चिकित्सकीय रूप से, कोलन इन्फेक्शन को संक्रामक कोलाइटिस (इंफेक्शियस कोलाइटिस) के रूप में जाना जाता है। हालांकि यह अल्सरेटिव कोलाइटिस से अलग है, जिसमें बृहदान्त्र और/या मलाशय में सूजन आ जाती है। अल्सरेटिव कोलाइटिस में, स्थिति आमतौर पर क्रोनिक (आजीवन प्रभावित करने वाली) होती है और यह गैर-संक्रामक होती है।
आमतौर पर इंफेक्शियस कोलाइटिस की समस्या तब आती है जब व्यक्ति सही तरीके से पका हुआ खाना न खाए, दूषित भोजन या दूषित पानी पिए। इसके सामान्य कारणों में ई कोलाई संक्रमण, सिगिल्लोसिस, क्लोस्ट्रीडियम डिफिसाइल इन्फेक्शन और साल्मोनेला इन्फेक्शन शामिल है। एंटीबायोटिक दवाओं का बहुत अधिक उपयोग करने की वजह से भी आंत संबंधित परेशानियां हो सकती हैं।
बड़ी आंत में इन्फेक्शन के लक्षण में पेट दर्द से लेकर जोड़ों में दर्द, बुखार, थकान, दस्त (कभी-कभी दस्त में खून आना) और अवसाद शामिल है। वास्तव में यह लक्षण अंतर्निहित समस्या और संक्रमण की गंभीरता पर निर्भर करते हैं।
कोलन इन्फेक्शन के निदान के लिए आमतौर पर इमेजिंग टेस्ट (एक्स रे, अल्ट्रासाउंड, अल्ट्रासोनोग्राफी, एमआरआई), ब्लड टेस्ट, लक्षणों का विश्लेषण करना व लैब टेस्ट की मदद ली जाती है। कोलन इन्फेक्शन का उपचार इसके अंतर्निहित कारणों पर निर्भर करता है। जरूरत पड़ने पर सर्जरी की जा सकती है।
कोलन क्या होता है?
कोलन बड़ी आंत का सबसे बड़ा भाग है, इसलिए इसे बड़ी आंत भी कहा जाता है। यह पाचन तंत्र का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो कि किसी ट्यूब की तरह दिखता है। इसका एक सिरा छोटी आंत और दूसरा मलाशय से जुड़ा होता है। कोलन आंशिक रूप से पचे हुए भोजन से पानी और कुछ पोषक तत्वों और इलेक्ट्रोलाइट्स को हटाने का काम करता है।
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