

उलझन के साथ कुछ अन्य लक्षण भी हो सकते हैं, जैसे स्पष्ट रूप से बोल ना पाना, दिन, तारीख और यहां तक कि खुद का नाम भी याद ना रख पाना, उत्तेजित व बेचैन महसूस होना और जगह को निश्चित ना कर पाना कि वे कहां हैं। यदि सिर में चोट आदि लगने के कारण उलझन हुई है, तो इस स्थिति में जल्द से जल्द डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए। (और पढ़ें - याददाश्त खोने का इलाज​)

परीक्षण के दौरान डॉक्टर मरीज से उसके लक्षणों के बारे में पूछेंगे और उसके सोचने, याद रखने और देखने संबंधी समस्याओं का पता लगाने के लिए कुछ टेस्ट करेंगे। कुछ लोगों में उलझन जैसी समस्या की रोकथाम भी की जा सकती है।

उलझन से बचाव करने के लिए कुछ तरीके अपनाए जा सकते हैं, जैसे खूब मात्रा में तरल पदार्थ पीना, नियमित रूप से व्यायाम करना, दोस्तों व परिवार के सदस्यों से ज्यादा से ज्यादा बात करने की कोशिश करना और शराब व अन्य नशीले पदार्थों का सेवन ना करना आदि। उलझन के इलाज में इसे पैदा करने वाले कारकों से बचना और सहायक देखभाल आदि शामिल है।

(और पढ़ें - मानसिक रोग का इलाज)

उलझन के लक्षण - Confusion Symptoms in Hindi

उलझन के लक्षण क्या हैं?

उलझन होना खुद एक लक्षण होता है, इसके साथ कुछ अन्य लक्षण भी महसूस हो सकते हैं। उलझन के साथ होने वाले अन्य लक्षण इस स्थिति का कारण बनने बनने वाली अंदरुनी समस्या के अनुसार विकसित होते हैं। उलझन के साथ-साथ किसी दीर्घकालिक बीमारी, मेटाबॉलिज्म संबंधी समस्या या इन्फेक्शन के लक्षण भी हो सकते हैं। 

(और पढ़ें - बैक्टीरियल संक्रमण का इलाज)

उलझन के साथ-साथ कुछ अन्य लक्षण भी विकसित हो सकते हैं जो स्थिति के कारण पर निर्भर करते हैं, जैसे:

(और पढ़ें - चेहरे के लकवे)

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

निम्नलिखित स्थितियों में डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए:

  • यदि सिर में चोट लगने के बाद किसी व्यक्ति को उलझन होने लगी है।
  • यदि न्यूरोलॉजिकल समस्या से ग्रस्त किसी व्यक्ति को उलझन महसूस हो रही है।
  • यदि आपको लगता है कि आपकी भूलने या उलझन की समस्या लगातार बढ़ रही है।
  • यदि आपको उलझन के साथ तेज बुखार या गर्दन में अकड़न महसूस हो रही है।

(और पढ़ें - कमजोर याददाश्त का इलाज)

Baidyanath Brain Tablets
₹201  ₹241  16% छूट
खरीदें

उलझन के कारण व जोखिम कारक - Confusion Causes & Risk Factors in Hindi

उलझन क्यों होती है?

उलझन निम्नलिखित कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण हो सकती है, जैसे:

(और पढ़ें - चोट लगने पर क्या करें)

उलझन होने का खतरा कब बढ़ता है?

कुछ स्थितियां हैं, जिनसे उलझन होने के जोखिम बढ़ जाते हैं, जैसे:

(और पढ़ें - शराब की लत कैसे छुडाये)

उलझन से बचाव - Prevention of Confusion in Hindi

उलझन से बचाव कैसे करते हैं?

कुछ तरीके अपना कर उलझन से बचाव किया जा सकता है:

  • हमेशा अपने पास एक घड़ी या कैलेंडर रखना
  • रोजाना चलने की आदत डालें या फिर कम से कम एक कुर्सी पर बैठने की आदत डालें
  • ऐसी दवाएं कम खाना जो उलझन पैदा कर सकती हैं या जरूरत के बिना कोई दवा ना खाएं (और पढ़ें - दवाइयों की जानकारी)
  • मरीज को कुछ समझाते या बताते समय उसे सरल तरीके से बताएं और कठिन काम ना दें। मरीज को अधिक उत्तेजित ना करें
  • इन्फेक्शन से जुड़ा कोई भी लक्षण महसूस होने पर इस बारे में डॉक्टर को बताएं (जैसे खांसी, बुखार, दर्द या सांस फूलना)
  • मरीज का इलाज करने में परिवार के अन्य सदस्यों को भी डॉक्टर की मदद करनी चाहिए। (और पढ़ें - सूखी खांसी होने पर क्या करे)
  • मरीज को धीरे-धीरे समझाने की कोशिश करें। उसके साथ धीमी व शांत आवाज में बात करते हुऐ बताएं कि वह कहां पर है और क्यों है। 
  • दिन भर उसके पास पर्याप्त उजाला कर के रखें
  • यदि मरीज एक वृद्ध व्यक्ति है और उसको देखने, सुनने या खाने आदि संबंधी कोई समस्या है, तो उसे उसकी जरूरत के अनुसार चश्मे, सुनने में मदद करने वाली मशीन व डेंचर (नकली दांत) दें।
  • मरीज को खूब पानी व अन्य पेय पदार्थ  पिलाएं

(और पढ़ें - गुनगुना पानी पीने के फायदे)

उलझन का परीक्षण - Diagnosis of Confusion in Hindi

उलझन की जांच कैसे की जाती है?

उलझन खुद में ही एक लक्षण होता है, जो कई बार किसी अन्य बीमारी, रोग या विकार के साथ होता है। 

(और पढ़ें - एसजीपीटी टेस्ट क्या है)

स्थिति का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर निम्नलिखित लक्षणों की जांच करते हैं: 

  • जिस व्यक्ति को उलझन होती है उसको व्यवहार अक्सर असामान्य रहता है, जो अक्सर अजीब या आक्रामक हो जाता है। 
  • किसी समस्या का हल ना कर पाना या किसी काम को पूरा ना कर पाना (जिसको पहले आसानी से पूरा कर देते थे) उलझन का एक अन्य लक्षण है।
  • जिन लोगों को उलझन की गंभीर समस्या है, उनको कई बार अपने परिवार के सदस्यों व जानी पहचानी चीजों को पहचान करने में भी मुश्किल होने लग जाती है। 
  • मरीज के स्वास्थ्य से संबंधित पिछली जानकारी लेकर, मानसिक स्थिति व सोचने की क्षमता की जांच और उलझन का कारण बनने वाले अन्य कारकों की पहचान करते हैं। उलझन के परीक्षण के दौरान निम्न टेस्ट किए जा सकते हैं:
    • मानसिक स्थिति की जांच करना:
      डॉक्टर सबसे पहले मरीज में सचेत रहने, ध्यान देने व सोचने की क्षमता की जांच करता है। इनकी जांच डॉक्टर मरीज से सामान्य बात करके, मानसिक क्षमता की जांच करने के लिए टेस्ट करके और याद रखने की क्षमता की जांच करके भी कर सकते हैं। इसके अलावा परिवार के सदस्यों या मरीज की देखभाल करने वाले व्यक्ति से कुछ जानकारी लेना भी काफी मददगार हो सकता है। (और पढ़ें - यूरिक एसिड टेस्ट क्या है)
       
    • शारीरिक और न्यूरोलॉजिकल परीक्षण:
      डॉक्टर शारीरिक समस्याओं व अन्य अंदरुनी समस्याओं का पता लगाने के लिए शारीरिक परीक्षण कर सकते हैं। न्यूरोलॉजिकल परीक्षण की मदद से देखने व शरीर का संतुलन बनाए रखने की क्षमता की जांच की जाती है। इस टेस्ट की मदद से यह पता लगाया जाता है, कि कहीं स्ट्रोक या किसी अन्य न्यूरोलॉजिकल रोग के कारण तो उलझन नहीं हो रही है। (और पढ़ें - टीबी टेस्ट क्या है)

उलझन का परीक्षण करने के लिए कुछ अन्य टेस्ट भी किए जा सकते हैं:

(और पढ़ें - नसों की कमजोरी का इलाज)

उलझन का इलाज - Confusion Treatment in Hindi

उलझन का इलाज कैसे किया जाता है?

उलझन आमतौर पर स्वास्थ्य संबंधी किसी अन्य समस्या के कारण होती है, इसलिए उलझन को ठीक करने के लिए उसका कारण बनने वाली स्वास्थ्य संबंधी समस्या का इलाज करना जरूरी होता है। 

उलझन का इलाज करने के लिए कुछ तरीके हैं, जिसमें मरीज के वातावरण पर ध्यान रखना आदि शामिल है। उलझन की समस्या से पीड़ित व्यक्ति को शांत जगह पर रखना सबसे अच्छा है। मरीज के देखभाल करने वाले व्यक्ति के लिए कुछ टिप्स हैं, जैसे:

  • मरीज के आस-पास शोर व अन्य परेशानियां कम करें ताकि वह पूरी नींद ले सके और पर्याप्त आराम कर सके। (और पढ़ें - नींद संबंधी विकार के इलाज)
  • मरीज को समय पर भोजन खिलाते रहें और उचित रूप से पीने के लिए उन्हें पेय पदार्थ देते रहें। 
  • एक घड़ी व कैलेंडर उनके पास रखें और मरीज को उन्हें नियमित रूप से देखने के लिए कहें
  • यदि मरीज के लिए यह सुरक्षित हो, तो उसे बेड से उठा दें
  • मरीज को समय के साथ-साथ सबकुछ समझाते रहें। हाल ही में हो रही घटनाओं व खबरों आदि के बारे में मरीज को बताते रहें ऐसा करने से मरीज का मस्तिष्क उत्तेजित रहता है। रोगी को ऊंची आवाज में कुछ पढ़ने को दें, ऐसा करना भी उसके लिए काफी सहायक हो सकता है।
  • मरीज से किसी भी विषय पर बहस ना करें। 
  • रोगी को समझा कर राजी रखें और वातावरण को समझने में उनकी मदद करें (और पढ़ें - क्या दिन में सोना अच्छा है)
  • जो कुछ भी हो रहा है, मरीज को उसके बारे में अच्छे से समझाएं
  • जानी पहचानी चीजों को मरीज के पास ले आएं जैसे घर के परदे, परिवार की तस्वीरें, कंबल व बेड की चादर आदि। ऐसा करने से मरीज को कोई अंजान जगह भी जानी-पहचानी लगती है। 
  • मरीज को नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियां करने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • धीमा बजने वाला संगीत भी मरीज के लिए सहायक हो सकता है।
  • मरीज को पोषक तत्वों से भरपूर भोजन दें और उसके शरीर में पानी की कमी ना होने दें
  • मरीज को दिन में उजाले में रखें और सोने ना दें
  • कोशिश करें की रात के समय मरीज की नींद बाधित ना हो और वह ज्यादा से ज्यादा चैन की नींद सो पाए

(और पढ़ें - रात को जल्दी सोने के उपाय)

मरीज को जितना हो सके सभी काम खुद से ही करने चाहिए। लेकिन कुछ ऐसे काम हो सकते हैं जिनमें मरीज को सहायता की आवश्यकता पड़ती है, जैसे:

  • यदि मरीज की भाषा दूसरी है, तो मरीज को देखभाल संबंधी योजना समझाने के लिए दुभाषिए (दोनों भाषा जानने वाला) की मदद लेना।
  • मरीज के इलाज में डॉक्टर के साथ शामिल रहना और मरीज के मन के सवालों को डॉक्टर से पूछना
  • दिन के समय में मरीज को बेड से उठाना। इसमें मरीज को बाहर घुमाना या किसी कुर्सी पर बैठा कर रखना आदि शामिल है। 

(और पढ़ें - स्लीप एप्निया का इलाज)

उलझन का इलाज करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं -

उलझन के लक्षणों का इलाज करने वाली दवाओं में एंटीसायकोटिक दवाएं शामिल है, जिनकी मदद से भ्रम रोग व उत्तेजना संबंधी समस्याओं का इलाज किया जाता है। एंटीसायकोटिक दवाओं में निम्न शामिल हो सकती है:

  • हलोपेरिडोल (Haloperidol)
  • रिसपेरिडॉन (Risperidone)
  • ओलाजैम्पिन (Olanzapine)
  • क्विटायपिन (Quetiapine)

इसके अलावा कुछ अन्य दवाएं भी हैं, जिनकी मदद से उलझन का इलाज किया जाता है, जैसे बेन्जोडायजेपाइन्स। 

जब उलझन के लक्षणों में सुधार हो जाए तो, मरीज को अचानक दवाएं बंद नहीं करनी चाहिए। इसकी बजाए दवाओं की खुराक को धीरे-धीरे कम करना चाहिए। किसी भी दवा को लेना शुरू करने से पहले डॉक्टर से इस बारे में पूछ लें।

(और पढ़ें - एक आदमी को कितने घंटे सोना चाहिए)

उलझन की जटिलताएं - Confusion Complications in Hindi

उलझन से क्या समस्याएं हो सकती हैं?

उलझन होना एक गंभीर रोग है, अगर इसका समय पर इलाज ना करवाया जाए तो इसके कारण गंभीर जटिलताएं विकसित हो सकती है। जब इसके अंदरुनी कारणों का पता लग जाए, तो उसके बाद इलाज योजना (ट्रीटमेंट प्लान) का पालन करें। क्योंकि ये ट्रीटमेंट प्लान डॉक्टर मरीज के लिए विशेष रूप से तैयार करते हैं, जिनकी मदद से उलझन से होने वाली जटिलताओं से बचाव होता है। उलझन से निम्नलिखित जटिलताएं हो सकती हैं:

  • हमेशा के लिए संवेदना खत्म हो जाना
  • मरीज के व्यक्तित्व में बदलाव होना
  • शरीर के किसी हिस्से को हिला ना पाना या लकवा होना
  • निगलने में कठिनाई
  • स्थायी रूप से मानसिक क्षति होना
  • शारीरिक अपंगता
  • बेहोशी या कोमा

(और पढ़ें - मुंह खोलने में कठिनाई का कारण)



संदर्भ

  1. Johnson MH. Assessing confused patients. Neurology, Neurosurgery & Psychiatry. 2001 Sept; 7-12.
  2. Mayne S et al. The scientific evidence for a potential link between confusion and urinary tract infection in the elderly is still confusing - a systematic literature review. BMC Geriatrics. 2019 Feb; 19: 32.
  3. Espino D et al. Diagnostic Approach to the Confused Elderly Patient. American Family Physician. 1998 Mar; 57(6): 1358-1366.
  4. Michigan Medicine; University of Michigan. [Internet] Ann Arbor, MI, USA. Confusion, Memory Loss, and Altered Alertness.

उलझन की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Confusion in Hindi

उलझन के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।