क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया क्या है?
क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया (सीएलएल) रक्त और बोन मैरो का कैंसर है। हड्डियों के अंदर जहां रक्त कोशिकाएं बनती हैं, वहां पर यह ऊतक होते है। क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया में 'क्रोनिक' शब्द से पता चलता है कि यह ल्यूकेमिया के सामान्य प्रकार की तुलना में धीरे-धीरे विकसित होता है। वहीं 'लिम्फोसाईटिक' शब्द बीमारी से प्रभावित कोशिकाओं के बारे बताता है। सीएलएल सबसे ज्यादा उम्रदराज लोगों को प्रभावित करता है।
सीएलएल ऐसा कैंसर है जो सफेद रक्त कोशिका को प्रभावित करता है जिसे लिम्फोसाइट कहा जाता है। जिन लोगों को सीएलएल की समस्या होती है उनके शरीर में असामान्य रूप से लिम्फोसाइट्स का उत्पादन शुरू कर देता है, जो ठीक से काम नहीं कर रहे होते हैं। उपचार के माध्यम से रोग और इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है। जिन लोगों में सीएलएल का समय पर निदान और उपचार हो जाता है वे जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाते हुए अपेक्षाकृत अधिक समय तक जीवित रह सकते हैं। सीएलएल के कारण बोन मैरो का कार्य भी प्रभावित होता है। सीएलएल मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है।
- पहला - इसके लक्षणों के दिखने में अधिक समय लगता है, क्योंकि इसका विकास धीरे-धीरे होता है
- दूसरा - यह अधिक गंभीर रूप का होता है और तेजी से बढ़ता है
पश्चिमी देशों (25% -30%) की तुलना में भारत (1.7% -8.8%) में सीएलएल की समस्या कम ही देखने को मिलती है। इस लेख में हम क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में बताएंगे।