परिचय
पित्तरस के प्रवाह (बहाव) में किसी प्रकार की कमी को कोलेस्टेसिस या पित्तस्थिरता कहा जाता है। यह स्थिति आमतौर पर लीवर द्वारा पित्तरस ठीक से जारी ना कर पाने या फिर लीवर कें अंदर या बाहर की पित्त नलिकाओं में किसी प्रकार की रुकावट होने के कारण होती है।
पित्ताशय (गॉलब्लेडर) शरीर का एक अंदरुनी अंग है, जो लिवर के निचले हिस्से से जुड़ा होता है। यह लीवर द्वारा बनाए गए पित्तरस को जमा करके रखने का काम करता है। रक्त में अपशिष्ट पदार्थों को एक प्रकार के पित्तरस में परिवर्तित किया जाता है जिसे बिलीरुबिन कहा जाता है।
पित्तस्थिरता होने पर लीवर की कोशिकाओं या छोटी आंत के बीच कहीं ना कहीं पित्तरस (एक प्रकार का पाचन द्रव) का बहाव प्रभावित हो जाता है।
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कुछ उपाय हैं, जिनकी मदद से पित्तस्थिरता विकसित होने की संभावना को कम किया जा सकता है। जिन लोगों को पहले ही पित्तस्थिरता हो चुकी है, उनके लिए भी कुछ प्राकृतिक उपाय हैं जिनकी मदद से लक्षणों से राहत मिल सकती है। कोलेस्टेसिस से ग्रस्त लोगों को शराब व सिगरेट आदि नहीं पीनी चाहिए। यदि आप कोई दवा खाते हैं, जिनसे आपको पित्तस्थिरता के लक्षण होते हैं, तो इस बारे में डॉक्टर से बात कर लेनी चाहिए।
डॉक्टर इस स्थिति का परीक्षण करने के लिए आपका शारीरिक परीक्षण, खून टेस्ट व कुछ इमेजिंग टेस्ट करते हैं। कोलेस्टेसिस का उपचार करने के लिए पहला कदम उसके अंदरुनी कारणों का इलाज करना है। उदाहरण के लिए यदि यह पता चलता है कि कोई दवा खाने से कोलेस्टेसिस हो गया है, तो डॉक्टर उसकी जगह कोई दूसरी वैकल्पिक दवा दे सकते हैं। यदि पित्ताशय की पथरी या ट्यूमर आदि के कारण पित्ताशय की थैली में रुकावट आने लगी है, तो इस स्थिति का इलाज करने लिए डॉक्टर ऑपरेशन करवाने का सुझाव दे सकते हैं।
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