कोरडोमा एक तरह का कैंसर है, जो किसी व्यक्ति की रीढ़ और खोपड़ी की हड्डी में विकसित होता है। यह दुर्लभ बीमारी करीब दस लाख लोगों में से किसी एक को होने का खतरा होता है। यह किसी भी उम्र में हो सकती है, यहां तक कि बच्चे भी इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। ज्यादातर कोरडोमा का निदान 40 से 70 वर्ष की उम्र में होता है। इस बीमारी का खतरा महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को होता है।
कोरडोमा किसी व्यक्ति के पीठ, गले या खोपड़ी में कहीं भी विकसित हो सकता है। ज्यादातर यह रीढ़ या खोपड़ी के निचले हिस्से में होता है। यहां से कोरडोमा शरीर के अन्य अंगों जैसे फेफड़ों में भी फैल सकता है। यह बीमारी धीरे-धीरे फैलती है।
चूंकि यह बीमारी शरीर के महत्वपूर्ण हिस्से जैसे मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के आसपास के हिस्सों को प्रभावित करती है, इसलिए इसका इलाज बेहद सावधानी से करने की जरूरत होती है।