आंतों का कैंसर - Colon Cancer in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

January 21, 2019

February 03, 2024

आंतों का कैंसर
आंतों का कैंसर

आंतों का कैंसर क्या है

बड़ी आंत के कैंसर को कॉलन कैंसर भी कहा जाता है। कॉलन आपकी पाचन प्रणाली का सबसे आखिरी हिस्सा है। बड़ी आंत ट्यूब की तरह दिखने वाला शरीर का अंदरुनी अंग होता है, जो पाचन प्रणाली के अंत में स्थित है। जब भोजन पेट व छोटी आंत से निकल जाता है, तो उसमें से कुछ पोषक तत्व निकालना बड़ी आंत का काम होता है। उसके बाद यह अपशिष्ट भोजन को मलाशय में भेज देती है, जहां से उसे शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। 

आंत के कैंसर के ज्यादातर मामलों में यह बिना कैंसर वाली छोटी सी गांठ के रूप में विकसित होता है, जिसे पॉलिप भी कहा जाता है। समय के साथ-साथ इनमें से कुछ पॉलिप बड़े हो जाते हैं और कॉलन कैंसर के रूप में विकसित हो जाते हैं। कॉलन कैंसर के लक्षणों में दस्त, कब्ज, मल त्याग करने की प्रक्रिया व समय में बदलाव, मल में बदलाव और मल में खून आना आदि शामिल है।

कॉलन कैंसर का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर आपके स्वास्थ्य संबंधी पिछली जानकारी के बारे में पूछते हैं और आपका शारीरिक परीक्षण भी करते हैं। इसके अलावा यदि आपके परिवार में पहले किसी को कॉलन कैंसर संबंधी समस्या हो चुकी है तो डॉक्टर परीक्षण के दौरान इस बारे में भी पूछ सकते हैं। डॉक्टर परीक्षण के दौरान कुछ टेस्ट करवाने की सलाह भी दे सकते हैं, जैसे सीटी स्कैन, कोलोनोस्कोपी और बायोप्सी टेस्ट आदि। कॉलन कैंसर की जांच में अक्सर पॉलिप की पहचान उनके विकसित होकर कैंसर में बदलने से पहले ही कर ली जाती हैं। 

कॉलन कैंसर से बचाव करने के लिए डॉक्टर परीक्षण के दौरान पाए गए पॉलिप को हटा देते हैं। इसके अलावा जीवनशैली में कुछ बदलाव करना भी महत्वपूर्ण होता है। आंत के कैंसर का इलाज करने लिए रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी, टार्गेटेड थेरेपी और ऑपरेशन आदि किए जा सकते हैं। कैंसर की स्टेज के अनुसार ही उसके लिए उचित इलाज व कैंसर से होने वाली संभावित जटिलताओं को निर्धारित किया जात है। शरीर का वजन घटना जिसके कारण का पता ना हो कॉलन कैंसर की मुख्य जटिलताओं में से एक हो सकता है।

(और पढ़ें - लंग कैंसर का ऑपरेशन)

कॉलन कैंसर के चरण - Stage of Colon Cancer in Hindi

कॉलन कैंसर की स्टेज क्या है?

आंत के कैंसर को मुख्य रूप से निम्नलिखित चरणों में विभाजित किया जाता है:

  • स्टेज 0:
    यह कैंसर का सबसे शुरुआती चरण होता है, जो आंत की सबसे अंदरुनी परत में शुरू होता है।
     
  • स्टेज 1:
    इस चरण में कैंसर कॉलन की अंदरुनी परत में विकसित होने लग जाता है।
     
  • स्टेज 2:
    इस स्टेज में कैंसर कॉलन की परत की मांसपेशियों तक फैल जाता है। (और पढ़ें - कैंसर से लड़ने वाले आहार)
     
  • स्टेज 3:
    जब कैंसर कॉलन से लिम्फ नोड्स तक फैल जाता है, तो यह कॉलन कैंसर का तीसरा चरण होता है।
     
  • स्टेज 4:
    कॉलन कैंसर के इस चरण में कैंसर शरीर के अन्य अंगों तक भी फैल जाता है।

(और पढ़ें - लिम्फ नोड्स में सूजन का इलाज)

कॉलन कैंसर के लक्षण - Colon Cancer Symptoms in Hindi

कॉलन कैंसर के लक्षण क्या हैं?

हो सकता है कॉलन कैंसर से किसी भी प्रकार के लक्षण विकसित ना हो, खासतौर पर जब कैंसर शुरूआती चरणों में हो तो कोई लक्षण पैदा नहीं होता है। यदि आंत के कैंसर से लक्षण पैदा हो रहे हैं, तो उनमें निम्नलिखित लक्षण हो सकते है:

(और पढ़ें - कमजोरी दूर करने के उपाय)

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

यदि आपको किसी प्रकार के लक्षण महसूस हो रहे हैं या आंत के कैंसर का संदेह हो रहा है, तो जितना जल्दी हो सके डॉक्टर के पास जाकर इस बारे में बात करें।

(और पढ़ें - थकान दूर करने के लिए क्या खाएं)

कॉलन कैंसर के कारण व जोखिम कारक - Colon Cancer Causes & Risk Factors in Hindi

कॉलन कैंसर क्यों होता है?

कॉलन कैंसर के ज्यादातर प्रकार पॉलिप से विकसित होते हैं। ये पॉलिप्स कॉलन की की भीतरी दीवार को कवर करने वाली ग्रंथियों में होते हैं। तरह के पॉलिप्स में सामान्य व असामान्य दिखने वाली दोनों कोशिकाएं शामिल होती हैं। समय के साथ-साथ इन सामान्य पॉलिप्स का आकार बढ़ने लग जाता है और अंत में ये पूरी तरह से कैंसर के रूप में बदल जाते हैं। 

कॉलन कैंसर का खतरा कब बढ़ता है?

जिन लोगों को कुछ विशेष प्रकार की आनुवंशिक असामान्यताएं हैं, उनमें कॉलन कैंसर के जोखिम सामान्य से अधिक हो सकते हैं। जिन लोगों में ऐसी आनुवंशिक असामान्यताएं पाई जाती हैं, उनके कॉलन में कई पॉलिप्स बनने लग जाते हैं जो आखिर में कैंसर के रूप में बदल जाते हैं। कॉलन कैंसर आमतौर पर 40 साल की उम्र से पहले होता है।

यदि किसी व्यक्ति के माता-पिता या सगे भाई-बहन में से किसी को कॉलन कैंसर है, तो उसको भी यह रोग होने के जोखिम दो से तीन गुना बढ़ जाते हैं। यदि आपके परिवार में एक से अधिक व्यक्ति इस रोग से प्रभावित हैं और खासतौर पर बचपन में ही उनके कैंसर का पता लग गया था, तो आपको यह रोग होने के जोखिम और भी अधिक बढ़ जाते हैं। 

(और पढ़ें - पेट के कैंसर का इलाज)

कुछ अन्य कारक भी हैं, जो आंत का कैंसर विकसित होने के जोखिम बढ़ा देते हैं:

  • आहार:
    यदि आप अपने आहार में पर्याप्त मात्रा में फलों या सब्जियों को शामिल नहीं कर रहे हैं, तो कॉलन कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। (और पढ़ें - संतुलित आहार के फायदे)
     
  • शरीर का वजन अधिक होना:
    मोटापा भी कॉलन कैंसर का एक जोखिम कारक हो सकता है। (और पढ़ें - मोटापा कम करने के लिए डाइट चार्ट)

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  • धूम्रपान:
    सिगरेट पीना निश्चित रूप से कॉलन कैंसर विकसित होने का खतरा बढ़ा देता है।
     
  • शराब पीना:
    अत्यधिक मात्रा में शराब पीना भी कॉलन कैंसर का एक जोखिम कारक है। (और पढ़ें - शराब छुड़ाने के उपाय)
     
  • टाइप 2 डायबिटीज:
    जो लोग टाइप 2 डायबिटीज से ग्रस्त हैं, उनमें आंत का कैंसर विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। (और पढ़ें - डायबिटीज डाइट)

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  • सुस्त जीवन:
    जिन लोगों की दिनचर्या अधिक एक्टिव नहीं है, तो उनको भी कॉलन कैंसर हो सकता है।

इसके अलावा उन लोगों को भी कॉलन कैंसर होने के काफी जोखिम होते हैं, जो निम्नलिखित रोगों से ग्रस्त हैं:

(और पढ़ें -ओवेरियन कैंसर की सर्जरी)

आंत के कैंसर से बचाव - Prevention of Colon Cancer in Hindi

कॉलन कैंसर की रोकथाम कैसे करें?

कॉलन कैंसर की पूरी तरह से रोकथाम करना संभव नहीं हैं। हालांकि कुछ स्टेप लेकर कॉलन कैंसर विकसित होने के जोखिम को कम किया जा सकता है, जैसे:

  • नियमित रूप से जांच करवाते रहें:
    कॉलन कैंसर का जितनी जल्दी पता लगाया जाता है, उसका इलाज उतने ही सुरक्षित व अच्छे तरीके से किया जा सकता है। जल्दी परीक्षण करने से रोग का बेहतर तरीके से परीक्षण किया जाता है और इस स्थिति को गंभीर होने से भी रोका जा सकता है। जिन लोगों के परिवार में अन्य किसी व्यक्ति को कॉलन कैंसर है, तो उसके लिए भी कॉलन कैंसर होने के जोखिम बढ़ जाते हैं। ऐसी स्थिती में लोगों को नियमित रूप से जांच करवाते रहना चाहिए।
     
  • पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं:
    कैंसर के इलाज के दौरान पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए ताकि शरीर में पानी की कमी ना हो पाए। एक दिन में कम से कम 8 गिलास पानी पीना चाहिए। (और पढ़ें - पानी की कमी को दूर करने के उपाय)
     
  • कैफीन कम करें:
    अत्यधिक मात्रा में चाय या कॉफी ना पिएं क्योंकि इनमें कैफीन होता है। अत्यधिक कैफीन पीने से शरीर में पानी की कमी हो सकती है।
     
  • कैल्शियम व विटामिन डी लें:
    अपने आहार में ऐसे खाद्य पदार्थ शामिल करें, जिनमें खूब मात्रा में कैल्शियमविटामिन डी पाया जाता है। ये पोषक तत्वों वाले पदार्थ आंत में कैंसर के जोखिम को कम कर देते हैं। (और पढ़ें - कैल्शियम की कमी से होने वाले रोग)
     
  • मीठे पदार्थ कम करें:
    अधिक मीठे खाद्य पदार्थ जैसे मिठाई आदि कम खाएं। ऐसे खाद्य पदार्थ कम मात्रा में पोषक तत्व प्रदान कर पाते हैं, लेकिन ऐसे खाद्य पदार्थों की जगह ले लेते हैं जो आपके स्वास्थ्य के लिए बेहतर हैं।
     
  • धूम्रपान छोड़ दें:
    धूम्रपान करना कैंसर का एक मुख्य कारण होता है। जो लोग धूम्रपान करते हैं उनको मुंह का कैंसर, लंग कैंसर और कॉलन कैंसर आदि होने के जोखिम अत्यधिक बढ़ जाते हैं। (और पढ़ें - लंग कैंसर का ऑपरेशन)
     
  • शराब छोड़ दें:
    शराब पीने से भी कॉलन कैंसर होने के जोखिम अत्यधिक बढ़ जाते हैं, इसलिए शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।
     
  • शरीर का स्वस्थ वजन बनाए रखें:
    मोटापा कई प्रकार के कैंसर विकसित होने के जोखिम बढ़ा देता है। आंत का कैंसर होने का खतरा कम करने के लिए आपको अपने शरीर का स्वस्थ वजन बना कर रखना चाहिए या यदि आपका वजन अधिक है तो वजन कम करना चाहिए।

(और पढ़ें - मोटापा कम करने के लिए योग)

क्या खाना चाहिए?

फाइबर से उच्च आहार खाना काफी फायदेमंद हो सकता है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

(और पढ़ें - गाजर के जूस के फायदे)

क्या नहीं खाना चाहिए?

कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ भी हैं, जिनको खाने से आंतों में सूजन व लालिमा बढ़ सकती है, जैसे:

  • प्रोसेस्ड मीट (बाहर पका हुआ डिब्बाबंद मांस)
  • रेड मीट
  • सूअर का मांस

(और पढ़ें - शाकाहारी भोजन के फायदे)

आंतों के कैंसर का परीक्षण - Diagnosis of Colon Cancer in Hindi

कॉलन कैंसर का परीक्षण कैसे किया जाता है?

परीक्षण के दौरान डॉक्टर आपके लक्षणों की जांच करते हैं और ऐसे लक्षणों का पता लगाते हैं जो कॉलन कैंसर का संकेत दे रहे हैं जैसे मल में खून आना या अनियमित रूप से मल आना आदि। इसके साथ-साथ डॉक्टर मरीज में आंत के कैंसर के जोखिम कारकों का भी पता लगाते हैं। लक्षण आदि की जांच करने के बाद डॉक्टर मरीज का शारीरिक परीक्षण करते हैं।

डॉक्टर कुछ डिजिटल परीक्षण भी कर सकते हैं, जिसमें दस्ताने व लुब्रिकेशन (चिकनाई देने वाले प्रोडक्ट) आदि का इस्तेमाल किया जाता है। इस टेस्ट के दौरान डॉक्टर मलाशय में उंगली डालकर गांठ आदि की जांच करते हैं। इसके अलावा मल में खून की जांच करने के लिए स्टूल टेस्ट भी किया जा सकता है। 

(और पढ़ें - एचबीए1सी टेस्ट क्या है)

कॉलन कैंसर की जांच करने के लिए कुछ प्रकार का खून टेस्ट भी किए जा सकते हैं, जैसे:

  • कम्पलीट ब्लड काउंट (CBC), जिसकी मदद से एनीमिया की जांच की जाती है।
  • लिवर फंक्शन टेस्ट (और पढ़ें - किडनी फंक्शन टेस्ट)
  • सीटी स्कैन या एमआरआई स्कैन, इनके द्वारा पेट, पेडू या छाती की जांच की जाती है और कैंसर की स्टेज का पता लगाया जाता है। 
  • पेट स्कैन का उपयोग भी किया जा सकता है। (और पढ़ें - ऑनलाइन लैब टेस्ट बुक)
  • कोलोनोस्कोपी, जिसमें एक पतली व लचीली ट्यूब को गुदा के माध्यम से कॉलन तक पहुंचाया जाता है। इस ट्यूब के सिरे पर एक कैमरा लगा होता है, जिसकी मदद से कॉलन के अंदर की तस्वीरों को स्क्रीन पर देखा जाता है।
  • ट्यूमर का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट जैसे कि कार्सिनोमब्रायोनिक एंटीजन (CEA) टेस्ट। इसको इलाज के दौरान व बाद में भी किया जा सकता है। (और पढ़ें - यूरिक एसिड टेस्ट कैसे होता है)
  • यदि परीक्षण के दौरान आंत का कैंसर पाया गया है, तो अतिरिक्त टेस्ट भी किए जा सकते हैं जिनकी मदद से पता लगाया जाता है कि कैंसर कहीं अन्य अंगों में तो नहीं फैल रहा है।

(और पढ़ें - लैब टेस्ट क्या है)

कॉलन कैंसर का इलाज - Colon Cancer Treatment in Hindi

कॉलन कैंसर का इलाज कैसे किया जाता है?

आंत के कैंसर का इलाज कई प्रकार से किया जा सकता है। कैंसर की स्टेज के अनुसार ही डॉक्टर उचित इलाज का चुनाव करते हैं। आंत के कैंसर का इलाज करने के मुख्य तीन विकल्प हैं, जैसे सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी। कॉलन कैंसर के इलाज में कैंसर से प्रभावित हिस्से को निकाल दिया जाता है और दर्दनाक लक्षणों में सुधार किया जाता है।

(और पढ़ें - बीमारी का इलाज)

ऑपरेशन:
कॉलन कैंसर के ज्यादातर मामलों का इलाज इसकी मदद से किया जाता है। ट्यूमर को पूरी तरह से निकालने से आंत के कैंसर का पूरी तरह से इलाज करने की संभावनाएं अत्यधिक बढ़ जाती हैं। सर्जरी के दौरान आमतौर पर कॉलन के सिर्फ उसी हिस्से को निकालना पड़ता है जिसमें ट्यूमर हो गया है। ऑपरेशन के दौरान सर्जरी करने वाले डॉक्टर (सर्जन) मरीज के पेट में एक लंबा चीरा लगाने के बजाए कई छोटे-छोटे चीरे लगाते हैं, इस तकनीक को लेप्रोस्कोपी कहा जाता है। इस तकनीक में दर्द कम होता है और इससे होने वाले घाव जल्दी ठीक हो जाते हैं।

(और पढ़ें - सर्जरी से पहले की तैयारी)

कीमोथेरेपी: 
कीमोथेरेपी दवाएं कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर देती हैं या फिर उन्हें शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने से रोक देती हैं। ये दवाएं टेबलेट के रूप में भी दी जा सकती है या नसों द्वारा (इंट्रावेनस) शरीर में पहुंचाई जाती हैं। ये दवाएं ट्यूमर के पास की रक्त वाहिकाओं में भी दी जा सकती हैं। ये कई प्रकार की दवाएं होती हैं, जिनमें से कुछ एक साथ मिलकर अच्छे से काम कर पाती हैं इसलिए आपको एक समय पर दो या उससे अधिक दवाएं लेनी पड़ सकती हैं। इन दवाओं से लगातार 2 से 4 हफ्तों तक इलाज चलता है और फिर उसको कुछ समय के लिए बंद कर दिया जाता है। 

कीमोथेरेपी को ऑपरेशन होने के बाद भी किया जा सकता है, ताकि ऑपरेशन के दौरान बच निकली कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जा सके। कुछ मामलों में कीमोथेरेपी को ऑपरेशन से पहले भी किया जा सकता है। क्योंकि ये दवाएं ट्यूमर के आकार को छोटा बना देती हैं, जिससे ऑपरेशन के दौरान उसको निकालने में दिक्कत नहीं होती है।

(और पढ़ें - हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी)

रेडिएशन थेरेपी: 
रेडिएशन थेरेपी में एक एनर्जी की शक्तिशाली किरणों का उपयोग किया जाता है, जो कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर देती हैं। ये एक्स रे में इस्तेमाल की जाने वाली किरणों के जैसी ही होती हैं। रेडिएशन थेरेपी को ऑपरेशन से पहले और बाद में किया जा सकता है। (और पढ़ें - एनर्जी बढ़ाने का उपाय)

रेडिएशन थेरेपी को ऑपरेशन से पहले ट्यूमर के आकार को छोटा करने के लिए और ऑपरेशन के बाद कैंसर को फिर से होने से रोकने के लिए किया जाता है। 

टार्गेटेड ट्रीटमेंट: 
ये दवाएं कोशिकाओं में हुऐ बदलावों का इलाज करती हैं। उदाहरण के लिए कुछ प्रकार की कोशिकाओं में अत्यधिक मात्रा में प्रोटीन होता है, जिसकी मदद से वे बढ़ने लग जाती हैं। टार्गेटेड दवाएं इन कोशिकाओं को बढ़ने से रोक सकती हैं। ये दवाएं सिर्फ कैंसर कोशिकाओं से ही लड़ती हैं, कीमोथेरेपी के मुकाबले इसके साइड इफेक्ट्स कम हो सकते हैं।

(और पढ़ें - प्रोटीन की कमी के लक्षण)

आंत के कैंसर की जटिलताएं - Colon Cancer Complications in Hindi

आंत के कैंसर की जटिलताएं क्या हैं?

यदि कॉलन कैंसर का जल्द ही पता लगा लिया जाता है, तो इसका सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है। ज्यादातर लोग आंत के कैंसर का समय पर पता लग जाने के लगभग 5 सालों तक एक स्वस्थ जीवन जीते हैं। यदि इस समय के बीच में उन्हें फिर से कैंसर ना हो, तो आंत में कैंसर के इलाज को सफल मान लिया जाता है। ऐसा खासतौर पर तब माना जाता है, जब मरीज का कैंसर पहले 3 चरणों में हो। 

आंत के कैंसर से निम्नलिखित कुछ अन्य जटिलताएं भी हो सकती हैं: 

  • कॉलन में ब्लॉकेज होना, जिससे आंतों में रुकावट हो जाती है
  • आंत में फिर से कैंसर हो जाना
  • शरीर के अन्य अंगों में कैंसर फैल जाना (मेटास्टेसिस)
  • कॉलन के किसी अन्य हिस्से में कैंसर विकसित हो जाना

(और पढ़ें - अग्नाशय कैंसर का इलाज)



आंतों का कैंसर की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Colon Cancer in Hindi

आंतों का कैंसर के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।

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