सिगुएटेरा फिश पॉइजनिंग - Ciguatera Fish Poisoning in Hindi

Dr. Rajalakshmi VK (AIIMS)MBBS

December 31, 2019

March 06, 2020

सिगुएटेरा फिश पॉइजनिंग
सिगुएटेरा फिश पॉइजनिंग

सिगुएटेरा फिश पॉइजनिंग क्या है?
यह एक दुर्लभ विकार है, जो कुछ प्रकार की दूषित मछली खाने से होता है। इन मछलियों में सिगुएटेरा नामक विषाक्त होता है, इन्हें खाने से पाचन, मांसपेशियों और तंत्रिका (नस) तंत्र प्रभावित हो सकता है। सिगुएटेरा से युक्त इस मछली की 400 से अधिक प्रजातियां हैं, इनमें से कई प्रकार की मछलियों (जैसे समुद्री बास, स्नैपर, पर्च इत्यादि) को खाया जाता है।

यह आमतौर पर उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के किनारे या कोरल रीफ्स (पानी के अंदर पाए जाने वाले पत्थर) में रहती हैं। यह विषाक्त आमतौर पर बाराकुडा, ग्रॉपर, लाल स्नैपर, ईल, एम्बरजैक, समुद्री बास और स्पैनिश मैकेरल मछली में पाया जाता है। 

सिगुएटेरा फिश पॉइजनिंग के लक्षण
आमतौर पर दूषित मछली खाने के 6 से 8 घंटे बाद इस बीमारी के लक्षण दिखने शुरू होते हैं, लेकिन कई बार इसके लक्षण 2 घंटे से पहले या 24 घंटे के बाद भी दिखाई दे सकते हैं। इसके लक्षणों में शामिल हैं:

इस बीमारी के गंभीर मामलों में सांस लेने में दिक्कत, लार आना, ठंड लगना, चकत्ते, खुजली और लकवा भी हो सकता है। इसके अलावा ब्रैडीकार्डिया (दिल की धड़कन कम होना), कोमा और लो बीपी भी हो सकता है, लेकिन इससे मौत होने के मामले बहुत कम (0.5 फीसदी) हैं। 

सिगुएटेरा फिश पॉइजनिंग के कारण
सिगुएटेरा फिश पॉइजनिंग साल के एक निश्चित समय में उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाने वाली मछली को खाने से होता है। इनमें सिगुएटेरा नामक विषाक्त होता है। इन मछलियों में समुद्री जीव (गेमाबाइरडिस्कस टॉक्सस, एक तरह का शैवाल) के जरिए यह विषाक्त जमा होता है। जैसे ही मछली इस जीव को खाती है, उनके शरीर में टॉक्सिन जमा हो जाते हैं और जब इंसान इन मछलियों को खाते हैं तो वे सिगुएटेरा फिश पॉइजनिंग से ग्रस्त हो जाते हैं।

सिगुएटेरा फिश पॉइजनिंग का इलाज
सिगुएटेरा विषाक्त के लिए कोई टेस्ट उपलब्ध नहीं हैं, हालांकि इस विषय पर शोध जारी हैं। जांचकर्ता इस विषाक्त का पता लगाने और रोगियों के इलाज के लिए विशेष एंटीबॉडी का उपयोग करने की संभावना पर शोध कर रहे हैं।सिगुएटेरा फिश पॉइजनिंग के उपचार के लिए स्टमक पम्पिंग की जाती है। इसे पेट साफ करने की प्रक्रिया कहते हैं, इसमें पेट के अंदर की गंदगी मुंह के जरिए बाहर निकाली जाती है। यदि यह उपचार उपलब्ध नहीं है, तो इपिकाक सिरप (पेट से विषाक्त को उल्टी के जरिए बाहर निकालने की दवा) लेना फायदेमंद हो सकता है। 

इस मामले में खाना पकाने का कोई भी तरीका दूषित मछली में से इस विषाक्त को नष्ट नहीं कर सकता है, बल्कि यह संभव है कि किसी मछली में इस विषाक्त के अन्य रूप भी मौजूद हों। ऐसे में यदि ऐंठन या सांस से संबंधित परेशानी है, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाकर चेकअप करवाना उचित  रहेगा। लक्षणों की जांच करने के बाद डॉक्टर डेक्सट्रान (खून की कमी होने पर ली जाने वाली दवा) या ब्लड ट्रांसफ्यूजन (खून चढ़ाना) व दर्द होने पर मेपरिडीन दवा लेने की सलाह दी जा सकती है।



सिगुएटेरा फिश पॉइजनिंग के डॉक्टर

Dr. Paramjeet Singh. Dr. Paramjeet Singh. गैस्ट्रोएंटरोलॉजी
10 वर्षों का अनुभव
Dr. Nikhil Bhangale Dr. Nikhil Bhangale गैस्ट्रोएंटरोलॉजी
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