कियारी विकृति एक ऐसी स्थिति है, जिसमें मस्तिष्क के ऊतक स्पाइनल कैनाल में बढ़ने लगते हैं। यह तब होता है जब खोपड़ी का एक हिस्सा असामान्य रूप से छोटा हो या मस्तिष्क पर इससे दबाव पड़ रहा हो, इस स्थिति में ऊतक स्पाइनल कैनाल की ओर बढ़ने लगते हैं। कियारी विकृति को तीन भागों में बांटा गया है टाइप I, टाइप II और टाइप III
कियारी विकृति के लक्षण क्या हैं?
कियारी विकृति से ग्रस्त अधिकतर लोगों में किसी तरह के संकेत या लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। इस स्थिति का पता केवल तब चलता है जब व्यक्ति किसी अन्य समस्या के लिए टेस्ट करवाता है। हालांकि, इसके प्रकार और गंभीरता के आधार पर कियारी विकृति के कारण कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। कियारी विकृति के सबसे सामान्य प्रकार टाइप I और टाइप II हैं।
हालांकि, टाइप I और टाइप II, टाइप III की अपेक्षा कम गंभीर हैं।
- टाइप I के लक्षण
- गर्दन में दर्द
- बेसुध होना या संतुलन में कमी आना
- हाथों में तालमेल (समन्वय) न होना
- हाथों और पैरों में सुन्नता और झुनझुनी महसूस होना
- चक्कर आना
- टाइप II के लक्षण
- सांस लेने के पैटर्न (तरीके) में बदलाव
- निगलने में कठिनाई
- आंखों का अपने आप ऊपर-नीचे या दाएं-बाएं होना
- भुजाओं (हाथों) में कमजोरी
- कियारी विकृति टाइप III के लक्षण
- टाइप III सबसे गंभीर प्रकारों में से एक है। टाइप III में मस्तिष्क के पीछे का निचला हिस्सा असामान्य रूप से खोपड़ी के पीछे से बढ़ने लगता है। गर्भावस्था के दौरान किए गए अल्ट्रासाउंड या बच्चे के जन्म के समय कियारी विकृति का पता चल पाता है। कियारी विकृति के इस टाइप से मरने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है और इससे न्यूरोलॉजिकल (नसों से संबंधित) समस्याएं भी हो सकती हैं।
कियारी विकृति के कारण क्या है?
- टाइप I:
कियारी विकृति का यह प्रकार अब तक बच्चों में सबसे ज्यादा देखा गया है। इसमें सेरिबैलम (शारीरिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला मस्तिष्क का एक हिस्सा) का निचला हिस्सा (लेकिन इसमें ब्रेन स्टेम यानी मस्तिष्क का पिछला हिस्सा नहीं होता) स्पाइनल कैनाल की ओर बढ़ने लगता है। - टाइप II:
यह आमतौर पर केवल उन बच्चों में देखा जाता है जो स्पाइना बिफिडा (जिसमें रीढ़ की हड्डी या मेरुदंड सही तरह से नहीं बन पाते हैं) के साथ पैदा होते हैं। - टाइप III:
यह कियारी विकृति का सबसे गंभीर रूप है। यह आमतौर पर गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का कारण बनता है। टाइप III एक दुर्लभ प्रकार है।
कियारी विकृति का इलाज कैसे किया जाता है?
कियारी विकृति का संदेह होने पर डॉक्टर शारीरिक परीक्षण से इसकी पुष्टि करते हैं। डॉक्टर सेरिबैलम और रीढ़ की हड्डी द्वारा नियंत्रित होने वाले सभी कार्यों की भी जांच करते हैं। इन कार्यों में निम्न शामिल हैं:
- संतुलन
- स्पर्श
- सजग रहना
- सनसनी या झुंझनाहट
- मोटर स्किल्स (हाथों, कलाई, उंगलियों, होठों और जीभ, पेअर के अंगूठे आदि की मूवमेंट)
डॉक्टर एक्स-रे, सीटी स्कैन और एमआरआई के लिए भी कह सकते हैं। कियारी विकृति के निदान के लिए सबसे ज्यादा एमआरआई टेस्ट का इस्तेमाल किया जाता है।