कोट्स डिजीज क्या है?
कोट्स् रोग आंखों से संबंधित एक दुर्लभ विकार है, जिसमें रेटिना में रक्त वाहिकाओं का असामान्य विकास होने लगता है। रेटिना आंख के पीछे स्थित होती है, यह मस्तिष्क को छवियां भेजता है इसीलिए यह आंखों की रोशनी के लिए आवश्यक है।
कोट्स डिजीज से ग्रस्त लोगों में, रेटिना केशिकाएं खुलकर टूट जाती हैं और आंख के पीछे द्रव का रिसाव होने लगता है। जैसे ही द्रव बनता है, रेटिना में सूजन आने लगती है। इस स्थिति में रेटिना आंशिक या पूर्ण रूप से खराब हो सकती है, जिससे दृष्टि में कमी या अंधापन की समस्या हो सकती है।
ज्यादातर, यह बीमारी केवल एक आंख को प्रभावित करती है। इसका सटीक कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन उचित समय पर इलाज शुरू कर देने से आंख की रोशनी को बचाने में मदद मिल सकती है। आमतौर पर इस बीमारी का निदान बचपन में किया जा सकता है।
कोट्स डिजीज के संकेत और लक्षण
आमतौर पर कोट्स रोग के लक्षण बचपन में दिखाई देने लगते हैं। यह लक्षण शुरुआत में हल्के हो सकते हैं, लेकिन कुछ लोगों में गंभीर लक्षण भी देखे गए हैं। इसके संकेत और लक्षणों में शामिल हैं :
- फोटोग्राफी में फ्लैश का इस्तेमाल होने पर या किसी और तरह की चमक पड़ने पर आंखें पीली दिखाई देना
- भेंगापन
- ल्यूकोकोरिया, आंख के लेंस के पीछे सफेद निशान
- किसी चीज के परिमाप का अंदाजा न लगा पाना
- देखने की क्षमता प्रभावित होना
- बाद के चरणों में दिखाई देने वाले लक्षणों में शामिल हो सकते हैं
- आंख की पुतली का रंग लाल होना
- यूवाइटिस या आंखों की सूजन
- रेटिना का टूट जाना
- ग्लूकोमा
- मोतियाबिंद
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आमतौर पर यह लक्षण केवल एक आंख में दिखाई देते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में यह दोनों आंखों को प्रभावित कर सकता है।
कोट्स डिजीज का कारण
कोट्स रोग का कारण स्पष्ट नहीं है, लेकिन एक सिद्धांत यह है कि 'नॉरी डिसीज प्रोटीन' (एनडीपी) में गड़बड़ी की वजह से कोट्स् रोग ट्रिगर हो सकता है। यह जीन रेटिना के रक्त वाहिकाओं के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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कोट्स डिजीज का निदान
यदि किसी व्यक्ति में (या बच्चे में) कोट्स रोग के लक्षण हैं, तो चिकित्सक को तुरंत दिखाएं, क्योंकि उचित समय पर इलाज शुरू कर देने से आंखों की रोशनी को बचाया जा सकता है। हालांकि, इसके लक्षण रेटिनोब्लास्टोमा जैसी बीमारी के लक्षणों से मिलते-जुलते हो सकते हैं, जो कि एक जानलेवा स्थिति है। नैदानिक परीक्षण में इमेजिंग परीक्षण शामिल हो सकते हैं :
- रेटिनल फ्लोरेसिन एंजियोग्राफी
- इकोग्राफी
- सीटी स्कैन
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कोट्स डिजीज का इलाज
कोट्स् रोग लगातार बदतर होने वाली स्थिति है लेकिन सटीक उपचार के जरिए स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है :
लेजर सर्जरी (फोटोकोएग्यूलेशन) : यह प्रक्रिया में रक्त वाहिकाओं को सिकोड़ने या उन्हें नष्ट करने के लिए लेजर का उपयोग किया जाता है।
क्रायोसर्जरी : यह एक ऐसी सर्जरी है, जिसमें असामान्य रक्त वाहिकाओं और असामान्य ऊतकों को नष्ट करने के लिए अत्यधिक ठंड का उपयोग किया जाता है। इसके जरिये आगे होने वाले रिसाव को रोका जा सकता है।
इंट्राविट्रियल इंजेक्शन : डॉक्टर सूजन को नियंत्रित करने के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड को आपकी आंख में इंजेक्ट कर सकते हैं। इसके अलावा एंटी-वीईजीएफ इंजेक्शन के जरिये नई रक्त वाहिकाओं के विकास और सूजन को कम करने में भी मदद मिल सकती है।
स्केरल बकलिंग : यह प्रक्रिया टूटी हुई रेटिना को जोड़ने का काम करती है। आमतौर पर इस प्रक्रिया को अस्पताल के ऑपरेटिंग कमरे में किया जाता है।
फिलहाल, आप किसी भी प्रक्रिया को अपनाएं, लेकिन ध्यान रखें कि इलाज के बाद भी आपको सावधानी बरतने की जरूरत होगी।
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