कोलीनर्जिक अर्टिकेरिया (पित्ती) - Cholinergic Urticaria in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

December 12, 2019

March 06, 2020

कोलीनर्जिक अर्टिकेरिया
कोलीनर्जिक अर्टिकेरिया

कोलीनर्जिक अर्टिकेरिया (सीयू) क्या है?

कोलीनर्जिक अर्टिकेरिया, एक प्रकार की पित्ती है। यह समस्या अक्सर शरीर का तापमान बढ़ने पर होती है। जब शरीर का तापमान बढ़ने पर गर्मी और पसीने का असर त्वचा पर पड़ता है। ऐसा आमतौर पर तब होता है, जब कोई व्यक्ति व्यायाम करता है या किसी अन्य शारीरिक गतिविधि की वजह से पसीना बहाता है। ज्यादातर कोलीनर्जिक अर्टिकेरिया की समस्या अपने आप विकसित होती है और अपने आप कुछ ही घंटों में ठीक हो जाती है।

ये पसीने की ग्रंथियों में नर्व फाइबर के कारण विकसित होती है। जब आपके शरीर का तापमान बढ़ता है, तो त्वचा पसीने और गर्मी पर प्रतिक्रिया देने लगती है। ऐसा आमतौर पर निम्न स्थितियों में होता है:

  • गर्म पानी से नहाना
  • व्यायाम के बाद पसीना आना
  • गर्म वातावरण में रहना
  • गर्म पट्टी टाइट बांधना
  • घबराने पर पसीना आना

कोलीनर्जिक अर्टिकेरिया के लक्षण

यदि कोई  व्यक्ति कोलीनर्जिक अर्टिकेरिया से ग्रसत है, तो निम्न लक्षणों से इसे पहचाना जा सकता है:

  • त्वचा पर कुछ जगहों पर उभार आना
  • इनके आसपास लालिमा होना
  • खुजली

आमतौर पर ये उभार व्यायाम करने के छह मिनट के अंदर विकसित होते हैं, इसके बाद अगले 12 से 25 मिनट में ये लक्षण और खराब रूप ले सकते हैं। अक्सर यह उभार छाती व गर्दन से शुरू होते हैं और धीरे-धीरे शरीर के अन्य हिस्सों में फैलते हैं। ये उभार कुछ मिनट से लेकर कुछ घंटों तक बने रह सकते हैं। इसके अलावा त्वचा पर आपको निम्न लक्षण भी दिख सकते हैं जो त्वचा से संबंधित नहीं होते हैं:

कोलीनर्जिक अर्टिकेरिया का कारण और जोखिम

शरीर का तापमान अत्यधिक बढ़ जाने पर कोलीनर्जिक अर्टिकेरिया की स्थिति बन सकती है। यह कई कारणों से हो सकता है जैसे:

कोलीनर्जिक अर्टिकेरिया का इलाज

यदि लक्षण कम गंभीर हैं, तो जीवनशैली में कुछ साधारण बदलाव करके स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है। हालांकि यदि व्यक्ति एथलीट है या वह रोजाना शारीरिक गतिविधियां करता रहता है, तो जीवनशैली में बदलाव करना मुश्किल हो सकता है। लेकिन कुछ स्थितियों में दवाओं का सेवन करना एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।

  • बीमारी को ट्रिगर करने से बचना:
    कोलीनर्जिक अर्टिकेरिया को नियंत्रित करने के लिए सबसे सरल तरीकों में से एक है कि व्यायाम करने के तरीके को सुधारा जाए और उन परिस्थितियों से बचा जाए जिससे शरीर का तापमान बढ़ जाए। डॉक्टर जरूरत के आधार पर यह भी सुझाव दे सकते हैं कि गर्म वातावरण में व्यायाम न करें या फिर बहुत ही कम करें। इसके अलावा तनाव और चिंता से दूर रहें।
     
  • दवाइयां:
    डॉक्टर स्थिति गंभीर होने से रोकने और इलाज करने के लिए एंटीहिस्टामाइन (एलर्जी को रोकने वाली) दवाओं का प्रयोग कर सकते हैं। इनमें एच1 एंटागोनिस्ट्स शामिल हैं जैसे हाइड्रॉक्साइजिन (विस्टारिल) या टेर्फेन्डाइन (सेल्डेन) के अलावा एच2 एंटागोनिस्ट जैसे कि सिमेटिडाइन (टैगामेट) या रेनीटिडिन (जेंटैक) भी इनमें शामिल हो सकती हैं।